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चिंतन और संवाद

मोरारी बापू : जीवंत समाधि के लक्षण

  • 20 Sep 2020

।। रामकथा ।। मानस समाधि ।।
1.... जिसको पृथ्वी पर कोई भी स्थान में आसक्ती ना हो.....एकांत यही उसका स्थान.. भीड़ में रहकर भी जो भीड़ का हिस्सा कभी ना बने.....
2... मौन साधना ...जितना हो सके पहुंचा हुआ बुद्ध पुरुष मौन होगा ...मौन जिसका स्वभाव हो ....
3...लोगों को प्रेरणा देने के लिए सम्यक नित्यकर्म ..
क्योंकि ऐसे महापुरुष का अनुवर्तन जीव करता है ...श्रेष्ठ जो जो करेगा लोग उसका अनुसरण करते हैं.....
4... त्याग और वैराग्य .... त्याग है ....वैराग्य है ...समर्पण भाव गजब का है ....वो जीवंत समाधि का लक्षण है....
5... स्वीकार करने का भाव ...जो भी हो उसका स्वीकार....
6... जिसका साधु स्वभाव हो.... साधु का एक स्वभाव  है कि किसीको उद्वेग हो ऐसा वाक्य नहीं बोलेगा.... परमात्मा राम का जो स्वभाव है वही साधु का स्वभाव है.....
7  सबसे एक प्रामाणिक डिस्टेंस रखे... कोई निकट नहीं... कोई पराया नहीं.... सबसे एक दूरी ....ना उसको उपेक्षा लगे.... ना वो अहंकार करे कि मुझे तो बहुत बहुत मानते हैं ...
8... सतत सहन करना... निरंतर... पल-पल ..लम्हा लम्हा सेहना..... और अनुभव में ऐसा आता है कि जितना ज्यादा सहन करो फिर भी जो अपनी सहनशीलता त्यागे ना ...ये जीवंत समाधियाँ है
9... सतत स्मरण... और सतत श्रवण.... निरंतर श्रवण करो... मेरे कान कथा में लगे रहे.... और चूकना मत... निरंतर स्मरण.... ये घड़ी न जाए बीत ....