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संवाद और परिचर्चा

श्री राजीव त्रिपाठी, थाना प्रभारी - हातोद ( इंदौर )

  • 08 Sep 2022

DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )

सामाजिक परिवेश को सुधारने के लिए आपके प्रयास ?
देखिए सामाजिक परिवेश एक ऐसा विषय है जिस पर मेरा ऐसा मानना है कि सामाजिक परिवेश को तो हम नहीं सुधार सकते।  उसके सुधार के लिए समाज के सभी अंगों को आगे आना पड़ेगा।  सामुदायिक पुलिसिंग के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर काम जरूर करना चाहते हैं और इसीलिए हमारे द्वारा नगर सुरक्षा समिति, ग्राम रक्षा समिति, वरिष्ठ नागरिकों की समिति,  शांति सुरक्षा की समिति का गठन करना, इन सभी की मीटिंग  करना। उन सभी को अपराधों के प्रति साइबर के जो अपराध हो रहे हैं उनके बारे में जानकारी देना और उन को जागरूक करना जिससे अकारण ठगे ना जाए।  आजकल साइबर अपराध के प्रचलन बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं।तो उस पर सावधानी रखना अनिवार्य ,जागरूकता की कमी के कारण यह अपराध बढ़ जाते हैं झांसे में आ जाते हैं लोग और ठगे जाते हैं।

ग्रामीण थाना क्षेत्र और शहरी थाना क्षेत्र की जीवन शैली में क्या अंतर होता है ?
ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के काम करने का और शहर में काम करने का ढंग अलग होता है।  यहां की जीवन शैली जो है वह अलग होती है।  ग्रामीण क्षेत्र में व्यक्ति 10:00 बजे तक किसी भी हालत में सो ही जाता है और सुबह भी 5 _6 बजे उठ जाता है, इधर शहर की जो जीवन शैली है वह रात को देर तक जागना और सुबह देर तक सोना।  ग्रामीण जीवन शैली और शहरी जीवन शैली में बहुत अंतर है। शहर में आजकल की जो युवा पीढ़ी है यह जो देर रात तक जागना और 12:00 बजे तक सुबह सोना। इस वजह से शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के जो अपराध होते हैं उनमें भी फर्क होता है।  और अपराध व्यक्ति के द्वारा ही किया जाता है। जैसी जीवनशैली होगी वैसा आसपास का वातावरण बनेगा।  वैसे ही अपराध होंगे और वैसा ही पुलिस के द्वारा कार्यवाही भी की जाएगी।  तो  ग्रामीण और शहरी जीवन शैली है उस में बहुत अंतर होता है। 

अपराधी होने के पीछे आपकी नजरों में मुख्य कारण क्या होते हैं ?
ग्रामीण क्षेत्र  जहां हम कार्य कर रहे हैं ,  यहां पर अपराध होने के पीछे मेरी नजरों में दो ही कारण प्रमुख है। एक तो नशा , नशा इसका प्रचलन बहुत बढ़ गया है, इसके कारण अपराध बढ़ते हैं। दूसरा जो मुख्य कारण है वह अशिक्षा। इसके  कारण भी आदमी अपराध की दुनिया में चला जाता है। सामान्य रूप से अपराध होने के पीछे अशिक्षा भी एक महत्वपूर्ण कारण है। 

नाबालिग के अपराध बढ़ रहे हैं, बच्चे अपराध की ओर बढ़ रहे हैं ?
मेरा ऐसा मानना है कि हम यह नहीं कह सकते हैं कि नाबालिग जो है वह अपराध की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन यह जरूर है कि नाबालिग बच्चियों को बहला-फुसलाकर ले जाने का जो प्रचलन बढ़ गया है, उसके पीछे नेट और मोबाइल की जो संस्कृति है इसको मैं प्रमुख कारण मानता हूं।और को जो दूसरा कारण  हो सकता है, वह एक एकल परिवार के कारण भी यह समस्या आ सकती है। पहले संयुक्त परिवार होते थे और नियंत्रण के लिए परिवार में बहुत सारे लोग हुआ करते थे।  बच्चे फ्री हो गए हैं और माता-पिता का कंट्रोल नहीं रहता है, वह उन पर नजर नहीं रख पाते हैं। समय अभाव की उनकी अपनी एक समस्या है। निरंकुशता आई है इस वजह से कुछ अपराध हो रहे हैं।  

आपके थाना क्षेत्र में महिला अपराध का ग्राफ पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कम हुआ है या बढ़ा है ?
मैं ऐसा मानता हूं कि महिला अपराध नियंत्रण में है, पहले इतनी जागरुकता नहीं थी, क्योंकि अगर कोई अपराध होता भी था तो महिलाएं शिकायत करने को तैयार नहीं होती थी। पुलिस विभाग के द्वारा महिलाओं को महिला डेस्क के माध्यम से भी  जागरूक किया है। उनको काफी समानता के साथ  देखा जाता है।  हर चीज में उन को आगे लाने का प्रयास किया जाता है, इसीलिए जागरूकता बढ़ने के कारण कोई अपराध हो रहा है तो महिलाएं शिकायत कर रही हैं।  और रिपोर्ट करा रही हैं  जो  रिपोर्ट दर्ज होती है तो निश्चित रूप से कार्यवाही हम कर सकते हैं।  अपराध की संख्या महिलाओं के द्वारा किए जाने वाले अपराधों में वृद्धि हुई हो ऐसा नहीं कह सकते।  महिला से संबंधित शिकायतें और अपराध है, उनकी संख्या हो सकती है।

आदतन जो अपराधी होते हैं उन पर आपकी टिप्पणी ?

