सफर में यात्रियों को तत्काल आपकी मदद की आवश्यकता हो तो यात्रियों को क्या करना होता है?
यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे पुलिस में पुलिस द्वारा एक ऐप बनाया हुआ है । जीआरपी पुलिस हेल्प इस ऐप के माध्यम से हमेशा मदद को तैयार रहती है। जीआरपी पुलिस उस ऐप के माध्यम से अगर कोई आदमी परेशानी में कॉल करता है, तो हमारे अधिकारियों के पास, हमारे पास तत्काल सूचना आती है। और एक ऐसी टीम बना रखी जो तत्काल कार्रवाई करती है। हमारे अधिकारी और कर्मचारी जाते हैं और रेल के अंदर ही पीड़ित की शिकायत को दर्ज किया जाता है। उसको कहीं जाने की जरूरत नहीं है, यात्री अपनी सीट पर बैठा रहेगा और हमारी जो टीम है यात्रियों की की मदद करेगी। यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस तरह का जो काम है यह मध्यप्रदेश में ही अभी सबसे ज्यादा किया जा रहा है। अन्य प्रदेशों के बारे में तो मुझे जानकारी नहीं है, पर एमपी में तो यह है कि आपको जीआरपी पुलिस द्वारा सीट पर ही मदद की जाती है। और जहां पर भी ट्रेन चल रही है वहां संबंधित के लिए जीआरपी पुलिस द्वारा द्वारा कार्य को किया जाता है।
DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )
इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है इसको आप किस तरह से देखते हैं?
यह एक बहुत अच्छी प्रणाली है और इसमें शहर में बहुत अच्छा अनुशासन आएगा और प्रशासन में भी सुधार आएगा और अपराध जगत में तो निश्चित रूप से इस में कमी आएगी, इसलिए हम कह सकते हैं कि कमिश्नर प्रणाली इंदौर में जो लागू हुई है वह बहुत अच्छी प्रणाली है ।
आम थाने और रेलवे थाने की कार्य प्रणाली में क्या अंतर है?
देखिए ऐसा है कि रेलवे थाना और आम थाने में कोई खास फर्क नहीं है,जहां तक मेरा मानना है कि शहर में जिस तरह के अपराध होते हैं, उसी तरह के अपराध रेलवे में भी होते हैं। जैसे चोरी लूट डकैती हत्या यह सब चीजें शहर में भी होती है और यहां पर भी अमूमन ऐसा ही होता है। वही कानून शहर के लिए है और वही कानून यहां के अपराधियों के लिए। तो यहां की कार्यप्रणाली में और आम थाना की कार्यप्रणाली में कोई खास फर्क नहीं होता है। बस यहां रेलवे से संबंधित अपराध के कंट्रोल के लिए रेलवे थाना काम करता है ।
क्या आम आदमी का सीधा संबंध रेलवे थाने से होता है?
हां बराबर है आम आदमी का सीधा संबंध रेलवे थाने से होता है, कोई आदमी सफर करके यात्रा करके आ रहा है और उसके सामान की कोई चोरी हो गई या उसके साथ कोई घटना हुई तो, वह सीधे रेलवे थाने पर ही आता है। और अगर ऐसा कोई अपराध है और जिस में आवेदक हम तक नहीं पहुंच पाता है, तो हम कोशिश करते हैं कि उस तक पहुंचे। कोई टेलीफोन आता है कोई सूचना आती है तो हम जाकर उसको अटेंड करते हैं। उसको सुनते हैं तो आम जनता का संपर्क तो सीधा रहता है रेलवे पुलिस थाने से।
रेलवे में होने वाले अपराध किस तरह के होते हैं?
रेलवे में होने वाले अपराध है वह ज्यादातर तो चोरियां होती है, जेब कटी हो जाती है, कभी-कभी लूट की घटना भी हो जाती है। और कुछ फ्रॉड जैसी घटनाएं भी हो जाती हैं इस तरह की अधिकतर घटनाएं रेलवे में होती रहती है। छीना झपटी की घटनाएं कम होती है चोरी ज्यादा होती है। सामान्य रूप से आदमी ट्रेन में सफर करता है, सोता रहता है उस समय चोरी की घटनाएं ज्यादा हो जाती है। पुलिस उसकी सक्रिय होकर जांच करती है और चोरी जैसे मामलों में फरियादी की मदद करती है। और अपराधी को पकड़ कर सामान दिलाने की कोशिश पूरी रहती है ।
रेलवे पुलिस द्वारा स्मगलिंग के मामलों में किस तरह के कार्य किए जाते हैं?
