4000 पद खाली; मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग 15 दिन बाद भी जारी नहीं कर सका विज्ञापन
भोपाल । मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग में करीब 4 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। विभाग रोस्टर फाइनल कर MPPSC को प्रस्ताव बनाकर भेज चुका है। इसके 15 दिन बाद भी विज्ञापन जारी नहीं हो सके हैं। इनमें से पहले चरण में 2053 पदों पर भर्ती निकाली जाएंगी।
विभाग में 2053 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए रोस्टर फाइनल कर भर्ती का प्रस्ताव ऑनलाइन भेज दिया है। पहले चरण में सहायक प्राध्यापक के विभिन्न विषयों के 1,669 पद, ग्रंथपाल के 255 व खेल अधिकारी के 129 पदों पर भर्ती होगी। बाकी पद कर्मचारी चयन मंडल के जरिए भरे जाएंगे।
दूसरे चरण में शेष पद भरे जाएंगे
खाली पद दो चरणों में भरे जाएंगे। पहले चरण में 2053 पद भरे जाने हैं। दूसरे चरण में शेष पदों पर भर्ती की जाएगी। हालांकि यह पद कब भरे जाएंगे। इस संबंध में निर्णय नहीं लिया गया है।
जानकारी के अनुसार MPPSC पदों की भर्ती के लिए सहमति भी दे चुका है। इस संबंध में भर्ती का विज्ञापन भी दिसंबर के अंत तक जारी किए जाने की बात कही गई थी। हालांकि अब तक मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग शेड्यूल नहीं बना पाया है।
गेस्ट फैकल्टी को नुकसान होगा
गेस्ट फैकल्टी वालों को 4 नंबर दिए गए हैं। इनका नोटिफिकेशन इसी साल तक का है। इस कारण इन पदों पर भर्ती इसी साल निकालना जरूरी है। विभाग इसी साल भर्ती निकालने का प्रयास कर रहा है। सूत्रों की मानें तो विभाग ने आयोग से संपर्क किया है।
5 साल बाद पद निकले
विभाग ने 5 साल पहले 2017 में करीब ढाई हजार पद भरे थे। इससे पहले 1992 में जनरल के पद निकले थे। उसके बाद सामान्य वर्ग के लिए भर्ती नहीं निकाली थी, लेकिन 1994-98 में बैकलॉग के पद भरे गए थे। लंबे समय बाद 2017 में सामान्य के पद भरे गए थे।
स्वीकृत पदों पर सिर्फ 5% ही भरने की अनुमति
उच्च शिक्षा विभाग में 4 हजार पद खाली हैं। इनमें से स्वीकृत पदों में से हर साल सिर्फ 5% पद भर सकते हैं। इसके बाद भी उच्च शिक्षा विभाग ने एक साथ भर्ती कराने के लिए सभी तरह के पदों को मिलाकर पहले चरण में 2053 पद वैकेंसी निकाली हैं।
सभी पदों पर इस तरह होती है भर्ती
सहायक प्रोफेसर, सह प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर प्रत्यक्ष रूप से भर्ती की जाती है। विज्ञापन जो कि अखिल भारतीय स्तर पर किया गया है। नियमित रूप से गठित चयन समिति द्वारा किए गए चयन पर निर्भर रहेगा। साथ ही, इन नियमनों के अधीनस्थ होगा, जो नियमन उस सम्बद्ध भारत का राजपत्र, सितम्बर 18, 2010 (भाद्रपद 27, 1932) विश्वविद्यालय के अध्यादेशों / नियमों में समाविष्ट किए जाने हैं। ऐसी समितियों का गठन उसी रूप में किया जाना चाहिए। जैसा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इन नियमनों में निर्धारित किया गया है। इन सभी पदों के लिए न्यूनतम अर्हताएं वही मानी जाएंगी, जिन्हें इन नियमों के अंतर्गत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित किया गया है।
भोपाल
MP में उच्च शिक्षा विभाग में भर्ती नहीं निकली
- 31 Dec 2022