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विविध क्षेत्र

हमारा जेल विभाग

  • 14 Nov 2020

पूरे भारत वर्ष पर जेल विभाग पर पुलिस विभाग ने कब्ज़ा कर लिया है। वस्तुत व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो संपूर्ण भारत में जेल विभाग पुलिस विभाग की एक ब्रांच बन कर रह गया है। क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम तीन विभागों पर आधारित है। पुलिस अपराधियों को पकड़ती है , न्यायालय सज़ा देती है और जेल विभाग बंदियों को रखता है।मूलतः तीनों संस्थाएं  एक दूसरे से जुड़ी हैं लेकिन कोई किसी के अधीन नहीं है और तीनों स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं और करना भी चाहिए। भारत वर्ष में जानकर और विद्वानों की कोई कमी नहीं है, लेकिन जब तक विषय की जानकारी ही नहीं हो समस्याएं तो परिलक्षित हो जाती हैं लेकिन समाधान क्या हो सकता है कैसे ज्ञात होगा विचारणीय है। दुर्दांत बंदियों को बिना जूते मारे उनमें कानून का भय कैसे उत्पन्न किया जाए जैसे अत्यंत गम्भीर विषय पर गंभीरता से विचार करने का प्रथमतः तो तथाकथित " विद्वानों " को जानकारी ही नहीं है और यदि उनके संज्ञान में लाने का प्रयास किया जाए तो उन्हें लगता है कि ऐसा कौन सा विषय है जिसको वे नहीं समझते। लेकिन एक बात हम सभी जानते है कि प्राइमरी स्कूल के मास्टरजी ही छोटे बच्चों को पढ़ा सकते हैं और यूनिवर्सिटी का प्रोफ़ेसर प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने में असमर्थ रहेगा। अपवाद को नज़र अंदाज़ कर दे तो अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों ने इसे अटल सत्य मान लिया है कि विश्व का संपूर्ण ज्ञान उनमें समाहित हो गया है। कदाचित वे इस तथ्य को भूल जाते हैं कि कार का इंजन सर्वाधिक महत्व पूर्ण होता है लेकिन यदि चारों टायर्स में हवा न हो तो कार " बेकार " है। मैं मूलतः जेल विभाग का अधिकारी हूं और आजीवन जेल विभाग का अधिकारी रहूंगा। आदर्श स्तिथि एक अच्छा विचार है लेकिन आदर्श स्तिथि कभी आती नहीं है लेकिन हम अच्छे से अच्छा कर सकें इसी को आदर्श स्तिथि मानना चाहिए। लॉ एंड आर्डर सुचारू रूप से संचालित हो इसके लिए " प्रिसन , प्रिजनर और प्रीसन पर्सोनेल " की समस्यायों पर विचााभिव्यक्ति और चर्चा की आवश्यकता है। लेकिन आज की राजनैतिक प्राथमिकता में जेल विभाग की उपादेयता हमेशा से निम्न स्तर पर रही है और कदाचित सुधार की संभावनाएं तलाशने की कोशिश तेल में से रेत निकालने के समकक्ष होगा।
G.k.Agarwal Additional Inspector General of Prisions ( Retd.) M.P. Bhopal.