कुछ संस्थाओं की जमीनों पर कब्जे भी
इंदौर। जिला प्रशासन द्वारा जिन 29 संस्थाओं की जांच करवाई जा रही है, उनमें अधिकांश संस्थाओं में सदस्यों को भूखंड आवंटित न करते हुए जमीनों का सौदा कर दिया। जानकारी के अनुसार विवादित 29 संस्थाओं में से 26 संस्थाओं की जमीनें सदस्यों को धोखे में रख बेच दी गई है।
इंदौर जिले में सहकारिता गतिविधि बहुत अधिक है। प्रदेश में सबसे अधिक सहकारी संस्थाएं आज भी इंदौर जिले में है। 1990 के दशक तक सहकारिता गतिविधियों के लिए इंदौर की अलग पहचान थी, लेकिन 21वीं शताब्दी के साथ ही सहकारिता पर माफियाओं का कब्जा हो गया और साख तथा गृह निर्माण संबंधी संस्थाओं में बड़े पैमाने पर घोटाले हुए है।
गृह निर्माण संस्थाओं में वर्तमान में कार्यरत एक तिहाई से अधिक संस्थाओं में गड़बडिय़ों की शिकायतें है और जांच में भी कई बार यह साबित हुआ है कि गृह निर्मा संस्थाओं के पदाधिकारियों की भूमिका माफियाओं वाली है। इंदौर की लगभग सभी बड़ी संस्थाओं पर भूमाफियाओं के कब्जे हंै। पिछले 1 महीने से चल रही एंटी माफिया कार्रवाई के दौरान कलेक्टर द्वारा जिन 29 संस्थाओं की जांच करवाई जा रही है। उनमें 26 ऐसी संस्थाएं है जिनमें सदस्यों को धोखे में रखकर जमीनें ठिकाने लगाने का काम किया गया। जानकारी के अनुसार इन संस्थाओं की 75 एकड़ से अधिक जमीन बाले-बाले बेच दी गई। जबकि नियमानुसार सदस्यों को भूखंड आवंटित किया जाना था।
ज्ञात रहे कि पिछले दिनों कलेक्टर ने 29 संस्थाओं का रिकार्ड जब्त करवाकर संस्थाओं की जांच करवाई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि सभी संस्थाओं की जांच पूरी कर रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी जाएगी। बताया जाता है कि जांच की जा रही संस्थाओं में 4 हजार से अधिक पीडि़त सदस्य है। इनमें 450 से अधिक सदस्यों की शिकायतें भी है। वहीं कुछ संस्थाएं ऐसी भी है, जिनमें संचालकों के इशारों पर जमीन पर कब्जा हो चुका है।
सारथी की जमीन पर कब्जा
भूमाफियाओं पर कार्रवाई के दौरान जहां शहर से कई भूमाफिया और गुंडे भाग खड़े हुए वहीं कनाडिय़ा रोड पर एक संस्था की जमीन पर कब्जे का नया मामला सामने आया है। गृह निर्माण संस्थाओं पर माफियाओं के कब्जे और संस्थाओं की जमीन पर अवैध कब्जे और निर्माण के एक के बाद एक मामले सामने आते जा रहे है। जांच में शामिल संस्थाओं के घोटालों के अलावा 1 संस्था सारथी गृह निर्माण की जमीन पर कब्जा करने की शिकायत भी प्रशासन तक पहुंची। शिकायतकर्ताओं ने बताया कि संस्था की कनाडिय़ा रोड पर खजराना ग्राम की भूमि सर्वे क्र 1391 पर युनूस पटेल आदि ने कब्जा कर लिया है। युनूस ने संस्था के अलावा अन्य जमीनों पर भी टीन शेड बनाकर कब्जा किया है। जानकारी के अनुसार कनाडिय़ा रोड निर्माण के दौरान युनूस पटेल की जमीन सड़क में चली गई, जिसका युनूस ने मुआवजा भी ले लिया है और शासकीय रिकार्ड में अब यह जमीन (सर्वे क्र. 1392) मध्य प्रदेश शासन शहरी सिलींग की है। जमीन अधिग्रहण के बाद भी युनूस ने इस सर्वे नंबर 1392 को अपना बताकर संस्था की जमीन सर्वे क्र. 1391 और शासकीय जमीन पर कब्जा कर लिया।
बगीचे पर भी अतिक्रमण
कनाडिय़ा रोड स्थित प्रेम बंधन गार्डन के पीछे कॉलोनी के एक बगीचे पर भी युनूस पटेल एवं उसके साथियों का कब्जा है। इस उद्यान में पूर्व महापौर उमाशशि शर्मा द्वारा लोकार्पण का बोर्ड अब भी लगा है।
रेकार्ड जांचने के लिए बाहर से बुलाए अधिकारी
