"100 डायल , क्राइम वॉच, सिटीजन कॉप यह तमाम हेल्पलाइन जो है वह महिलाओं की सुरक्षा के लिए ही है"
"पूरे इंदौर में एक ही महिला थाना है तो यहां हम यह नहीं देखते हैं कि यह किस थाना क्षेत्र की है पूरे इंदौर से कोई भी महिला कहीं से भी हो , पीड़ित महिला हो तो उसकी आसानी से हम तक पहुंच बनी हुई है "
"नई उम्र की जो बच्ची है,बालिका है, महिलाएं हैं, यदि किसी भी प्रकार की विपरीत परिस्थिति आपके साथ हो,तो ऐसी स्थिति में आपको धैर्य नहीं खोना है..हिम्मत रखना है"।
DGR @ PRO एल.एन.उग्र
इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है इसको आप किस नजरिए से देखते है ?
इंदौर में जो कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है इससे अवश्य ही अपराधियों पर अंकुश लगेगा उन पर कार्यवाही करने में आसानी होगी कमिश्नर सर के पास बहुत अधिकार है इस पर से निश्चित रूप से अपराधियों पर अंकुश लगेगा।
पिछले साल की तुलना में इस साल में अपराध का ग्राफ बढ़ा है या कम हुआ है?
इस बारे में मैं बहुत ज्यादा कुछ कहना नहीं चाहती और इंदौर में बहुत सारे थाने हैं कुछ कहने का आधार नहीं है मेरे पास। यह मेरा कार्यक्षेत्र नहीं है।
इंदौर में युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में आ रहा.. ?
इसके कई कारण हो सकते हैं इंदौर चूंकि एजुकेशनल हब भी हो चुका है यहां बाहर के भी काफी बच्चे आकर पढ़ रहे हैं और उन पर अंकुश नहीं रहता है। अकेले रहने का एक यह बहुत बड़ा रीजन होता है अगर बच्चे परिवार के साथ रहे तो इस पर अंकुश रहता है दूसरा कारण यह है कि वह घर से बाहर रहते हैं इसलिए जल्दी बहकावे में भी आ जाते हैं।
क्या महिलाएं वर्तमान में इंदौर में अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है ?
नहीं मुझे ऐसा महसूस नहीं होता है, बल्कि मैं तो इसमें दिन प्रतिदिन इस विषय में सुधार हो रहा है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए बहुत सारे काम हो रहे हैं, बहुत सारी बातें हो रही हैं, आप देखेंगे कई सारी हेल्पलाइन हैं जो महिलाओं की सुरक्षा के लिए ही चल रही है। 100 डायल , क्राइम वॉच, सिटीजन कॉप यह तमाम हेल्पलाइन जो है वह महिलाओं की सुरक्षा के लिए ही है और पुलिस का हमारा प्रयास रहता है कि छोटे-छोटे बच्चों को स्कूलों में हम जाकर अवेयरनेस कार्यक्रम करते हैं। हेल्पलाइंस के बारे में समझाते हैं। तो हम कह सकते हैं कि इंदौर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस के द्वारा पर्याप्त प्रयास किए जा रहे हैं।
मीडिया आदि के माध्यम से यह महसूस हो रहा है कि महिलाएं भी अपराध की ओर बढ़ रही है।
नहीं यह कहना ठीक नहीं है, यह तो परिस्थितियां होती हैं। इसके कारण कई बार महिलाएं अपराध की ओर अग्रसर हो जाती है, लेकिन सामान्य रूप से हम यह नहीं कह सकते हैं कि महिलाएं भी अपराध की ओर बढ़ रही है।
जो पीड़ित महिला है क्या वह आप तक बिना किसी औपचारिकता के आप तक आकर अपनी शिकायत कर सकती है ?
पीड़ित महिला की हम तक बहुत आसानी से पहुंच है, क्योंकि पूरे इंदौर में एक ही महिला थाना है तो यहां हम यह नहीं देखते हैं कि यह किस थाना क्षेत्र की है पूरे इंदौर से कोई भी महिला कहीं से भी हो , पीड़ित महिला हो तो उसकी आसानी से हम तक पहुंच बनी हुई है। पीड़ित महिलाओं की संख्या बहुत तादाद में है ... हमारे यहां किसी भी समय पीड़ित महिला हमारे पास शिकायत लेकर आ सकती है ।
घरेलू हिंसा में आप किसे दोषी मानते हैं ?
मेरा ऐसा मानना है कि घरेलू हिंसा में एक परिवार होता है,चारदीवारी का परिवार रहता है, एक महिला है उसके ससुराल पक्ष के लोग हैं पति सास ससुर देवर जेठानी ननंद सब हो सकते हैं। यदि महिला के साथ किसी भी तरह की हिंसा हो रही है चाहे वह शारीरिक हिंसा हो या मानसिक हिंसा हो हम उसे घरेलू हिंसा की श्रेणी में ले सकते हैं। इसमें ऐसा नहीं है की बहू है, पत्नी है तो ही शिकायत कर सकती है। सास अगर परेशान है तो सास भी घरेलू हिंसा के तहत शिकायत कर सकती है इसमें महिला का होना ही पर्याप्त है।
क्या घरेलू हिंसा जो होती है उसके लिए सिर्फ ससुराल पक्ष ही दोषी है?
