जालसाजी के नए-नए तरीके निकाल रहे ...
लगातार दे रहे ठगी की वारदातों को अंजाम
इंदौर। शहर में जालसाजों ने ठगी के नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं, जो हाईटेक हैं। इन हाईटेक ठगोरों के शिकार वे लोग होते हैं, जिन्हें सोशल मीडिया और इंटरनेट अथवा नेट बैकिंग सहित अन्य नेट से संबंधी कार्यों का नॉलेज नहीं रहता। सीधे-सादे लोगों को हजारों लाखों रुपए की चपत लगाने वाले इन हाईटेक ठगोरों ने पुलिस की नाक में भी दम कर दिया है, क्योंकि अधिकांश मामलों में आरोपियों की पहचान ही नहीं हो पाती और जिनकी पहचान हो भी जाती है, उनमें से भी गिनती के आरोपी पुलिस हत्थे चढ़ते हैं।
इन दिनों प्रोफेसर, टीचर्स को सोशल मीडिया के जरिए फ्रॉड करने वालों ने टारगेट कर रखा है। टीचिंग प्रोफेशन से जुड़े लोगों के नाम से उनका फोटो लगाकर फर्जी प्रोफाइल बनाई जा रही है। इसके जरिए दोस्तों को मैसेज भेजकर परेशानी में फंसे होने का झांसा देकर बैंक अकाउंट या वॉलेट में पैसा जमा करवाकर ठगी की जा रही है। साइबर सेल ने लोगों से सावधानी बरतने का आग्रह किया है। पुलिस अफसरों के मुताबिक, कई ऐसे केस सामने आए, जिनमें लोगों के अकाउंट हैक करने के बाद दोस्तों को परेशानी के मैसेज भेजकर राशि मांगी गई। कई बार लोगों ने विश्वास कर राशि जमा करा दी और कई बार क्रॉस चेक करने से बच गए।
ऐसे लगाते हैं चपत
अब ठगोरों ने नया तरीका ढूंढ़ लिया है। उज्जैन के एक प्रोफेसर के नाम से हाल ही में किसी ने फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर उनका फोटो उसमें लगा दिया। बाद में फ्रेंड बुक से दोस्तों के नाम लेकर मैसेज कर नई प्रोफाइल से जोड़ लिया। इसके बाद मैसेंजर पर दोस्तों को प्रोफेसर के नाम से मैसेज भेजा। इसमें दिल्ली यात्रा के दौरान बीमार होने पर आर्थिक मदद की गुहार करते हुए अकाउंट नंबर दिया गया। एक दोस्त ने विश्वास कर 60 हजार रुपए उक्त अकाउंट में जमा कर दिए। अन्य दोस्त ने परेशानी जानने के लिए प्रोफेसर को फोन लगाया तो पता चला, वे न तो दिल्ली गए और न ही मदद मांगी। इस पर साइबर सेल में शिकायत की गई।
फोन किया तो ठगी से बच गए
इंदौर में एक बड़े स्कूल की टीचर के नाम से भी ऐसा प्रयास हुआ। विदेश में फंसे होने की मैसेज भेजकर दोस्तों से रकम मांगी। दोस्त ने फोन कर चेक कर लिया, जिससे ठगी होने से बच गई। एक प्रोफेसर के दोस्तों के साथ भी इसी तरह की ठगी का प्रयास करने की शिकायत पुलिस तक पहुंची है। साइबर सेल की टीम ने जांच की तो पता चला, धोखाधड़ी करने वालों के निशाने पर इस समय टीचर व प्रोफेसर हैं। इनसे जुड़े अधिकतर लोग इसी प्रोफेशन से होते हैं। बदमाश इसी कारण कई जगह उन्हें झांसा देने में सफल रहे।
सेटिंग बदलने की जरूरत
साइबर सेल एसपी जितेंद्रसिंह के मुताबिक, बदमाश फर्जी प्रोफाइल बनाकर ठगी कर रहे है। लोगों को सोशल मीडिया में अपनी प्रोफाइल व फ्रेंड लिस्ट की सेटिंग बदलने की जरूरत है। प्रोफाइल गार्ड का इस्तेमाल करें, ताकि अनजान लोग आपके दोस्तों की सूची न देख पाएं। जब भी किसी दोस्त की ओर से गंभीर मैसेज आए तो उससे या किसी नजदीकी रिश्तेदार से पहले संपर्क कर सच्चाई जानें।
शहर के ईस्ट और वेस्ट में अलग-अलग होगें सायबर सेल
पुलिस द्वारा बढ़ते हुये सायबर अपराधों एवं ऑनलाईन ठगी की वारदातों की रोकथाम करने तथा इनसे संबंधित अपराधों की विवेचना के लिए एसपी ईस्ट एवं वेस्ट में पृथक पृथक सायबर सेल को गठित किये जाने का निर्णय लिया गया ह। वर्तमान में क्राईम ब्रांच नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है जिसके पास रोजाना बढ़ते हुये सायबर अपराधों तथा ठगी की वारदातों से काम का बोझ अत्यधिक हो गया है। इस प्रक्रिया के बाद नई सायबर सेल सृजित होने से सायबर संबंधी अपराधों/ऑनलाईन ठगी की वारदातों की जांच तथा विवेचना पूर्व तथा पश्चिम क्षेत्र के एएसपी स्तर के अधिकारी के क्षेत्राधिकार से संभव हो सकेगी, तथा क्राईम ब्रांच क्षेत्रीय पुलिस अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर, व्यापक स्तर पर ठगी करने वाले गिरोहों की धरपकड़ करेगी। इस संबंध में पुलिस टीम को ट्रैनिंग के लिए कार्यशाला का आयोजन कंट्रोल रुम पर किया गया। प्रशिक्षण शाला का शुभारंभ एसएसपी रूचि वर्धन मिश्र की उपस्थिति में हुआ। क्राइम एएसपी अमरेन्द्र सिंह द्वारा सायबर अपराध, सायबर अपराधों के प्रकार, सायबर अपराधों की विवेचना, विवेचना के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां, आई टी एक्ट तथा भादवि की धाराओं का विविधता के साथ उपयोग, अपराधों के दण्ड तथा न्यायालयीन कायज़्वाही के संबंध में प्रशिक्षित किया गया। डीएसपी क्राइम आलोक शर्मा ने सायबर क्राइम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। जिसमें घटना स्थल से लेकर अपराधी को सजा दिलाने तक क्या क्या आवश्यक कार्यवाहियां विवेचना के दौरान की जाती है? साक्ष्य संकलन के साथ न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत करते समय ध्यान देने योग्य कौन से तथ्य होते हैं इस संबंध में विस्तृत जानकारी साझा की गई। एसएसपी ने भी पुलिस टीम को महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि अनुसंधानकर्ता अधिकारी को बदलते हुये परिवेश के साथ स्वयं को कौशल तथा तकनीक के अधार पर अद्यतन सामयिक बनना होगा तभी वह कुशल अधिकारी साबित हो सकेंगें।