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इंदौर

गाइड लाइन से तय होगा मकान या प्रतिष्ठान का संपत्ति कर

  • 23 Feb 2020

अलग-अलग वर्ग में  विभाजित होंगे प्लॉट, भवन, दुकान व जमीन
इंदौर।  मकान,प्लॉट,जमीन  या व्यवसाय के संपत्ति कर का निर्धारण अब निकाय जमीनों की गाइड लाइन दर के अनुसार तय करेंगे। दर के लिए सरकार  द्वारा तय स्लेब के अनुसार निकाय दर निर्धारण कर वसूलेंगे। जमीन, प्लॉट, मकान या प्रतिष्ठान आदि को अलग-अलग वर्ग में बांटकर कार्य किया जाना है।
 नगरीय निकायों  द्वारा अपने हिसाब से कर निर्धारण कर वसूली करने के मिले अधिकार के बाद अब सरकार संपत्ति कर निर्धारण के लिए गाइडलाइन को आधार बनाने जा रही है।  नगरीय प्रशासन विभाग के नए फार्मूले के अनुसार निकाय कलेक्टर गाइडलाइन में तय प्रॉपर्टी की कीमतों के हिसाब से संपत्ति कर वसूल करेगी। कर की दर मेंं गाइडलाइन बढऩे के साथ ही बढ़ोतरी भी होगी।  शासन स्तर पर कर निर्धारण को लेकर बनाए जा रहे नए नियमों के अनुसार लोगों को अपनी अचल संपत्ति में कलेक्टर गाइडलाइन का एक निश्चित प्रतिशत संपत्ति कर  देना होगा। प्रस्ताव के अनुसार सरकार स्लैब तय करेगी और निकाय अपने हिसाब से उसे लागू कर सकेंगे।
  गाइडलाइन के  कि ए जाने वाले कर निर्धारण में  जमीन, मकान, प्रतिष्ठान, प्लॉट आदि को अलग-अलग भागो में विभाजित किया गया है। खाली भूखंड को   तीन भागों रहवासी, व्यावसायिक और औद्योगिक के रूप में वर्गीकृत किया जा रहा है। इसी तरह आवासीय भवन को आरसीसी, आरबीसी, टीनशेड और कच्चा कवेलू के रूप में व्यावसायिक भवन को  दुकान, कार्यालय और गोडाउन के रुप में बांटा गया है। बहुमंजिला भवनों को आवासीय और व्यावसायिक भाग में विभाजित किया जा रहा है। इसी तरह कृषि भूमि को  सिंचित, असिंचित, आवासीय के रूप में व्यपवर्तित और व्यावसायिक के रूप में व्यपवर्तित के रूप में बांटा गया है।  वर्तमान में कर निर्धारण  के लिए 8 परिक्षेत्र बनाए गए हैं। इसके अलावा आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों को कई भागों में बांटा गया है। हर क्षेत्र के लिए अलग   वार्षिक किराया और कर की दरें तय की गईं हैं।
  यदि संपत्ति कर का निर्धारण गाइडलाइन से किया जाएगा तो निकायों की आय में वृद्धि होगी। दर बढऩे का पूरा भार रहवासी या मालिक पर पड़ेगा। सरकार को इस नियम को लेकर विरोध का समाना करना पड़ सकता है। लोग निकाय द्वारा निर्धारित वर्तमान की दर से ही कर चुकाने से बचने का प्रयास करते हैं। नगरीय क्षेत्र में संपत्ति कर वसूली के लिए सतत अभियान चलाने के बाद भी अधिकांश लोगों से वसूली नहीं हो पा रही है। निगम को हर बार कई तरह की छूट और पुरस्कार की योजना भी आरंभ करना पड़ी है।