रेलवे पुलिस द्वारा इस तरह के जब मामले होते हैं,तो अपने जो मुखबिर होते हैं उनको विशेष रूप से प्रशिक्षित किए जाने के साथ ही उस पर कार्यवाही की जाती है। और स्मगलिंग जैसे मामलों में पुलिस पूरी तरह सक्रिय होकर स्मगलर जो होते हैं उनके खिलाफ पुलिस द्वारा समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग और उनके मार्गदर्शन से टीम बनाकर उनको पकड़ने की कार्यवाही की जाती है।
न्यायिक प्रक्रिया में क्या अलग से कोई ऐसा प्रावधान है जिसमें रेलवे विभाग का अलग से कानूनी प्रावधान प्रदर्शित होता है?
नहीं इसमें इस तरह का कोई प्रावधान अलग से न्याय प्रक्रिया में नहीं है। और इसमें नहीं कोई अलग से मजिस्ट्रेट नियुक्त होते हैं। हां कहीं कहीं पर कुछ विशेष मजिस्ट्रेट नियुक्त किए जाते हैं तो वह जीआरपी थानों के अलावा अन्य थानों के संबंध में भी निर्णय लेते हैं।
रेलवे में होने वाली चोरी और धोखाधड़ी पर आप कैसे नियंत्रण करते हैं?
मेरा ऐसा मानना है कि आदमी के साथ जब धोखा होता है तो है जब एक तो आदमी दोस्त ही बना लेता है और दोस्त बनाकर ही आम आदमी को धोखा देता है। आम जनता इतनी भोली होती है कि वह किसी के भी कहने में आ जाती है, जिसे कोई किसी के बहकावे में आ जाता है, वह कहता है कि चलो हम तुमको पैसा डबल कर देंगे, दुगना पैसा कर देंगे, और आदमी उसके बहकावे में आ जाता है। कई बार होता यह है कि जैसे आपने टिकट लिया है,या नहीं लिया है,लाओ अलग से हम टिकट दिला देंगे, उसमें पैसा कम लगेगा तो आदमी के साथ धोखा हो जाता है और पुलिस उसमें भी सक्रियता के साथ लगी रहती है। इसमें सुरक्षा के लिए रेलवे पुलिस द्वारा दस्ते और उड़न दस्ते बनाए हुए हैं अपराधियों को पकड़ने का हमारे जीआरपी पुलिस द्वारा पूरा प्रयास किया जाता है ।
रेलवे में जो वीआईपी आते हैं तो उनके आगमन पर आपके द्वारा कैसे मैनेज किया जाता है?
रेलवे में जो वीआईपी का आगमन होता है, तो उनके लिए जीआरपी पुलिस भी मुस्तैदी से काम करती है। उनके लिए निर्धारित मार्ग रहता है, उस मार्ग पर रेलवे पुलिस के अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्ति रहती है, वीआईपी की सुरक्षा के लिए अन्य संसाधनों का भी उपयोग किया जाता है और रेलवे पुलिस का उनकी सुरक्षा के लिए अलग से विंग रहता है खुफिया जानकारी लेता है, उसको यदि ऐसी कोई सूचना मिलती है तो वह तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को बताता है, हम लोगों को पूरी मदद करते हैं। हर चीज में उनकी देखरेख में कोई कोताही नहीं बरती जाती। और उस समय आम यात्रियों को कोई परेशानी नहीं हो उनको कोई नुकसान ना हो । इस तरह का भी हमारे द्वारा प्रयास किया जाता है, जीआरपी पुलिस द्वारा वीआईपी के लिए अलग से रास्ता बना दिया जाता है।
बिना टिकट यात्रियों पर जीआरपी पुलिस द्वारा कैसे काम किया जाता है या रेलवे विभाग द्वारा कैसे काम किया जाता है?
