कैदियों की सुरक्षा करने वाले नेवले, दो साल से लापता!
जेल प्रेहरी के साथ करते थे ' ड्यूटी '
इंदौर। सेंट्रल जेल में प्रहरियों के साथ उछल कूद करते हुए ड्यूटी करने वाले नेवले करीब दो साल से लापता हैं। जी हां, सुनने में यह बात अजीब लग रही होगी, लेकिन है बिलकु ल सही। सात साल पहले जेल के आस-पास सांपों का आतंक था, आए दिन वहां सांप निकलते थे । यहीं नहीं उन सांंपों ने तीन कैदियों को डंसा भी था। उसमें से एक कैदी की मौत भी हो गई थी। इस बात से जेल का स्टाफ जहां एक तरफ परेशान था वहीं दूसरी तरफ डरा हुआ भी था। सांपों से निजात पाने के लिए आस पास से करीब दो दर्जन नेवले लाए गए थे, जिन्होंने अपनी ड्यूटी इमानदारी निभाइ नतिजा ये कि तब से अभी तक किसी भी कैदी के साथ कोई हादसा नहीं हुआ है। उस समय जेल ही उनका घर था और जेल स्टाफ और कैदी इनके परिजन, लेकिन जब से वहां बाउंड्री बनी है तब से नेवले कहां गए? क्या हुआ उनके साथ? किसी को कोई खबर नहीं।
शहर की सेंट्रल जेल लगभग 177 साल पुरानी है। जेल में करीब डेढ़ साल पहले लगभग दो दर्जन नेवले 24 घंटे वार्डों और उनमें बनी बैरकों में धमा चौकड़ी मचाते हुए कैदियों की सुरक्षा के साथ उनका मनोरंजन भी करते थे। इस संबध में तत्कालीन जेल अधीक्षक रमेशचंद्र आर्य से बात कि तो उन्होंने बताया कि कैदियों को सांप काटने की घटना के बाद वर्ष 2011 में नरसिंहपुर जेल से नेवले के चार बच्चे (मेल, फीमेल सहित) लाए गए थे। नए मेहमान आने के बाद तब उनका कुनबा बढ़ गया था और वो चार से दो दर्जन हो गए थे। उस समय की बात करें तो वो नेवले अपना काम इमानदारी से करते थे।
सांप और विषैले जीव आते थे
पूर्व अधीक्षक रमेशचंद्र आर्य ने बातया कि पहले जेल के आस पास काफी खुला था। वहां बारिश के समय उंची घास भी उगती थी। वहीं जेल की बाहरी दीवार में कई जगह ऐसी थी कि वहां सांप या अन्य विषैले जीव घुस आते थे। पूर्व में चार कैदियों को सांप ने डसंा था उसमें से एक कैदी की मौत भी हो चुकी है। और तीन कैदियों की जान बचा ली गई।
नेवले आए तो चले गए सांप
उस घटनाओं को देखते हुए जेल स्टाफ जहां एक तरफ परेशान था वहीं डरा हुआ थी था। पूर्व घटनाओं को देखते हुए तत्कालीन जेल प्रबंधन ने लोगों से मिले सुझावों के आधार पर नेवले मंगवाए गए। उनके आने के बाद से जेल परिसर में एक भी सांप किसी को नजर नहीं आया। हालांकि जेल के बाहर झाडिय़ों में सांप रहते थे, लेकिन माना जाता है कि अपने परंपरागत दुश्मनों की पहरेदारी के कारण सांपों ने जेल का रुख करना छोड़ दिया था।
कहां गए किसी को पता नहीं
2011 से 2017 तक नेवलों ने ईमानदारी से काम करते हुए सांपों को वहां से भगा डाला था, लेेकिन उसके बाद अधीक्षक और स्टाफ बदल गया फिर किसी ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया अब हाल ये है कि वो दो दर्जन नेवले कहां गए किसी को भी नहीं पता। इस संबध में सेंट्रल जेल अधीक्षक राकेश भांगरे से बात की। पहले तो उन्हें बड़ा अजीब लगा कि एसा भी हो तो है कि नेवले यहां ड्यूटी करते थे, फिर उन्होंने पूर्व के स्टाफ से चर्चा करने के बाद बताया कि यहां नेवले थे, लेकिन अब कहां है किसी को नहीं पता। वहीं अधीकक्ष ने यह भी कहां की यदी उन्होंने यहंा से सांप का आतंक दूर किया है तो यह जानना जरुरी है कि वो अब कहां हैं।