जो आदतन अपराधी होते हैं उनके ऊपर हमारे द्वारा प्रतिबंधात्मक कार्यवाही करवाई जाती है। उन पर नजर रखी जाती है, उनको सुधार करने का प्रयास करते हैं, उन को समझाते हैं। उम्र के मान से भी अपराध होता है ,युवावस्था होती है तो जल्दी अपराध की तरफ चला जाता है।  जो युवा है छोटी-छोटी बातों पर एरिटेड हो जाता है और उसी दशा में अपराध करने लग जाता है। घटनाएं कर बैठता है, वह गुस्से में आ जाता है और घटनाएं  जो अपराध की श्रेणी में आते हैं वोहो जाता है और जब उसकी आयु बढ़ती है  कोर्ट कचहरी और जेल में जाना पड़ता है तो उसे समझ में आता है और वह परेशान होकर तौबा करता है। नियंत्रण में रहता है और उस पर रोक भी लगती है तो जो आदतन अपराधी हैं उन पर सख्त निगाह रखी जाती है।

ग्रामीण थाना क्षेत्र में चोरी, चैन स्नैचिंग ,डकैती और लूटपाट जैसी घटनाओं का ग्राफ कैसा है ?

देखिए मैं यहां तक समझता हूं मेरे थाना क्षेत्र में 1 जनवरी से लेकर अभी तक इस तरह की कोई बड़ी घटना नहीं घटी है।  घटनाओं पर हमारा पूरा नियंत्रण है। चैन स्नैचिंग ,लूटपाट और डकैती की घटनाएं नहीं बढ़ी।  यह भी है कि पुलिस के पास संसाधन बड़े हैं ,पुलिस के पास सीसीटीवी कैमरे का उपयोग बड़ा है।  पुलिस ने जनता के सहयोग से काफी उपयोग किया है।  ग्रामीण क्षेत्र में बाहरी अपराधी आकर जरूर कुछ अपराध करते हैं।लेकिन हमारे क्षेत्र में 1 जनवरी से लेकर अभी तक चोरी, स्नैचिंग और डकैती ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। 

शहरों में ड्रग्स का व्यापार बहुत बढ़ रहा है ? क्या ग्रामीण क्षेत्र में भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है ?
मेरा ऐसा मानना है कि अन्य क्षेत्र के बारे में तो मैं कुछ नहीं कह सकता ,लेकिन मेरे थाना क्षेत्र में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है। शहरों की जो भौगोलिक स्थिति है वहां का जो वातावरण है, महानगर होना भीड़ भाड़ होना। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह की कोई शिकायत अभी तक हमारे पास नहीं है तो ड्रग्स का जो व्यापार है वह ग्रामीण क्षेत्र में देखने को नहीं मिलता है।

नशा मुक्ति के लिए आपके द्वारा क्या प्रयास किए जाते हैं ?
पुलिस मुख्यालय के निर्देश अनुसार हम समय-समय पर या जिला स्तर के अधिकारियों के द्वारा समय-समय पर जब निर्देश दिए जाते हैं तो विशेष अभियान चलाए जाते हैं। इसके माध्यम से हमारे द्वारा जनता के हित में प्रयास किए जाते हैं। कुछ समय पूर्व नशा मुक्ति के लिए हमारे द्वारा विशेष अभियान चलाया गया था।  जन जागरूकता के माध्यम से भी हमारे द्वारा महिलाओं को समझाना ,बच्चों को जागरूक करना सामिल है। महिला पुलिस अधिकारियों के द्वारा भी इस तरह के प्रयास करते हैं ताकि नशे पर रोक लगाई जा सके।  सामाजिक स्तर पर यह एक बुराई है और सभी लोग मिलकर काम करेंगे तो निश्चित रूप से उस पर ज्यादा असर होगा। 

हमारे अखबार का संकल्प सूत्र - ध्येय वाक्य है "सतर्क रहें सजग रहें अभियान" इस पर आपकी टिप्पणी ?​
​आपका यह जो अभियान है सतर्क रहें सजग रहें अभियान है ,हम भी इसी थीम पर काम करते हैं। यह अभियान सफल भी होना चाहिए। इस अभियान के माध्यम से निश्चित रूप से नागरिकों को सुरक्षा मिलेगी, जागरूकता आएगी।  क्योंकि आदमी सतर्क होगा तो सजग भी होगा और सजग होगा तो सतर्क भी होगा। हमारी ओर से आपके इस अभियान को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।