DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )
कमिश्नरी प्रणाली इंदौर में लागू हुई है ,इसमें आम जनता को क्या लाभ मिलेगा ?
मेरा ऐसा मानना है कि कोई भी जो सिस्टम होता है, पुलिस प्रशासन का एक सिस्टम है, उसके हिसाब से जिस भी प्रणाली को लागू किया जाता है उसमें सबसे पहले यह ध्यान रखा जाता है कि, इससे जनता को कितनी सुविधा मिल सकेगी, जनता की समस्याओं का निराकरण हो सकता है । इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू की गई है उसका भी मूल उद्देश्य यही है कि जनता की सुनवाई अच्छी तरीके से हो और जनता के विरुद्ध जो अपराध करते हैं चाहे व सीनियर सिटीजन के विरुद्ध हो या आम नागरिक के विरुद्ध हो किसी भी संबंध का अपराध हो ,जो अपराध करेगा उनको सजा मिलनी चाहिए। जो सजा उनको मिलना चाहिए वह त्वरित मिल सके और प्रभावी तरीके से मिल सके । कमिश्नरी प्रणाली का पहला उद्देश्य है । और दूसरा उद्देश्य है कि जनता जो रिपोर्ट करने आती है उसकी सुनवाई बेहतर तरीके से हो सके और संवेदनशीलता का जो एक प्रश्न होता है, उसका भी महत्वपूर्ण भाव रखा गया है जो व्यक्ति पुलिस में शिकायत करने आता है, उसको उसकी कोई समस्या है तो उसका निराकरण किया जाए।
इससे पुलिस प्रशासन में कितनी कसावट आएगी ?
पुलिस प्रशासन में कसावट का यह है कि हैरिंग का जो क्रम था पद सोपान का जो क्रम था वह कई वरिष्ठ अधिकारियों को इसमें शामिल किया गया है ।और इसमें कुछ चीजों को काफी फोकस किया गया है अधिकारियों संख्या इसमें बढ़ाई गई है, अधिकारियों के द्वारा भी उन चीजों को अच्छी तरीके से देख सकें इसी उद्देश्य से लागू किया गया है । पहले हम देखते थे कि इंदौर में दो पुलिस अधीक्षक हुआ करते थे और सभी थानों को इन दोनों में बांटा गया था । तो अब सारे थानों को अनेक झोन में बांट दिया गया ।जो नियंत्रण करता अधिकारी है पद के हिसाब से संख्या बढ़ाई गई है । वह बड़े अधिकारी हैं जो प्रणाली है वह भी प्रभावी ढंग से इसमें अच्छे से समस्या का समाधान हो सकेगा।
आपके क्षेत्र में पिछले वर्षों की तुलना में इस नए वर्ष में अपराध का ग्राफ बढ़ा है या कम हुआ है ?
हमारे क्षेत्र में अपराध का ग्राफ तो कम हुआ है 1 वर्ष पहले 2 वर्षों की तुलना में अपराध कम हुआ है । जो प्रतिबंधात्मक कार्यवाही थी जो मायने रेट की कार्यवाही है । उनमें उनमें जरूर इजाफा हुआ है, क्योंकि जो गुंडे बदमाश थे उनको अच्छे तरीके से बाउंड ओवर कराया जा रहा है और छोटे छोटे जो अपराध करते थे शराब के सट्टे के इस प्रकार के थे उनके विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही की जा रही है, जिला बदर की कार्यवाही की जाती है ।अपराधियों में एक परेशानी का विषय बना हुआ है ।
पुलिस के द्वारा शासन और प्रशासन के मध्य कैसे समन्वय स्थापित किया जाता है ?