बिना टिकट यात्रियों के लिए रेलवे विभाग द्वारा टीटी नियुक्त किए गए हैं,वही इन पर कार्रवाई करते हैं हम भी जीआरपी पुलिस भी उनके साथ सक्रिय रहती है। बराबर उनके साथ सहयोग करते हैं और बिना टिकट यात्रा पकड़े जाते हैं तो हमारे द्वारा भी उनको टीटी महोदय को पूरा सहयोग किया जाता। अगर कोई गलत आदमी है तो फिर जीआरपी पुलिस द्वारा उचित कार्रवाई की जाती है ।
वरिष्ठ जनों की सुरक्षा के लिए जीआरपी पुलिस क्या कार्यवाही करती है?
वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिए जीआरपी पुलिस हमेशा तत्पर रहती है,कर्मठता से तत्पर रहती है और कभी-कभी तो जीआरपी पुलिस द्वारा वरिष्ठ जनों की सुरक्षा के लिए विशेष अभियान भी चलाया जाता है। और वरिष्ठ जनों की पूरी मदद की जाती है। जैसे कई बार वरिष्ठ जन है और ट्रेन चलने वाली है तो उन्हें कई बार उसमें हम हाथों से उठा कर उनको ट्रेन में बैठ आते हैं। कोई महिला वृद्ध है और उसको जरूरत है तो महिला पुलिस द्वारा उनकी मदद की जाती है। वरिष्ठ जनों की सुरक्षा के लिए सहयोग किया जाता है। और भी मदद की है जिसमें पानी की सुविधा है, हमारे जवान उनकी मदद करते हैं और ठंडा पानी उनको सीटों तक पहुंचा दें यह प्रयास रहता है। कई बार उनके टिकट नहीं बन पाते हैं तो जीआरपी पुलिस के जवान उनको टिकट बनाना बनाने में भी मदद करते हैं। तो सीनियर सिटीजंस के लिए तो जीआरपी पुलिस हमेशा सेवा करने को आगे आती रहती है काम करने को।
यात्रियों के हित में जीआरपी पुलिस किस तरह से काम करती है ?
जीआरपी पुलिस द्वारा यात्रियों की मदद के लिए हमारी भावना है कि सभी आदमी,आम आदमी अच्छे से यात्रा पूरी करें। और जरूरतमंद को जीआरपी पुलिस द्वारा हमेशा पूरी मदद की जाती है। उनकी यात्रा के दौरान उनको कोई तकलीफ ना हो इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है।
रेलवे पुलिस और रेलवे प्रशासन के बीच कैसे संबंध में रहता है?
रेलवे पुलिस और रेलवे प्रशासन के बीच काफी अच्छा संबंध रहता है। इस संबंध के माध्यम से ही यात्रियों के लिए सुविधाजनक कार्य किया जा सकता है। उनको परेशानियों से बचाया जा सकता है और और एक दूसरे को पूरा सहयोग किया जाता है। क्योंकि रात दिन हम लोगों को साथ में रहकर काम करना होता है। जीआरपी पुलिस और रेलवे विभाग के सभी लोग एक दूसरे से मिलकर काम करते हैं। कभी उनकी कोई समस्या है तो हम मदद करते हैं और हमारी कोई परेशानी है तो उनके द्वारा मदद की जाती है। आपस में बहुत अच्छा मेलजोल रहता है।
ऐसी कोई अन्य वह जानकारी जो यात्रियों के हित में आप देना चाहते हैं?
हमारा ऐसा मानना है कि जीआरपी पुलिस द्वारा तो मदद की जाती है। पर यात्रियों को भी सतर्क रहना चाहिए सजग रहना चाहिए। जैसे कि सफर में कोई किसी को कोई चीज खाने को दे दे तो यह नहीं सोचना चाहिए किसको मैं खा लूं। यह सोचना चाहिए कि यह व्यक्ति बाहरी है, इसके द्वारा कुछ भी धोखा किया जा सकता है। बाहरी लोगों से उतना ही सहयोग लो जितना जरूरी हो। जीआरपी पुलिस चाहती है कि हर आदमी अपना सफर अच्छे से करें यही सद्भावना रहती है। आम आदमी आम यात्री अपनी खुद की सुरक्षा भी करें, और आसपास के वातावरण को समझकर यात्रा करें, किसी से किसी तरह का अनावश्यक मेलजोल ना रखें और इसके बाद भी जीआरपी पुलिस द्वारा उनकी मदद के लिए हमेशा तत्परता से कार्य किया जाता है।