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संवाद और परिचर्चा

मीणा कर्णावत देपालपुर थाना प्रभारी

  • 30 Aug 2022

DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )


शहरी थाना क्षेत्र एवं ग्रामीण थाना क्षेत्र में क्या अंतर है?
यदि कोई गंभीर घटना घटित होती है, तब आसपास के थानों में दूरी होने के कारण पुलिस बल उपलब्ध होने में समय लगता है। संसाधन का अभाव व बल की कमी रहती है। फिर भी पुलिस बल घटना के समय उपलब्ध होकर वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में कार्य करती है।

शहरी थाना क्षेत्र के अपराध व ग्रामीण थाना क्षेत्र के अपराध किस तरह के होते हैं?
सभी थानों पर हर प्रकार के अपराध होते हैं जैसे साइबर क्राइम, धोखाधड़ी आदि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक एवं जमीन संबंधी अपराध अधिक होते हैं, उन्हें विवादों से अत्यधिक गंभीर घटना घटित होती है।

अपराधी प्रवृत्ति होने के पीछे आपकी नजरों में मुख्य कारण क्या है?
आपराधिक प्रवृत्ति के होने के लिए निम्न कारक होते हैं पारिवारिक पृष्ठभूमि, संगति, रहन-सहन का वातावरण, अशिक्षा, गरीबी, आपसी रंजिश इत्यादि।

पारिवारिक विवादों की स्थिति में पुलिस की भूमिका?
पारिवारिक मामलों में पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका पारिवारिक मामलों को परिवार के स्तर पर संभालने की होती है। आपसी समझाइश देकर, सुलह विवाद सुलझाने हेतु दोनों पक्षों की काउंसलिंग लेना एवं परिवार बनाए रखना।

सामाजिक बदलाव के लिए पुलिस कार्यप्रणाली?
सामाजिक बदलाव हेतु पुलिस की कार्यप्रणाली थाना क्षेत्र में व्याप्त रीति रिवाज आहत ना करते हुए विधि अनुसार कार्य करना चाहिए, पुलिस समाज का ही अंश है। समाज को बढ़ाने वाले हर कारक जैसे समाज में अपराधों के प्रति जागरूकता अभियान चलाना, मानव व्यवहार संबंधी सेमिनार लेकर अशिक्षित विभाग अथवा शिक्षित वर्ग अपराधों एवं उनके अधिकार, अपराधों से बचाव हेतु अवगत कराना।

ऐसा माना जाता है कि पुलिस बदलेगी तो समाज बदलेगा?
पुलिस समाज का अभिन्न अंग है। पुलिस व समाज एक परस्पर चलने वाली गाड़ी है। यदि बदलाव पुलिस में आएगा तो इसका प्रभाव स्वतः से समाज में देखा जा सकता है। इसी तरह यदि समाज में कोई बदलाव होता है तो पुलिस में उसका प्रभाव दर्शनीय होता है। इसी बदलाव के कारण समाज में पुलिस में आपसी सामंजस्य बना रहता है।

आपके कार्य क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप को आप कैसे देखते हैं?
राजनेता समाज से ही जुड़ा होकर समाज का ही प्रतिनिधि होता है। यदि किसी मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप होता भी है तो दोनों पक्षों की बात सुनकर हर वैधानिक कार्रवाई की जाती है।

आदतन अपराधी पर आपकी टिप्पणी?
आदतन अपराधी की निरंतर चेकिंग कर, गुजर बसर के बारे में समय-समय पर पता कर कार्रवाई कर, समझाइश देकर अपराधी को उसकी आपराधिक प्रवृति से निकलने में मदद करना। समय-समय पर निगाह रख बाउंड ओवर की कार्रवाई करना, यदि फिर भी कोई अपराध करता है तो दंडात्मक कार्रवाई करना इत्यादि।

भ्रष्टाचार पर टिप्पणी?
भ्रष्टाचार एक सामाजिक, आवश्यक बुराई है, जिसका हर क्षेत्र में व्याप्त होना आवश्यक नहीं है। भ्रष्टाचार आज समाज का एक नजरिया बन चुका है जिस में बदलाव आवश्यक है। यदि हम भ्रष्टाचार रखेंगे तो समाज में भी हमारा स्तर व लोगों के प्रति हमारा नजरिया वैसा ही होगा।

नशा मुक्ति के लिए पुलिस के प्रयास?
नशा मुक्ति एक सामाजिक बुराई है जिसे सुधारने में हमारे द्वारा सेमिनार लिया जाता है। लोगों को नशा न करने की समझाई देना, अपने स्वास्थ्य, परिवार समाज के लिए नशा मुक्त होने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाना। नुक्कड़ नाटकों का आयोजन करना इत्यादि ताकि समाज से यह बुराई खत्म की जा सके।