DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )
हमारे अखबार के संकल्प सूत्र वाक्य "सतर्क रहें सजग रहें अभियान " पर आपका संदेश ?
यह बहुत अच्छी बात है व्यक्ति को हमेशा सतर्क रहना चाहिए और सतर्क रहेगा तो सुरक्षित रहेगा । सतर्क रहना ही चाहिए। अगर व्यक्ति सतर्क रहेगा तो कई खतरों से बचा रहेगा। आज के समय में काम लापरवाही से होगा तो खतरा बना रहेगा। सतर्क रहेगा तो एक सुरक्षा का कवच बना रहेगा । सजग रहना भी समय की आवश्यकता है । साइबर फ्रॉड हो,या अन्य आपराधिक गतिविधियां सभी जगह सावधानी से सुरक्षा बनी रहेगी।
शहरी थाना क्षेत्र और ग्रामीण थाना क्षेत्र की कार्य प्रणाली में अंतर बताइए ?
शहरी और ग्रामीण थाना क्षेत्र की पुलिस कार्यवाही में बहुत बड़ा अंतर नहीं है । ग्रामीण थाना क्षेत्र होने के कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। यहां पर पुलिसकर्मी कुछ रिलैक्स में रहते हैं , लेकिन जब वह वारदात होती है तो पूरी सतर्कता से वह अपना काम करते हैं । शहरों में वारदात होने पर पूरी एकजुटता से काम होता है, वहीं ग्रामीण थाना क्षेत्र में वारदात होने पर जो कम संख्या में बल होता है ,वही पूरी सक्रियता से वारदात को देखना पड़ता है। अगर दो पुलिसकर्मी यहां पर हैं तो उनको ही हैंडल करना होता है।
बड़े थानों में अपराध और छोटे थानों में जो अपराध होते हैं ,वह किस तरह के होते हैं ?
शहरी थाना क्षेत्रों में साइबर क्राइम की ज्यादा समस्या है और यहां पर ग्रामीण क्षेत्र में मारपीट के मामले ज्यादा होते हैं, शहर में धोखाधड़ी का अपराध ज्यादा होते हैं यहां पर आपसी विवाद ज्यादा होते हैं,लड़ाई झगड़ा आदि के अपराध अधिक होते हैं।
अपराधी होने के पीछे आपकी नजरों में मुख्य कारण क्या होते हैं ?
अपराधी अपनी पृष्ठभूमि के आधार पर होता है, उसके पीछे पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है ? सामाजिक वातावरण कैसा है ? एक होता है बेरोजगारी इस कारण से भी व्यक्ति अपराध की ओर चला जाता है। इसी कारण से अपराधों में वृद्धि होती है। अचानक अपराध भी हो जाते हैं, बदले की भावना से भी हो जाते हैं।
पारिवारिक विवादों की स्थिति में पुलिस की भूमिका ?
पुलिस की भूमिका हमेशा अच्छी होती है, उनको समझाया जाता है और इसके माध्यम से विवाद खत्म करने का प्रयास पुलिस का रहता है। काउंसिलिंग के माध्यम से भी उनको विवाद खत्म करने के लिए तैयार किया जाता है । पुलिस का हमेशा यही प्रयास रहता है कि परिवार ना टूटे ।
सामाजिक बदलाव के लिए पुलिस की क्या भूमिका होती है?
सामाजिक परिवेश को सुधारने के लिए मेरा ऐसा मानना है कि जैसे समाज सुधारता है वैसे ही पुलिस भी सकारात्मक कार्य करती है, पुलिस भी समाज का ही एक अंग है,पुलिस के जो लोग होते हैं वह भी समाज के ही होते हैं । जैसे सामाजिक बदलाव होते हुए भी पुलिसिंग भी की जाती है। जैसे सामाजिक वातवरण होता है वैसे ही पुलिसिंग का कार्य किया जाता है। कहीं शक्ति और कहीं नरमी से सामाजिक परिवेश को बदलने का प्रयास होता है।
ऐसा माना जाता है कि पुलिस बदलेगी तो समाज बदलेगा?
निश्चित रूप से पुलिस के व्यवहार के ऊपर समाज की कई चीजें टिकी होती हैं। पुलिस समाज के आइकॉन होती है। जब पुलिस वाले अच्छे काम करते हैं तो उसकी प्रशंसा होती है। तो इसका प्रभाव आम जनता पर भी पड़ता है।
आपके कार्यक्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप को आप किस नजरिए से देखते हैं ?
