Highlights

DGR विशेष

एटीएम और कैश डिपोजिट मशीन खाली कर रहे... हाईटेक लुटेरे; तरीका ऐसा कि बैंक को भी नहीं चलता पता

  • 25 Jun 2021

इंदौर। शहर के साथ-साथ पूरे प्रदेश में इन दिनों पुलिस और बैंक प्रबंधन के अधिकारी हाइटेक लुटेरों के कारण परेशान है। दरअसल एसटीएम और कैश डिपॉजिट मशीनों से ये बदमाश इतनी सफाई से रुपए निकाल रहे हैं कि बैंक को पता भी नहीं चलता। हाल ही में पूरे मध्य प्रदेश में इस तरह के केस बढ़े हैं
ठगी करने वाले शातिर दिमाग हैकर्स ने अब ठगी करने का तरीका बदला है। एक्सपर्ट कहते हैं जैसे-जैसे लोग अलर्ट हुए तो ठगों ने वारदात का ट्रेंड बदल दिया। अब उनका टारगेट कस्टमर से से ज्यादा बैंक होते हैं। वह ऑटोमेटिक डिपोजिट-विड्रॉल मशीन और एटीएम को को टारगेट कर रहे हैं।
यहां वह ट्रांजेक्शन की पूरी प्रोसेस करते हैं। जब कैश निकलने वाला होता है तो आखिरी समय पर कैश ट्रे के शटर को पिन, चाबी या उंगली से अटका देते हैं। इसके बाद कैश ट्रे में फंसे रुपए निकाल लेते हैं। इस तरीके से ठगों को कैश मिल जाता है और बैंक को तत्काल पता भी नहीं चलता। जब तक बैंक को पता चलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है।
पहले ऐसे होती थी ठगी
अभी तक ग्वालियर सहित मध्य प्रदेश में ठगी के जो मामले सामने आ रहे थे वह साधारण तरीके के थे। इसमें आम लोग ठगों का टारगेट होते थे जैसे- एटीएम कार्ड ब्लॉक का डर दिखाकर डिटेल, ओपीडी पूछकर ठगी करना। एटएम  बूथ के बाहर खड़े होकर डेबिट कार्ड बदलकर ठगी करना। एटीएम  मशीन में सर्वर डाउन होने की बात कहकर ठगी करना। कस्टमर केयर, ई-वॉलेट में कैश बैक के नाम पर ठगी। अब डिपाजिट  मशीन में ट्रिक लगाकर कर रहे ठगी
बैंकों को कर रहे टारगेट
अब जब लोग ठगी के पुराने तरीके समझने लगे और अलर्ट हुए तो ठगों ने पैटर्न बदल दिया। अब वह आम लोगों को छोड़कर बैंक को टारगेट करने लगे हैं। वह ्रञ्जरू मशीन, ऑटोमेटिक डिपोजिट-विड्रॉल मशीन से छेड़छाड़ कर ठगी की वारदात को अंजाम देने लगे हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश में तेजी से इस तरह की घटनाएं हुई हैं। ज्यादातर घटनाएं जबलपुर, सागर, भोपाल, इंदौर व ग्वालियर में हुई है। ग्वालियर, भोपाल, इंदौर,जबलपुर में मार्च, अप्रैल मई 2021 में इस तरह की 77 वारदातें हुई हैं।
तीन स्टेप में करते हैँ ठगी
फस्र्ट सटेप
ग्वालियर क्राइम ब्रांच के सब इंस्पेक्टर व साइबर एक्सपर्ट धर्मेन्द्र शर्मा ने ठगी के इस नए पैटर्न के बारे में समझाया। सबसे पहले ठग बैंक में फर्जी नाम पते पर कुछ लोगों के खाते खुलवाते हैं। इनके ्रञ्जरू कार्ड अपने पास रखते हैं। इसके बाद ठग ्रञ्जरू बूथ पर पहुंचकर एक ्रञ्जरू कार्ड मशीन में कार्ड लगाते हैं। साथ ही कार्ड की कैश लिमिट के हिसाब से कैश निकालने की प्रोसेस करते हैं। जैसे मान लिया जाए कि 10 हजार रुपए निकालने के लिए ठग ने पूरी प्रोसेस की। जब रूपए निकलने वाले होते है तो यह ्रञ्जरू की कैश ट्रे के शटर पर पिन या चाबी लगाकर शटर को बंद कर दिया।
