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DGR विशेष

शहर में पुलिस के आधे से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे बंद

  • 31 Jan 2021

करोड़ों रुपए खर्च कर लगाए थे, अब फिर भेजा नए लगाने का प्रस्ताव
इंदौर। शहर के यातायात को व्यवस्थित बनाने और सुचारू रूप से चलाने के लिए भी हाईटेक तकनीक ही अपनाई जा रही है। सुरक्षा और यातायात की सुविधा के लिए शहर में पुलिस ने करोड़ों रुपए की लागत से 900 सीसीटीवी कैमरे लगाए थे, इनमें से 500 खराब हो गए हैं।  ऐसे में अब पुलिस विभाग निजी सीसीटीवी कैमरे के भरोसे ही वारदातों का पता लगा रहा है। अब नए कैमरे के लिए फिर विभाग को पुलिस के जिमेदारों ने प्रस्ताव भेजा है।


शहर में जगह-जगह पर चेन, मोबाइल, पर्स लूट, चोरी सहित अन्य घटनाओं व सड़क हादसों में आरोपियों की पहचान के लिए पुलिस ने पूरे शहर में सुरक्षा व्यवस्था के चलते सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना बनाई और इसके लिए कुछ स्थानों का चयन करने के बाद करोड़ों की लागत के 900 सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। इनमें वे कैमरे भी शामिल हैं, जो यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए लगाए गए हैं। इन कैमरों के लगाए जाने के बाद जहां यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाऊ कार्रवाई करते हुए उनके घर पर चालान पहुचाए जाने लगे, वहीं किसी भी वारदात या घटना को अंजाम देने के बाद फरार हुए आरोपियों को भी पकडऩे में भी मिली को सफलताएं मिली है, लेकिन अब यह कैमरे देखरेख के अभाव में बंद होने लगे हैं।
अधिकारियों की माने तो सिटी सर्विलांस के लिए पहले करोड़ों रुपए खर्च कर पुलिस ने 300 कैमरे लगाए थे, जो बाद में बंद हो गए, उसके बाद 600 कैमरे लगाए गए, उसमें से 200 कैमरे भी बंद पड़े हैं। कुल मिलाकर 2 बार में लगाए गए 900 कैमरों में से 500 कैमरे बंद हो चुके हैं।


नए कैमरे लगाने का भेजा प्रस्ताव
सूत्रों की माने तो फिर से नए कैमरे लगाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। शहर में 2000 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे,जिसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।


ई चालाना में हो रहा उपयोग
वर्षों पूर्व जेल रोड और 56 दुकान पर सीसीटीवी कैमरे चोर उचक्के और लूटपाट करने वालों के लिए लगाए गए थे लेकिन इन कैमरों का उपयोग यातायात पुलिस ने ई -चालान में करना शुरू किया था। अभी चौराहा - चौराहा पर जो सीसीटीवी कैमरे लगे हैं वह सिर्फ वाहन चालक की नेम प्लेट पर ही नजऱ रखते हैं, इसलिए चोरियों की वारदात कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, इस और सरकार भी ध्यान नहीं दे रही है।


बॉडी वार्न कैमरे रोक रहे विवाद
50 कैमरोंसे ही बनाए जा रहे हैं स्पॉट पर चालान
यातायात पुलिस को बॉडी वार्न कैमरे से लैस करने के बाद चेकिंग के दौरान होने वाली झड़प, नेताओं की धमकियों जैसी अन्य शिकायतों में कमी आई है। बॉडी वार्न कैमरे से बनने वाले चालानों के बाद शिकायत नहीं मिली है। इन कैमरों की विशेषता यह है कि ट्रैफिक पुलिस के साथ या उनके द्वारा की गई कोई भी हरकत कैमरे में कैद हो जाती है। इसकी मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम से की जा रही है। यदि कोई भी व्यक्ति किसी प्रकार की अभद्रता या मारपीट करता है तो उसकी पूरी रिकॉर्डिंग कंट्रोल रूम तक पहुंचती है। इसके अलावा ट्रैफिक जवान व अधिकारी की लोकेशन भी कैमरे के माध्यम से ट्रेस हो जाती है।

इधर यह व्यवस्था पुलिसकर्मियों के साथ हो रही बदसलूकी के चलते की गई है। जून में इस सुविधा की शुरुआत हुई थी। चलानी कार्रवाई के समय कईं बार पुलिस से अभद्रता और मारपीट तक हो जाती है और लोग पुलिस पर ही दुव्र्यवहार का आरोप लगाते हैं। इस बॉडी वार्न कैमरे की मदद से सारे सुबूत मौजूद रहेंगे। जरूरत पडऩे पर आरोपी के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा की कार्रवाई भी की जा सकती है।


रिकॉर्डिंग को नहीं किया जा सकता डिलीट
इस सिस्टम की खासियत है कि इसकी रिकॉर्डिंग कोई भी डिलीट नहीं कर सकता है। इसके आधार पर जो कार्रवाई होगी वह निष्पक्ष रहेगी। यह कैमरा ट्रैफिक जवानों के कंधे या सीने पर लगा होता है। संबंधित अफसर इसका इस्तेमाल छह महीने से कर रहे हैं। बीते दिनों कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं, जब नेताओं ने ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करवाने की धमकी व अन्य प्रकार से विवाद किया है।


कंट्रोल रूम पर ट्रेस होती है लोकेशन
पुलिस को मुख्यालय से 50 बॉडी वार्न कैमरे दिए गए हैं। इनका इस्तेमाल ट्रैफिक पुलिस द्वारा शुरू कर दिया गया है। जो भी पुलिसकर्मी इसका इस्तेमाल करेगा उसकी लोकेशन भी कंट्रोल रूम पर ट्रेस हो जाएगी। प्रारंभिक तौर पर इसका उपयोग एबी रोड, रिंग रोड और एमजी रोड सहित भीड़-भाड़ वाले इलाकों में किया जा रहा है। वर्तमान में ट्रैफिक विभाग के 20 सूबेदारों को ये कैमरे दिए गए हैं, वहीं पुलिस के पास 30 कैमरे हैं, जिससे ट्रैफिक व अन्य गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है।
रणजीत सिंह देवके, एएसपी ट्रैफिक