शासन और प्रशासन के मध्य पुलिस के द्वारा प्रारंभ से ही समन्वय बिठाया जा रहा है । क्योंकि पुलिस भी शासन-प्रशासन का ही एक हिस्सा है और सभी जो विभाग है शासन के वह सब जब मिलकर कार्य करते हैं ,तो एक आउटपुट अच्छा आता है । शांति व्यवस्था बनी रहती है और और जो व्यवस्था प्रशासन के बीच पहले से अच्छा है । नगर निगम राजस्व विभाग स्वास्थ्य विभाग मैं भी समन्वय के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है। सभी के मध्य पुलिस विभाग का समन्वय बना हुआ है। ।
इंदौर में ड्रग्स के व्यापार ने अपने पैर पसारे हैं ,इसमें जो लिप्त है उस पर पुलिस विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है?
ड्रग्स के व्यापार के लिए जैसा कि आपने सुना भी होगा कमिश्नर सिस्टम से पहले भी और बाद में भी काफी प्रभावी कार्यवाही की गई है जो अपराधी इस तरह के थे ,उन पर काफी प्रभावी कार्यवाही आई थी साहब और कमिश्नर साहब के निर्देशन में कार्यवाही की गई है,हमारे थाने में भी पिछले दिनों ड्रग्स के दो मामले दर्ज किए गए थे ,जिसमें एक चरस का प्रकरण भी था, लगातार जो इस तरह के व्यसन है या जो इस तरह के व्यसनों का उपयोग करते हैं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही लगातार की जा रही है।
सामाजिक बदलावों में पुलिस कैसे अपने आपको प्रस्तुत करती है ?
सामाजिक बदलाव में काफी हद तक पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, समाज में कई तरह के बदलाव आ रहे हैं समाज हम पहली सीढ़ी के रूप में भी अगर देखें तो महिलाएं हैं बालिकाएं हैं । वर्तमान में आप जैसे की महिलाओं के अपराध भी काफी बढ़ रहे हैं, जो इंटरनेट और दूसरे अन्य व्यवस्थाएं आ रही है उसका जो पॉजिटिव प्रभाव है धनात्मक जो प्रभाव है वह तो उन लोगों को पढ़ ही रहा है । नेगेटिव फैक्ट् लोगों के ऊपर पड़ रहा है ,उसी का परिणाम है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं । छेड़छाड़ की घटनाएं भी निश्चित रूप से बड़ी है, इसमें सबसे बड़ा जो हम लोग एक काम कर रहे हैं जो बच्चे हैं नाबालिक बच्चे हैं, उनके भागने के केस बहुत ज्यादा हो रहे हैं । क्योंकि वह समझदार नहीं है कानून को नहीं जानती है कानून की दृष्टि से समझदार नहीं होते हैं, ऐसे लोगों के माता-पिता को हम काउंसलिंग के माध्यम से समझाने का प्रयास करते हैं । महिला इंस्पेक्टर वह बस्तियों में जा रही हैं स्कूलों में जाती हैं और समझाती है कि कृपया करके आपके जो कम एज के बच्चे हैं । उनके कानून व्यवस्था की गई उनकी सहमति को भी सहमति नहीं माना जाएगा । यह सब चीजें उनके माता पिता को बताई जा रही है । माता पिता को कहा जाता है कि बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार रखें, जिससे किसी भी प्रकार की उनको अगर कोई समस्या आती है तो या उनके मन में कोई उत्सुकता है किसी चीज को या किसी विषय को लेकर अपने तक ना रखें । माता-पिता के साथ शेयर करें इससे यह होगा कि जो गलत चीज है उनको रोका जा सकता है अपराध में चली जाती है उन सब चीजों को रोका जा सकता है । यह सब चीजें पुलिस के द्वारा की जा रही है । इसके अलावा जो वरिष्ठ नागरिक गण है पुलिस के माध्यम से काफी सारी योजना है जो चलाई जा रही हैं । जिसमें उनको कानून कानूनी रूप से बताया जाता है अगर बच्चे उनके पालन पोषण नहीं करते हैं तो उन पर भी केस बनाने की प्रक्रिया की जाती है और माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है इस तरह से कम्युनिटी पुलिस का भी काम है जो किया जा रहा है उनके सामाजिक बदलाव में पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।
घरेलू हिंसामें आप किसे दोषी मानते हैं ?
