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Exclusive : आंख की जांच के नाम पर धोखा www.dgr.co.in

  • 07 Jan 2020

बगैर डिग्री वाले कर रहे जांच, शिकायत से हुआ खुलासा, प्रशासन फिर भी मौन
मोतियाबिंद के आपरेशन के नाम पर पीडि़तों की पूरी आंख खराब कर चुके स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अभी भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे है। इसलिए तो आंख जांच के नाम पर चल रहे धोखाधड़ी केखेल को विभाग द्वारा नहीं रोका जा रहा है। ऐसे में कई लोगों की आंखों पर चश्मा लगा दिया जाता है और उनकी आंखों की रोशनी से खिलवाड़ खुलेआम होता है।
इंदौर। दरअसल शहर में सैकड़ों की संख्या में चश्मे बनाने की दुकानें संचालित हो रही है। इन दुकानों पर आंखों की जांच भी होती है, इसलिए तो दुकानों पर जो बोर्ड लगे होते हैं, उसमें उल्लेख रहता है कि आंख की जांच की जाती है। स्वास्थ्य विभाग का नियम है कि आंख की जांच वो ही कर सकता है, जिसके पास आप्ट्रोमेट्रिस्ट की डिग्री है। इसे विभाग की भाषा में प्राथमिक नेत्र चिकित्सा अधिकारी कहा जाता है। आंखों की जांच के लिए आप्ट्रोमेट्रिस्ट की डिग्री होना अनिवार्य है। इसके बावजूद भी शहर में सैकड़ों की संख्या में ऐसी दुकानें संचालित हो रही हैं, जिनके पास आप्ट्रोमेट्रिस्ट की डिग्री नहीं है। फिर भी वहां पर आमजन की हर दिन आंखों की जांच की जा रही है। इतना ही नहीं वहां दुकानों पर बैठे कर्मचारियों या फिर दुकान संचालक द्वारा धड़ल्ले से लोगों की आंख के चश्मे भी बनाए जा रहे हैं। सरकार की आंख के नीचे हो रहे इस गोरखधंधे की जानकारी अधिकारियों को भली-भांति से है, फिर भी उनके द्वारा मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
मय प्रमाण के कलेक्टर के पास पहुंचे
मप्र आप्ट्रोमेट्रिस्ट पेसडरेशन एवं आईकेयर ग्रुप द्वारा गत दिनों मय प्रमाण के कलेक्टर के साथ स्वास्थ्यविभाग के प्रमुख अधिकारियों को बगैर डिग्री वाले कर रहे जांच, शिकायत से हुआ खुलासा, प्रशासन फिर भी मौन शिकायत भी की गई है। शिकायत में उनके द्वारा उन दुकानों की सूची सौंपी गई है, जिनमें बिना डिग्री वाले लोग आंख जांच का काम कर रहे हैं।
यह है नियम
नियम में यह भी उल्लेख शासन के नियम में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि किसी दुकान में बगैर आप्ट्रोमेट्रिस्ट डिग्री के आंख जांच हो रही है तो तत्काल उक्त दुकान को बंद किया जाए। इसके साथ ही पेरा मेडिकल अधिनियम की धारा 44/2 के तहत एफआईआर भी कराई जाए।
पंजीयन भी अनिवार्य ऐसा
नहीं है कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा आप्ट्रोमेट्रिस्ट की डिग्री ले ली जाए और वो सीधे आंख की जांच कर सके। इस डिग्री के बाद उसे पैरामेडिकल में रजिस्ट्रेशन कराना भी अनिवार्य होता है। उसके बाद ही उसे यह कार्य करने की पात्रता मिलती है।  शासन के आदेश में यह भी लिखा कि आप्ट्रोमेट्रिस्ट द्वारा स्वयं के नाम के आगे डाक्टर शब्द का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
विधासनभा में भी मचा था हंगामा
ऐसा नहीं है कि सिर्फ स्थानीय स्तर पर यह मामला सामने आया है। पूर्व में कई मर्तबा विधानसभा में भी इसको लेकर सवाल उठ चुका है। फिर राज्यपाल की ओर से गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया गया था। इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मामले में लापरवाही बरती जा रही है।
सैकड़ों जगह हो रही धोखाधड़ी
ऐसा नहीं है कि एक या दो दुकान में यह फर्जीवाड़े का खेल चल रहा हो, बल्कि शहर में सैकड़ों की संख्या में यह गोरखधंधा चल रहा है। इसको लेकर मय प्रमाण के हम लोगों ने शिकायत की है। अब विभाग के अधिकारियों को इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई करना चाहिए।
कमल गोस्वामी, अध्यक्ष, मप्र आप्ट्रोमेट्रिस्ट फेडरेशन