अधिकारियों ने पत्र लिखकर दो एडीजी को हटाने की लगाई गुहार
इंदौर। जेल विभाग इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में बना हुआ है। इस बार किसी जेल से कैदी के फरार होने की घटना को लेकर नहीं बल्कि तीन एडीजी की जेल विभाग में पदस्थापना को लेकर खड़े हुए बखेड़े के चलते चर्चा में आ गया है। दरअसल जेल विभाग में एडीजी जेल का कोई पद ही नहीं है, इसके बावजूद भी एक नहीं बल्कि तीन तीन एडीजी जेल विभाग में पदस्थ कर दिए। आईजी (महानिरिक्षक) के पद पर तीन एडीजी (अतिरिक्त महानिदेशक) अधिकारियों की पदस्थापना को लेकर जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर दो एडीजी को तत्काल हटाकर कहीं ओर पदस्थ करने की मांग की है।
जेल महकमे के डीआईजी, जेल अधीक्षक, विधि अधिकारी सहित 15 अफसरों ने प्रमुख सचिव जेल को लिखे पत्र में खुलासा किया है कि एक भी पद नहीं होने के बावजूद तीन एडीजी स्तर के आईपीएस अधिकारियों की पोस्टिंग जेल विभाग में कर दी गई है। जेल अफसरों के खुलकर सामने आने के बाद एक नया बवाल विभाग में खड़ा हो गया है। हाल के दिनों में जेल विभाग के अफसरों द्वारा जो पत्र शासन को लिखा गया है उसके बाद विभाग में अंदरूनी कलह भी मच गई है। हाल की हर अफसर इस पत्र को लेकर मौन साधे हुए है कोई कुछ भी बोलने को तैयार नही है। इस बीच सबसे दिलचस्प बात यह है ये तीनों एडीजी पदस्थ तो जेल विभाग में है लेकिन इनका वेतन पुलिस मुख्यालय भोपाल से निकल रहा है। अब देखना यह होगा कि जेल अफसरों की इस चि_ी के बाद शासन आगामी दिनों में इस दिशा में क्या कदम उठाता है।
जेल महकमे को उठाना पड़ रहा भार
जेल महकमे में बिना पद एक के बाद एक करके तीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) की पोस्टिंग हो गई है। वह भी तब, जब आईपीएस कोटे का सिर्फ एक आईजी का पद था, जोकि 2009 में ही खत्म हो चुका है। ऐसे में पहले से ही फोर्स और संसाधनों की कमी झेल रहे जेल महकमे को बिना पद के पदस्थ तीन एडीजी का भार उठाना पड़ रहा है। इनके ऊपर विभाग को बेवजह संसाधन और फोर्स का खर्च वहन करना पड़ रहा है।
बिना पद के अफसरों की सुविधाओं पर खर्च
पहले से ही वित्तीय संकट के चलते जेलों के आधुनिकीकरण, सुरक्षा और प्रहरियों सहित अन्य स्टाफ की भर्ती विलंबित गति से चल रही है, लेकिन बिना पद के पदस्थ तीनों एडीजी के लिए तमाम सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। इसमें बंगला अर्दली, घर एवं ऑफिस में फोन, मोबाइल, भृत्य, कार्यालय सहायक, वाहन सहित अन्य सुविधाओं का खर्च उठाना पड़ रहा है।
आईपीएस के लिए स्वीकृत आईजी का पद भी समाप्त
जेल विभाग के सेटअप के अनुसार विभाग प्रमुख यानि महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं का एक ही पद है, जोकि आईपीएस के लिए है। इसके बाद एक पद आईजी का विभागीय पदोन्नति वाला है। वर्ष 2008 में आईपीएस के लिए आईजी का एक और पद आईपीएस के लिए बना, जोकि सिर्फ एक वर्ष के लिए ही था। ऐसे में वर्ष 2009 में यह पद भी समाप्त हो गया, क्योंकि उसके बाद इस आईपीएस कोटे के आईजी का पद कंटीन्यू नहीं किया गया। ऐसे में एकलौता आईपीएस कोटे में आईजी का पद भी अस्तित्व में नही है।
यह है कि निगम
शासन को पत्र भेजने वाले मातहतों में प्रदेशभर के केन्द्रीय जेल अधीक्षक से लेकर उप-जेल अधीक्षक स्तर के अधिकारी शामिल हैं। प्रदेश के जेल विभाग में मध्य प्रदेश जेल सेवा राजपत्रित भर्ती नियम-2002 एवं संशोधित नियम-2009 लागू हैं। इसके अनुसार जेल विभाग का विभागाध्यक्ष महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं होता है। वर्ष 2008 में शासन ने एक साल के लिए यानि 2009 तक के लिए आइजी का एक पद स्वीकृत किया था। इसके बाद यह पद समाप्त हो जाना चाहिए था, लेकिन इसे समाप्त करने की बजाए इसी पर एडीजी स्तर के अधिकारियों की पदस्थापना होती रही। शुरुआत में एक ही एडीजी की पदस्थापना की जाती रही, लेकिन इस बार पद से ज्यादा एडीजी पदस्थ कर दिए गए।
यह है असली वजह
सूत्र बताते हैं कि पूरे मामले की असली वजह यह है कि पदोन्नति के साथ ही मप्र में वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों की फौज खड़ी हो गई है। वर्तमान में पुलिस महकमे में एक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के अलावा तीन डीजी, नौ स्पेशल डीजी और 51 एडीजी हो गए हैं। जबकि विभाग में इनके लिए पद स्वीकृत नहीं है। ऐसे में एक ही पद पर अधिक एडीजी स्तर के अधिकारियों की पदस्थापना सरकार कर रही है। अब रेंज के प्रमुख एडीजी बने अब तक प्रदेश में जोन या रेंज के प्रमुख आइजी हुआ करते थे, लेकिन अब राज्य सरकार ने इस पद पर एडीजी स्तर के अधिकारियों की पदस्थापना करना शुरू कर दी है। इसे लेकर आइजी स्तर के अधिकारियों में भी नाराजगी है, हालांकि वे खुलकर अपनी इस पीड़ा को जाहिर नहीं करते हैं।
तीनों को सौंपी अलग जिम्मेदारी
विभाग में पदस्थ तीनों एडीजी सुधीर शाही, आशुतोष राय और गाजीराम मीणा को अलग-अलग हिस्से के जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि पहले एक आइजी स्तर का अधिकारी पूरा प्रदेश संभाल लेता था। अब इन तीन एडीजी को अपने क्षेत्र के जिलों में जाकर वहां की जेलों की व्यवस्थाएं देखना होती हैं। ये हैं
बिना वजह इस मामले को तूल दिया जा रहा है। एडीजी स्तर के अधिकारियों की पदस्थापना शासन ने की है। लिहाजा शासन ही बता सकता है कि पद से ज्यादा एडीजी क्यों पदस्थ किए गए हैं।
-संजय चौधरी, जेल महानिदेशक, मप्र
DGR विशेष
जेल विभाग फिर सुर्खियों में : आईजी के एक पद पर तीन एडीजी पदस्थ

- 30 Aug 2020