घरेलू हिंसा में सामाजिक व्यवस्था इस तरह से है कि जो कमजोर पक्ष माना जाता है वह पुरुष का ही कमजोर पक्ष माना जाता है । कहीं ना कहीं वह महिला को परेशान करता है । सबसे ज्यादा यही जानकारी में आता है कि नशा करके पुरुष द्वारा महिला को परेशान किया जाता है मारपीट करता है, बाकी और कुछ बिंदु भी उनके साथ जुड़े हुए हैं, सामान्य रूप से पुरुष का पक्ष ही कमजोर माना जाता है बाकी परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
सीएम साहब का कहना है कि दुष्कर्मयों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, इसका क्या संदेश समझा जाए ?
इस संदेश में स्पष्ट रूप से यही है कि हमारी जो माता बहने हैं उनके खिलाफ यदि कोई अपराध करते हैं तो समाज में उसका मैसेज जाना बहुत जरूरी है ।जो दुष्कर्म किया जा रहा है वह बहुत ही गलत है जो जननी है जो हमारी माता है यदि उनके खिलाफ कोई भी अपराध होता है, तो ऊपर के लेवल का जो निर्देश है स्पष्ट है कि और कानून भी वर्तमान में यही कहता है कि महिलाओं के खिलाफ जो अपराधी है उनके खिलाफ कार्यवाही हो और उसमें यह संदेश जाए कि इस तरह के अपराध में सजा निश्चित रूप से होती है।
साइबर अपराध के मामले में आपके थाने पर दक्ष स्टाफ की क्या स्थिति है ?
हां, यह एक अच्छा प्रश्न है और इस तरह अपराध के मामले में हमारे थाने में दक्षस्टाफ की कमी तो है, परंतु जो नए भर्ती हो रही है और नए जो लड़के हैं, इनको प्रशिक्षित भी किया जा रहा है और साइबर के मामले में इनको जानकारियां भी दी जा रही है । फिर भी जो बड़े मामले होते हैं साइबर के उनको भेजे जाते हैं । साइबर शाखा एक अलग से काम कर रही है और अलग-अलग स्तर के अलग-अलग जगह केस जाएंगे। कुछ साइबर शाखा के प्रकरण है और कुछ थाना स्तर के प्रकरण है इस तरह के शासन के निर्देश भी हैं आने वाले समय में स्टाफ की कमी की जो समस्याएं है वह भी दूर हो जाएगी ।
स्वागत डेस्क कैसे काम करती है ?
स्वागत देश का अर्थ यही है कि जो भी थाने पर आए और उसको उसकी समस्याओं को सुना जाए और निराकरण के लिए उसकी व्यवस्था की जाए । महिला डेस्क वह अपना काम करती है और जो पीड़ित है उसके लिए राहत दिलाने का काम डेस्क के माध्यम से किया जाता है -कहां उसको शिकायत करने जाना है, काउंसलिंग की आवश्यकता है, अगर वह थाने पर आ जाए तो उसे यह महसूस नहीं हो की वह कहां आ गई, कुल मिलाकर संदेश यह है कि स्वागत के माध्यम से आने वाले हर शिकायतकर्ता को राहत मिल सके यही उद्देश्य है।
बाल अपराध बढ़ रहा है इस पर आप क्या टिप्पणी करेंगे ?
जैसा कि हम देख रहे हैं आजकल आधुनिक साधन संसाधन कंप्यूटर मोबाइल नेट की बड़ी सुविधाएं सबके पास है । चीज को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है बच्चे जो नकारात्मक चीजें हैं उनको जल्दी सीख लेते हैं ।और उसी के आधार पर हम कह सकते हैं कि बाल अपराध बढ़ रहा है। परंतु पुलिस के द्वारा इसमें यह प्रयास किया जाता है कि उनको बाल संरक्षण सुधार गृह में भेजा जाता है ,अच्छी चीज है उन्हें समझाई जाती है यही निर्देश दिए जाते हैं कि इन्हें सुधारा जाए और बच्चों में अच्छी प्रवृत्ति को समाहित किया जाए ।