हम मोहल्ला भ्रमण के दौरान समझाइश के माध्यम से सही दिशा देने का प्रयास करते हैं माता-पिता को हम समझाते हैं कि यह गलत लत में ,संगत में अपने बच्चों का भविष्य बर्बाद ना करें ...
मेरा एक ही पैरामीटर रहता है कि अगर मेरे थाने पर 1 सप्ताह में 100 लोग आए हैं तो 95 लोगों को संतुष्टि मिलना चाहिए,यह मेरा प्रयास रहता है...
अपराधी पर कोई तरस नहीं आता है,अपराधी कैसा भी हो लेकिन वह क्रिमिनल ही रहता है, मौका मिलते ही वह अपराध करता है, वह अपना असली रूप दिखा देता है, इसलिए अपराधियों पर तरस खाने की जरूरत नहीं है...
सीहोर जिले से सम्बन्ध रखने वाले और थाना प्रभारी भंवरकुआं में लगभग सवा साल से पदस्थ श्री संतोष दूधी ने संवाद और परिचर्चा के अंतर्गत कई मुद्दों पर हमारे PRO एल. एन. उग्र से अपने विचार व्यक्त किए--
कमिश्नर प्रणाली से क्या आम जनता को लाभ मिलेगा ?
बिल्कुल आम जनता को कमिश्नर प्रणाली से लाभ मिलेगा, जो आदतन अपराधी हैं, बदमाशी करने वाले हैं, अशांति फैलाने वाले हैं, इस तरह के जो तत्व है, इनको तत्काल प्रतिबंधित कर भारी राशि से बाउंड ऑफ किया जाएगा, इससे उन पर हमेशा के लिए अंकुश बना रहेगा इसमें निश्चित रूप से बेहद सफलता पुलिस को मिलेगी।
अपराधियों पर इससे कितना खौफ पैदा होगा ?
अपराधियों में खौफ है ही सही पुलिस का और कमिश्नर प्रणाली लागू होने से और खौफ ज्यादा है, अपराधी और जिसने भी बॉन्ड्स का उल्लंघन किया है, उसको हम तत्काल जेल भेज रहे हैं, सख्त से सख्त कार्रवाई करने का प्रयास हमारा रहता है।
अपराध का ग्राफ बढ़ा है या कम हुआ है इस नए वर्ष में?
नए साल में ऐसा कोई गंभीर अपराध घटित नहीं हुआ है, छोटे-मोटे जो अपराध हैं, एक्सीडेंट वगैरह हैं, वह हो रहे हैं जो साधारण अपराध है वो हो रहे हैं, लेकिन ऐसा कोई गंभीर अपराधों में बढ़ोतरी नहीं हुई है, गंभीर अपराध घटित नहीं हुए हैं, और अपराधों में कमी आ रही है।
युवा वर्ग जो नशे में गिरफ्त हो रहा है, इस पर आप क्या नजरिया रखते हैं ?
युवा वर्ग में खासकर जो 14 से 18 वर्ष के बच्चे हैं या कहे युवा है ऐसे बच्चों को हम मौहल्ला भ्रमण के दौरान समझाइश के माध्यम से सही दिशा देने का प्रयास करते हैं, इनके माता-पिता को हम समझाते हैं कि यह गलत लत में ,संगत में अपने बच्चों का भविष्य बर्बाद ना करें और जो आदतन नशेड़ी हैं उनको पकड़ कर हमने कईयों को रिहैब सेंटर भेजा है। उन्हें सुधारने के उचित प्रयास धाराओं के तहत भी कर रहे हैं और उन्हें लगातार समझाइश दी जा रही है।
शासन- प्रशासन और आम जनता के बीच आप कैसे समन्वय बनाते हैं?
आम जनता और पुलिस के बीच जैसा समन्वय सालों चल रहा है, हम उसे और बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं और हमारा एक ही मकसद रहता है कि जो हमारे थाने पर रिपोर्ट लेकर आए, फरियादी जो आता है वह पुलिस के कार्य से पूरी तरह से संतुष्ट हो, यह मेरी प्राथमिकता है। नंबर दो अभी तक तो यह है कि इस तरह की कम से कम शिकायत मिलेगी की थाने पर गए और कार्यवाही नहीं हुई, 1-2 ऐसे मामले हो सकते हैं,लेकिन देर सवेर उसकी भी सुनवाई हमारे द्वारा की गई है। लेकिन मेरा एक ही पैरामीटर रहता है कि अगर मेरे थाने पर 1 सप्ताह में 100 लोग आए हैं तो 95 लोगों को संतुष्टि मिलना चाहिए,यह मेरा प्रयास रहता है, और फिर 2 -4 -5 तो ऐसे व्यक्ति रहते ही हैं जो जीवन में कभी संतुष्ट नहीं होते हैं।
सामाजिक बदलाव के लिए पुलिस के द्वारा क्या प्रयास किए जाते हैं ?
