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DGR विशेष

कौन सच्चा...? कौन झूठा...? जो भी हो लेकिन सेल्फ लॉकडाउन अत्यावश्यक हो गया है...

  • 10 Apr 2021


शहर ही नहीं बल्कि प्रदेश और पूरे देश में जिस तरह से कोरोना यह महामारी अपने पैर पसार रही है ...। हजारों, लाखों लोग इसकी चपेट में आकर मौत का शिकार हो रहे हैं...। अकेले इंदौर में ही सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 और 2021 में अब तक करीब 900 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है...। यह तो बात हुई सरकारी आंकड़ों की, 
लेकिन हकीकत देखी जाए तो यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि 
कौन सच्चा है...? और कौन झूठा... ? 
क्योंकि जिला प्रशासन द्वारा द्वारा कोरोना से हुई मौतों का जो आंकड़ा जारी किया जा रहा है उस पर शुरू से ही सवाल उठ रहे हैं...! 
अप्रैल माह के शुरूआती दिनों में जिला प्रशासन के आंकड़े बताते हैं कि शहर में 7 दिनों में कोरोना से केवल 20 मौतें हुई हैं, जबकि सूत्र बताते हैं कि शहर के पांच बड़े मुक्तिधामों का ईमानदारी से 7 दिन का रिकार्ड देखा जाए तो पता चलता है कि 1 अप्रैल से 7 सात अप्रैल तक कोरोना संक्रमण के कारण कई गुना लोगों की जान गई है...! 
दरअसल कोविड -19 को लेकर शुरूआत से ही जिला प्रशासन द्वारा मरीजों की संख्या के जो आंकड़े जारी किए जा रहे हैं वह संदेह के घेरे में हैं, क्योंकि जिस तरह से शहर के शासकीय और निजी अस्पतालों में मरीज उपचाररत हैं और बेड खाली नहीं मिल रहे हैं, उससे पता चलता है कि शहर में कोरोना के मरीज दिनोदिन बढ़ रहे हैं...!
सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि जिला प्रशासन इस बीमारी से हुई मौतों के सही आंकड़े भी नहीं बता रहा है। कोरोना से मौतों को लेकर जब  शहर के मुक्तिधामों जिस तरह से दिनोदिनों शवों का अंतिम संस्कार बड़ी संख्या में हो रहा है और यहां पर कोरोना किट पहनकर यह कार्य किया जा रहे है, उससे पता चलता है कि इस बीमारी से स्थिति कितनी भयावह होती जा रही है...! 
ऐसे में सवाल उठता है कि कौन सच्चा है...? और कौन झूठा...?
सरकारी आंकड़े या मुक्तिधामों के रजिस्टरों में दर्ज रिकार्ड...? 
खैर यह सच्चाई तो मौतों की आॅडिट रिपोर्ट में ही पता चलेगी...! 
इस महामारी के दौर में हम सबको ‘सेल्फ लॉकडाउन’ का कठोरता से अनुसरण करना चाहिए और साथ ही जितना हो सके करीबी लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। क्योंकि इस भयावह कोरोनाकाल में ‘सेल्फ लॉकडाउन’ का मतलब है खुद पर संयम रखना एवं अनावश्यक रूप से आवगमन ना करना। इसके माध्यम से हम ना केवल खुद को बल्कि समाज को भी संक्रमण के खतरे से बचा सकते हैं।