सेकंड स्टेप
जब कैश कैश आता है तो कैश ट्रे का शटर बंद होने से बाहर नहीं निकलता। इससे तीन बार शटर से टकराने के बाद वहीं ट्रे में अंदर पड़ा रहा। बैंक के सिस्टम में इसके लिए यहां 20 सेकंड का समय रहता है। 20 सेकंड बाद कैश वापस मशीन में चला जाता है। पर ठग कैश वापस होने से पहले ही निकाली गई रकम से 80 फीसदी रकम निकाल लेते हैं। 20 फीसदी राशि ट्रे में छोड़ देते हैं। जो 20 सेकंड बाद वापस हो जाती है।
थर्ड स्टेप
रकम वापस होने के बाद बैंक के रिकॉर्ड में ट्रांजेक्शन फेल बताती जाती है, जबकि कैश चोरी हो गया है। ऐसे में कैश चोर की घटना आसानी से पकड़ में नहीं आती। यह ऑडिट के समय पकड़ में आती है।
हाल ही में हुई वारदातें
इंदौर
हाल ही में इंदौर शहर के तीन अलग-अलग कैश डिपोजिट मशीन में ्रञ्जरू कार्ड लगाकर हैकर्स ने 21 बार में 2.10 लाख रुपए निकाले हैं। ्रञ्जरू से कैश निकालने जिन खातों के डेबिट कार्ड का उपयोग किया गया है वह सभी हरियाणा के एड्रेस पर बने हैं। पुलिस अब इन हैकर्स की तलाश इंदौर से हरियाणा के बीच कर रही है।
जबलपुर
जबलपुर पुलिस ने कुछ दिन पहले मेवात हरियाणा के दो ठगों को पकड़ा था। जिनसे 86 ्रञ्जरू कार्ड, तीन मोबाइल, पेन कार्ड, आधार व वोटर कार्ड मिले थे। यह लोग ्रञ्जरू मशीन में ट्रिक लगाकर कैश निकालते थे और बाद में ट्रांजेक्शन फेल का मैसेज आने पर बैंक में आवेदन लगाकर कैश वापस करा लेते थे। इस ट्रिक से बैंक फ्रॉड को नहीं पकड़ पाती थी। इन्होंने 92.39 लाख रुपए 182 ट्रांजेक्शन में ठगे थे।
ग्वालियर
इसी तरह की वारदात 16 जून को ग्वालियर में हुई है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ्रञ्जरू को हैक कर कैश ट्रे के शटर से छेड़छाड़ कर एक ठग ने 12 बार में 12 ्रञ्जरू कार्ड का उपयोग कर 1.59 लाख रुपए निकाले हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
ठग हमेशा ठगी का पैटर्न बदलते रहते हैं। जब तक लोग एक तरीको को समझते हैं तो वह दूसरे तरीके से वारदात शुरू कर देते हैं। जब उस स्टाइल को ट्रैक कर पाते हैं तो वह नया पैटर्न तलाश लेते हैं। इस तरह की ठगी से बचने के लिए अलर्ट रहकर ही बचा जा सकता है। जैसे अपने कोई भी दस्तावेज किसी को नहीं दें। इसका उपयोग फेक अकाउंट खोलने, सिम कार्ड लेने में हो सकता है। साथ ही अपनी कोई भी पर्सनल डिटेल किसी से शेयर न करें। सतर्कता ही बचाव है।