सहकारिता विभाग ने गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के जब्त किए गए रेकार्ड को जांचने के लिए दूसरे जिलों से 22 अधिकारी इंदौर बुलवाए है। इन अधिकारियों की मदद से अब इस रेकार्ड की स्कू्रटनी का काम तेज गति के साथ किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन क्लीन के कार्यों की समयावधि में निष्पादन के लिए इंदौर जिले की गृह निर्माण संस्थाओं के संबंध में दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई करने हेतू रेकार्ड का परीक्षण किया जाना आवश्यक है। जिला प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार कार्य करने के लिए इंदौर संभाग के सहकारिता विभाग के जिला कार्यालय में पदस्थ स्टाफ को इंदौर में कार्य करने के लिए बुलाने के लिए संयुक्त आयुक्त जगदीश कन्नौज के द्वारा एक प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा गया था। इस प्रस्ताव पर सहकारी मंत्री के द्वारा मंजूरी देते हुए आदेश जारी किए गए थे।
इन अधिकारियों को लगाया
इस आदेश के अनुसार धार से रमेशचंद मालवीय, राजेंद्रसिंह ठाकुर, राकेश व्यास, अशोक कुमार गुप्ता, नीतेश कोगे, जीएस वर्मा, सौरभ प्रतापसिंह, संजय दवे। बड़वानी से महेंद्र तडताल, अशोक शर्मा व पवन अग्रवाल। झाबुआ से तोलाराम मुनिया, मयंक रावत, भूपेंद्र जामोद, अलीराजपुर से वैसलाश सिसौदिया, राहुल चौहान। खरगोन से एनके राठौर, ओपी यादव, बीएल सोलंकी, मनोज शेलके, राधेश्याम चौहान व योगेश शरद को लगाया गया है। इन सभी अधिकारियों से आज ही इंदौर पहुंचकर अपनी आमद देने के लिए कहा गया है।
2 हजार प्लाटों की रस्साकशी
विभाग के द्वारा माह फरवरी तक 2 हजार व्यक्तियों को प्लाट देने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस समय रस्साकशी चल रही है। विभाग के अधिकारी एक-एक संस्था को खंगालते हुए यह देखने में लगे हुए है कि किस संस्था से कितने प्लाट किस तरह से निकल सकते है, ताकि उन प्लाटों का आवंटन किया जा सके और उसके माध्यम से अपने लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
संस्था के पदाधिकारियों को किया तलब
इन दिनों सहकारिता विभाग के अधिकारियों के द्वारा विभिन्न गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के पदाधिकारियों को तलब किया जा रहा है। इन पदाधिकारियों से यह समझने की कोशिश की जा रही है कि उनकी संस्था में ऐसे कितने प्लाट है जो कि विकसित तो है लेकिन जिनका आवंटन नहीं किया गया है। इन प्लाटों का आवंटन करने में क्या समस्या है। यह जानकारी हासिल करने के साथ ही साथ इन सभी को ऐसी समस्याओं को सूचीबद्ध करने में लगाया गया है।
निगम भी पड़ा चिंता में
इंदौर नगर निगम के अधिकारी इन दिनों चिंता में पड़े हुए है। इस चिंता का कारण यह है कि नगर निगम के पास भी बड़ी संख्या मेंशिकायतें आई है। इसमें अवैध निर्माण की शिकायतों के साथ ही साथ निगम के अधिकारियों द्वारा गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के पदाधिकारियों के साथ सगनमत होकर नियमों के विपरित जाकर दी गई अनुमतियों के मामले भी शामिल है। अब इन शिकायतों को नगर निगम के द्वारा अपने झोनल कार्यालयों पर भेज कर वहां से शिकायतों का परीक्षण कराया जा रहा है। निगम के सामने इन शिकायतों के आधार पर कार्रवाई करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। निगम के अधिकारी यही सोचने में लगे हुए है कि आखिर इस चुनौती का सामना किस तरह से किया जाए।
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- 12 Jan 2020