नहीं ऐसा नहीं है ,क्या होता है कि आज लोगों में सहनशक्ति बहुत कम हो गई है। हमारे पास जो मैटर आते हैं उसमें बहुत छोटी छोटी सी बातें रहती है, परिवार के बीच में कोई बड़ा मुद्दा नहीं रहता है विवाद की स्थिति में दोनों को समय रहते दोनों पक्षों को समझा जाए उन्हें यह एहसास कराया जाए कि यह विवाद ठीक नहीं है, उन्हें अच्छे बुरे का भान करा दिया जाए और वे समझ भी जाते हैं। कई बार परिवार टूटने से बच जाते हैं, हमारी यही कोशिश रहती है कि यदि कोई भी आवेदिका या शिकायतकर्ता महिला आती है तो उसके ससुराल पक्ष या अनावेदक पक्ष जो रहता है उसे बुलाते हैं, काउंसलिंग करवाते हैं और उसके जरिए विवाद को सुलझाने का प्रयास करते हैं। हम सीधे FIR इसलिए नहीं करते हैं कि क्योंकि यह सब पारिवारिक लोग होते हैं, यह लोग आदतन अपराधी नहीं होते हैं और महिला भी यही चाहती है कई बार यह होता है कि वह खुद चाहती है, कि ससुराल पक्ष को बुलाकर समझा दे जिससे कि समय रहते हुए परिवार से बंधे रहे और परिवार टूटने से बच जाए।
सामाजिक बदलाव के लिए महिला पुलिस के क्या प्रयास होते हैं ?
देखिए सामाजिक बदलाव एक बहुत बड़ा विषय है, इस बारे में बहुत ज्यादा अधिक तो नहीं लेकिन हां मुझे लगता है कि जो आज का परिदृश्य चल रहा है, उसमें हम लोग स्कूल कॉलेजों में भी जाते हैं वहां पर छात्राओं को , बच्चों को समझाते हैं,कि सोशल मीडिया के बारे में बताते हैं और यह बताया जाता है कि कोई भी चीज की लत बुरी होती है। पर्टिकुलर कोई चीज बुरी नहीं होती है। मेरा ऐसा मानना है कि सोशल मीडिया को आप लत मत बनाओ और यदि आप उसमें कुछ कर भी रहे हो तो यह सोच समझ कर करो कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है, कोई आपका फायदा उठा सकता है, यह इस तरह की बहुत सारी छोटी छोटी चीजें हमारे द्वारा समझाए जाती है। हमारी जो नई जनरेशन है वह इन सब बातों को समझ जाए तो मुझे लगता है कि उनके द्वारा कोई भी की गई चीजों को उनके खिलाफ में उपयोग नहीं कर पाएगा,यही सब सावधानी रखने की आवश्यकता है।
कोई आदतन महिला अपराधी आपकी नजर में आई क्या?
देखिए यहां तो सारे पारिवारिक मामले ही आते हैं। मेरे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है,जो आदतन महिला अपराधी के रूप में उल्लेख की जाए।
पिछले समय की तुलना में क्या पुलिस की छवि सुधरी है ?
देखिए पुलिस विभाग के द्वारा कुछ समय से बहुत अच्छा किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। समय-समय पर हमारे वरिष्ठ अधिकारी भी कहते हैं कि, हमारे व्यवहार को लगातार सुधार करने की आवश्यकता है। और यह प्रयास जारी रहना चाहिए,हम देखते हैं कि जब एक मरीज डॉक्टर के पास जाता है और वह दो बोल अच्छे से बोल लेते है, तो मरीज की आधी बीमारी ठीक हो जाती है। तो एक तरह से देखा जाए तो हम सभी एक डॉक्टर के रूप में ही है और हमारे व्यव्हार से निश्चित रूप से अच्छा हो सकेगा। ऐसा हमारा सब का प्रयास रहता है। यहां पर अगर वह परेशान है और उसको बिठाकर सिर्फ पानी पिला दिया जाए तो मुझे लगता है कि 100% में से 40% हम वही उसे कंफर्टेबल कर पाते हैं तो इनिशियल इनीशिएटिव जो शब्द होता है और इन सब बातों से समाज में अच्छा मैसेज जाएगा।
पूरे इंदौर में एक ही महिला थाना तो सारे इंदौर की महिलाएं आज जो पीड़ित है वह आप तक आती है ?
पूरे इंदौर की नहीं पूरे देश की महिलाएं यहां आती है क्योंकि यहां पर जो महिलाएं रहती है उनका मायका हो या ससुराल हो। वह अपने पीड़ित होने की रिपोर्ट कर सकती है, हम किसी भी महिला को वापस नहीं करते यह सोच कर कि यह से किसी और संबंधित थाने से आई है। ऐसे में अनावेदक जो मुंबई का हो या या दिल्ली का हो कहीं का भी हो तो हम उसे बुलाते हैं। बातचीत करते हैं और करवाते हैं और उससे वह मामले को सुलझाने का प्रयास करते हैं।
महिलाओं के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे ?
मेरा संदेश है कि नई उम्र की जो बच्ची है,बालिका है, महिलाएं हैं, यदि किसी भी प्रकार की विपरीत परिस्थिति आपके साथ हो,तो ऐसी स्थिति में आपको धैर्य नहीं खोना और किसी भी तरह से यह स्टेप लेना है कि, आप वहां से मूव कर सको या आप हंड्रेड डायल कर सकते हो तो वह करो एफ आर वी जो रहती है वह आपकी मदद के लिए पहुंचेगी और समय है तो आप किसी भी तरह से उसको चकमा देकर वहां से क्विट करो लेकिन यह सब आप तभी कर पाओगे जब आप हिम्मत रखोगे और धैर्य रखोगे।