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चिंतन और संवाद

OSHOकहिन : कृष्ण कह रहे हैं...

  • 12 Sep 2020

कृष्ण कह रहे हैं कि तू सब छोड़ दे। बुरा— भला सब मुझ पर छोड़ दे। तू जो भी कर रहा है, उसमें तू करने वाला मत रह। तू जान कि मैं तेरे भीतर से कर रहा हूं। तू ऐसा अर्पित हो जा।
कृष्ण कर्म छोड़ने को नहीं कह रहे हैं। इसलिए कृष्ण ने जो बात कही है, वह अति क्रांतिकारी है। कर्म छुड़ा लेने में बहुत कठिनाई नहीं है। आदमी कर्म छोड़कर जंगल जा सकता है। लेकिन कर्ता छुड़ा लेना असली कठिनाई है। और आदमी जंगल भी चला जाए कर्म को छोड़कर, तो यह अकड़ साथ चली जाती है कि मैं सब कर्मों को छोड़कर चला आया हूं। कर्ता पीछे साथ चला जाता है। कर्म तो बस्ती में छूट जाएंगे, कर्ता नहीं छूटेगा। कर्ता आपके साथ जाएगा। वह आपकी भीतरी दशा है। आप मकान छोड़ देंगे, घर—दुकान छोड़ देंगे, काम— धाम छोड़ देंगे, सब तरफ से निवृत्त होकर भाग जाएंगे जंगल में, लेकिन वह जो भीतर कर्ता बैठा है, वह इस निवृत्ति के ऊपर भी सवार हो जाएगा। निवृत्ति भी उसी का वाहन बन जाएगी। और जाकर जंगल में, वह अकड़ से कहेगा कि सब छोड़ चुका हूं। यह छोड़ना कर्म हो जाएगा।  यह त्यागना कर्म हो जाएगा। और अहंकार इससे भी भर लेता है। इसलिए कृष्ण ने कहा, कर्म छोड़कर कुछ भी न होगा अर्जुन, कर्ता को छोड़ दे!