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कोरोना से चौपट हुआ होस्टल व्यवसाय

  • 26 Jul 2020
  • 1 हजार से ज्यादा होस्टल 4 माह से खाली
  • बिल्डिंग का किराया और बिल भरना भी पड़ रहा भारी
  • अनलॉक में संचालकों को हजारों छात्रों के लौटने का इंतजार 


इंदौर। कोरोना काल का ऐसा असर पड़ा कि इंदौर शहर के कई निजी होस्टल संचालकों के एक हजार से ज्यादा होस्टल पिछले चार माह से खाली पड़े हैं। इन तमाम होस्टल संचालकों को अभी भी छात्रों के लौटने का इंतजार है। ऐसे में अब इनके सामने रोजी रोटी का भी संकट मंडराने लगा है। 
लॉकडाउन के बाद से शहर के कई निजी होस्टल चार माह से खाली पड़े है। यहां के रहने वाले तमाम निजी और सरकारी कॉलेज, यूनिवर्सिटी में पढ?े वाले 40 हजार से ज्यादा छात्र -छात्राएं कोरोना संकट के बाद से होस्टल खाली करके अपने - अपने घर चले गए है। ऐसे में होस्टल संचालकों को बिल्डिंग का किराया और बिजली , पानी का बिल भरना भी भारी पड़ रहा है। ऐसे हालात में तो कई संचालक किराए की बिल्डिंग खाली भी करने लगें है।
यही नहीं अब ये भी तय नहीं की कि अगले अगस्त -सितंबर में जब नया सत्र शुरू होगा तब कॉलेज , यूनिवर्सिटी खुलने के बाद भी ये छात्र दोबारा वापस लौटेंगे या नहीं। इस पर भी सवाल उठ रहे है, क्योंकि वर्तमान हालतों में जिस तरह से लगातार शहर में कोरोना के मरीज बढ़ रहे है इससे नया सत्र शुरू होने में और ज्यादा देरी होगी ऐसे में छात्र दोबारा नहीं लौट पाएंगे। इससे इन तमाम निजी होस्टल संचालकों और म़ेस वालों का कामकाज भी फिलहाल ठप पड़ा है। वहीं अब तो पूरा साल ही बिगड?े वाला है।
निजी होस्टल संचालकों का भविष्य भी खतरें में
शहर के निजी होस्टल संचालकों का भविष्य भी खतरे में नजर आ रहा है। दरसअल शहर में अलग - अलग एरियों में रहकर कॉलेजों और विभिन्न कोंचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले 40 हजार से ज्यादा छात्र अब अगर दोबारा शहर में वापस नहीं लौटे तो इन होस्टल संचालकों का भविष्य क्या होगा। जबकि कई लोगों की मूल कमाई का स्त्रोत ही होस्टल का संचालन करना है। इस कमाई से ही इनका घर चलता है। 
लाखों रुपए किराया ,बिजली बिल भरना भी मुश्किल
इतना ही नहीं एक तरफ पिछले चार माह से शहर के सभी निजी और सरकारी होस्टल स्टूडेंट्स के बिना खाली पड़े है। दूसरी तरफ होस्टलों पर तालें डले होने के बाद भी बिल्डिंग का किराया और बिजली बिल भरना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं मेंटेनेंस सहित अन्य खर्च भी चालू है। इससे शहर के तमाम निजी होस्टल संचालकों के लिए मुसीबत हो गई है। 
छात्रों के लौटने पर असमंजस 
यहीं नहीं प्रदेश सहित राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, यूपी,बिहार सहित अन्य राज्यों के अलग- अलग शहरों से आकर यहां रहने वाले हजारों छात्र भी नया सत्र शुरू होने के बाद भी लौटेंगे या नहीं इस पर भी अभी असमंजस है। क्योंकि चार माह बाद भी इंदौर में लगातार मामलें बढ़ रहे हैं,ऐसी परिस्थितियों में बाहरी छात्रों के माता-पिता अपने बच्चों को अब इस साल इंदौर पढ?े के लिए कम ही भेजेंगे। इससे सैकड़ों होस्टलों वालों के भविष्य पर भी अब संकट के बादल मंडराने लगें है।
मेस चलाने वालों को भी हालत खराब
वहीं ज्यादतर होस्टलों पर छात्रों के खाने पीने के लिए म़ेस की भी व्यवस्था भी रहती है। वहीं कई छात्र आसपास की होटल या मेस में खाना खातें है। अब छात्र दोबारा लौटेंगे या नहीं। इसको लेकर इन म़ेस चलाने वालों को भी अभी से चिंता सताने लगी है। भंवरकुआं, इंद्रपुरी, शिवमपुरी, ब्रह्मपुरी, विष्णुपुरी, गीताभवन क्षेत्र ,विजयनगर ,पलासिया, नवलखा क्षेत्र में सबसे ज्यादा होस्टल है। जहां हजारों छात्र रहते है। क्योंकि इन क्षेत्रों में कई निजी कोचिंग संस्थान और कई बड़े कॉलेज भी है। इसलिए छात्रों को यहां तमाम सुविधाएं एक साथ मिल जाती है। लेकिन चार माह से ये तमाम क्षेत्र छात्रों के बिना सूने और वीरान पड़े हैं।