।। वचनामृतं ।। -पू.मोरारी बापू
एक चिट्ठी.... बापू ...मन की गुफा बहुत भयावह लग रही है... अंधकार से भरी... बिल्कुल अस्वच्छ ...बहुत अंधेरा है मन की गुफा में... गुफा में बहुत सी गंदगी भरी है... दुर्गंध भी आती है... इस मन की गुफा को ठीक करने के लिए कोई मंत्र... कोई उपाय है ?...
बापू बोले... जरूर... मैं कबूल करूं कि मन की गुफा ज़रा डराने वाली है... भयावह है... हम और आप जानते हैं अपने मन के बारे में ...कि उसमें बहुत गंदगी पड़ी है... लेकिन इन दोषों की ओर दृष्टि करने के बजाय भगवद गीता में भगवान कृष्ण के वचन को याद करें ....
भगवान कृष्ण कहते हैं... अर्जुन... इंद्रियों में मन मेरी विभूति है....
तो हम ये क्यों मान बैठे कि ये मेरा मन है ?... परमात्मा ने हमें विभूति रूप में मन दिया है ...तो इतनी चिंता करने की जरूरत नहीं ..
वाल्मीकि जी ने कुछ उपाय बताए हैं अयोध्या कांड में कि भगवान हमारे ऐसे मन में आप निवास करो... क्योंकि ये आपका घर है...
दोष दर्शन... दोष दर्शन... है तो है...
अब आप कहते हैं कि शुद्धि का क्या उपाय है ?... उसमें खुशबू कैसे आए?.. मुझे तो ये उपाय लगता है... एक छोटी सी किताब है सूफियों की...पुरानी कहानी... उसमें एक बात थी सो शायद मन की गुफा के लिए उपयोगी हो सकती है....
एक आदमी को अपने मन पर ...अपने शरीर पर... अपनी छाया पर ...अपने कदमों पर नफरत हो गई ...वो अपने को धिक्कारने लगा... जब भी चले तो उसकी छाया साथ में चलती है... उसको अपनी छाया से नफरत हो गई... खुद पर इतनी नफरत हो गई कि वो चाहता है कि मेरे कदमों के निशान भी नहीं रहे... मेरे मन में इतना अंधेरा क्यों है ??.. वो खुद को बहुत कोसन लगा...
एक असाधु मिल गया उसको ...उसने कहा कि तेरी गति कम है ...इसलिए छाया से तेज दौड़... वो कितना दौड़ेगी ?....
बहुत दौड़ा... अपनी पूरी एनर्जी इकट्ठी करके इतना दौड़ा ये आदमी ...लेकिन छाया साथ चली...
उसके बाद एक साधु मिल गया....
छोटा सा सूत्र ...छाया से बचना है बेटा... तो किसी साधु की छाया में बैठ जा... तू धूप में चल रहा है... तू इधर भाग रहा है... मन की तमाम गंदगी खत्म हो जाएगी ...ये अंधेरा भीतरी गुफा का समाप्त....
किसी बुद्ध पुरुष की छाया में बैठने से अपने सभी प्रतिद्वंद ...अपनी सभी छाया... अपने सभी विकार अपने आप खत्म हो जाएंगे...प्रयत्न मत करो... मन को दोष भी मत दो ...मन प्रभु की विभूति है... हमारे जैसों के लिए एक ही..... मन की गुफा के अंधेरे में मशाल प्रकट हो जाएगी... ज्योति प्रकट हो जाएगी ...कोई बुद्ध पुरुष की छाया में बैठ जाएं....
और ऐसे में दुनिया की ज्यादा फिक्र भी मत करना... दुनिया की फिक्र में हमने कितने जन्म गंवा दिए ....
अब ना बनी तो फिर क्या बनेगी....
(राम कथा - मानस कंदरा से साभार सहित संपादन@ पुष्पेंद्रपुष्प)
चिंतन और संवाद
मन की गुफा को ठीक करने के लिए कोई मंत्र... कोई उपाय है ?...
- 12 Oct 2024