राजनीति में जो काम करने वाले लोग होते हैं वह अपने क्षेत्र की जनता के लिए कार्य करते हैं। उनकी जो जायज मांग होती हैं उस पर उचित तरीके से विचार किया जाता है । पक्ष विपक्ष दोनों को सुना जाता है तब कोई निर्णय जो विधि सम्मत होता है वह लिया जाता है । तो राजनीति के जो लोग होते हैं वह भी समाज का हिस्सा होते हैं।
शहर की आधुनिकता का ग्रामीण परिवेश में कितना फर्क पड़ा है ?कितना प्रभाव हुआ है?
शहर की आधुनिकता है उसके कारण ग्रामीण परिवेश का वातावरण भी बदला है। पहले चौपालों पर बड़े प्रेम से लोग बैठते थे, आपस में चर्चा करते थे, अब लोगों ने पक्के मकान बनवा लिए हैं, यह सब आधुनिकता का प्रभाव एक दूसरे से दूरियां बन गई है। शहर के देखा देखी गांव में भी वातावरण में कुछ बदलाव तो आया है।
जो आदतन अपराधी होते हैं उन पर आपकी नजरों में कैसे कार्रवाई होना चाहिए ?
निश्चित रूप से जो आदतन अपराधी हैं उन पर सख्ती से कानूनी कार्रवाई होना चाहिए , समय-समय पर उनके ऊपर बाउंड ओवर की कार्यवाही करना चाहिए । अगर उसके बाद भी वह अपराध दोहराता है तो उसके विरुद्ध एनएसए की कार्यवाही की जाना चाहिए।
आपके थाना क्षेत्र में चोरी स्नैचिंग डकैती जैसी घटनाओं का ग्राफ पिछले वर्ष की तुलना में बड़ा है या कम हुआ है ?
इस तरह की घटनाओं का ग्राफ जहां तक मानता हूं कि सख्त कार्रवाई हुई है और आगे भी इन सब घटनाओं पर लगातार नजर रखी हुई है। तो घटनाओं का ग्राफ जो है वह कम ही है ।और प्रयास किया जाएगा कि वह कम किया जा सके।
भ्रष्टाचार पर आप क्या टिप्पणी करना चाहेंगे ?
समाज सब से मिलकर बना है और जहां तक मैं जानता हूं मैं मानता हूं कि भ्रष्टाचार समाज में एक बुराई की नजर से देखा जाना चाहिए। भ्रष्टाचार समाज की जो व्यवस्था बनी है उसके लिए घातक है । आचरण अगर भ्रष्ट होगा तो फिर एक अच्छे समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है ।
परेशान व्यक्ति की पहुंच कैसी है ?
आम जनता की पहुंच आसानी से, परेशान व्यक्ति अधिकारी तक पहुंच सकता है। हम तक पहुंच आम आदमी की 1_ 2_ 1 है। कभी भी कॉल कर सकता है, थाने पर आकर संपर्क कर सकता है, बिचौलियों वगैरा की व्यवस्था हम नहीं रखते हैं। सीधा आम आदमी हमसे संपर्क कर सकता है और थाना प्रभारी , थाने के नंबर कभी भी कोई भी संपर्क कर सकता है। मोबाइल अपडेट है।
ग्रामीण थाना क्षेत्र में नशा मुक्ति के लिए पुलिस के क्या प्रयास है ?
इस विषय में समय-समय पर पुलिस के द्वारा कार्यवाही की जाती है, अभियान चलाए जाते हैं, लोगों को समझाया जाता है, स्कूलों और अन्य संस्थाओं में जाकर पुलिस के द्वारा नशा न करने की समझाइश दी जाती है सलाह दी जाती है। नशे की होने वाली हानियों के बारे में उन्हें समझाया जाता है। जो अवैध गतिविधियां होती हैं उन पर रोक लगाने का प्रयास हमारा होता है ।
अगर आप पुलिस में हो तो कहां होते ?
निश्चित रूप से मैं पुलिस में ही होता। क्योंकि मेरा लगातार प्रयास पुलिस में सेवा करने का ही रहा है । 5 बार मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ और भी प्रयास किया तो मेरा सिलेक्शन हुआ । मैं पुलिस में ही रहना चाहता था पुलिस में ही हूं ।
इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है इसे ग्रामीण क्षेत्र में कैसे देखते हैं ?
निश्चित रूप से कमिश्नर प्रणाली शहर में लागू हुई है और शहर के लिए क्राइम के लिए यह बहुत रोकने के लिए बहुत अच्छी पहल है । इस प्रयास से आम नागरिक को काफी सुरक्षा मिलेगी , इसका प्रभाव ग्रामीण क्षेत्र में भी निश्चित रूप से पड़ा है। क्योंकि शहर से लगी हुई आबादी हैं तो यहां पर जो पुलिस की कार्यप्रणाली है उसको अच्छे से किया जाए यह प्रयास होता है।