सामाजिक बदलाव के लिए हमारा प्रयास होता है कि क्रिमिनल पर नजर रखें आम जनता की भी जिम्मेदारी है कि अपने अड़ोस पड़ोस में कोई अजनबी व्यक्ति हो उसकी सूचना हमें दें और आदतन जैसे अपराधी हों,एक जगह से दूसरी जगह रहने लगा है, तो ऐसे अपराधियों कि लोग हमें जानकारी दें और जो नशा वगैरह करते हैं,उन लोगों के बारे में पुलिस को जानकारी समय रहते दें,अपने बच्चों का ध्यान रखें उन्हें अच्छे से अच्छे एजुकेशन दिलाएं और किसी भी तरह की समस्या हो तो संबंधित एजेंसी और संबंधित पुलिस थाना को अवश्य बताएं लोग बिना डरे।
सर ऐसे भी अपराधी होंगे जिन पर आपको तरस आता होगा कि बार-बार यह अपराधी आपके सामने आता है इस पर क्या कार्यवाही की जाए ?
नहीं अपराधी पर कोई तरस नहीं आता है,अपराधी कैसा भी हो लेकिन वह क्रिमिनल ही रहता है, मौका मिलते ही वह अपराध करता है, वह अपना असली रूप दिखा देता है, इसलिए अपराधियों पर तरस खाने की जरूरत नहीं है। हां यह देखा जाता है कि अगर कोई गलती से अपराधी बन गया है और उसकी मानसिकता अपराधी वाली नहीं है, तो उसके साथ हम कोशिश करते हैं कि अच्छे से व्यवहार करें और सही रास्ते पर लाने का हमारा प्रयास रहता है, और वाकई वह क्रिमिनल है बार-बार वह चाकू छुरी चला रहा है,अपराध कर रहा है तो उस पर तरस खाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
इंदौर में वीआईपी कल्चर का बड़ा महत्व है इसको पुलिस कैसे मैनेज करती है?
मेरा ऐसा मानना है कि ऐसा कोई वीआईपी कल्चर नहीं है इंदौर में, प्रदेश में पूरे देश में एक जैसा कल्चर है। अगर वह वीआईपी है तो उनकी सुरक्षा करना हमारा पहला दायित्व है। आम आदमी की सुरक्षा के साथ-साथ वीआईपी की भी जान माल की सुरक्षा की हमारी जिम्मेदारी है और वह जिम्मेदारी हम निभाते हैं। अलग से कोई विशेष काम किए जाने योग्य नहीं है यह सब रूटीन के काम है जो पुलिस को आता है।
थानों पर राजनीतिक हस्तक्षेप को कैसे देखा जाता है?
राजनीतिक हस्तक्षेप गलत तरीके से कुछ नहीं होता है, किसी फरियादी किसी पीड़ित की बात को पहुंचाने तक के लिए अगर पुलिस को कोई फोन करता है, तो उसे मैं गलत नहीं मानता हूं । उसे पुलिस प्रशासन के काम में हस्तक्षेप नहीं मानता हूं और ऐसा कोई राजनीतिक हस्तक्षेप मेरे कार्य में तो नहीं हुआ है।
आप के कार्यकाल की कोई बड़ी उपलब्धि है?
उपलब्धियां तो पुलिस विभाग की है, अभी पिछले समय गंभीर घटना हो गई थी, पिछले साल राजस्थान की एक गैंग ने डकैती डाली थी। इंदौर पुलिस की नाक का सवाल था, वह कि भाई ऐसी दिनदहाड़े डकैती डालने वाले बदमाश कहां के हो सकते हैं,शहर की पूरी टीम ने मिलकर उसे ट्रेस किया और ट्रेस करने पर पता चला वे लोग राजस्थान के कोटा जिला वगैरा के लोग थे। उनको हम ने गिरफ्तार किया यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। छोटे-मोटे मामलों में तो हम लोग त्वरित कार्यवाही करते हैं टीमवर्क रहता है यही हमारी उपलब्धि है सारी टीम का सहयोग रहता है यही उपलब्धि है ।