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संवाद और परिचर्चा

श्री सतीश पटेल हीरानगर -  थाना प्रभारी

  • 05 Mar 2022

"पुलिस हमारी मित्र - टीआई हमारा भाई "
यह मुहिम 2016 से छपारा से शुरू की गई थी मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा इसको काफी अपनाया गया। सोशल मीडिया के माध्यम से जब यह काफी चर्चा में आया तो 2018 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मुहिम को अपनाया था। 
मुझे सोशल पुलिस का बड़ा चाव रहा है, मंडला जिले के एक थाने  की दीवार को हमने कैनवास के रूप में उपयोग किया। सेव टाइगर के अभियान को वहीं से हमने चलाया जीवंत  पेंटिंग वहां पर बनाई गई। इस प्रकार से हमने वहां पर नवाचार का प्रयोग किया।


इंदौर में जो कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है, उसकी सफलता की कितनी संभावना है और आम आदमी को इससे क्या लाभ होगा?
इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू होने से इसकी सफलता में कोई संशय  नहीं है। इसमें पुलिस को काम करने का सीधे निर्णय लेने का अधिकार मिलेंगा और एक कम्युनिकेशन में जो टाइम लग जाता था वह फास्ट हो जाएगा। इसलिए पुलिस तत्परता से कोई निर्णय ले सकेगी, कानून व्यवस्था में सुदृढ़ता  आएगी। पुलिस व्यवस्था में सुधार होगा पुलिस तत्परता से काम करेगी तो निश्चित रूप से आम आदमी को लाभ मिलेगा पुलिस की सेवाएं उसको जल्दी मिलेंगी।


इससे पुलिस प्रशासन में भी कसावट आएगी?
ऑफ कोर्स निश्चित रूप से क्योंकि पुलिस प्रशासन में कमिश्नर प्रणाली में सुपर विजन और तगड़ा हो जाता है। थानों को और हैंड मिल जाते हैं काम करने के लिए सुपर विजन अच्छे से प्रॉपरली हो रहा है।

कमिश्नर प्रणाली से अपराधियों में खाकी का खौफ बढ़ेगा?
निश्चित रूप से जैसे हमारी न्याय की मंशा होती है, आम आदमी जो है उसके अंदर एक निर्भयता  का माहौल हो। उनके अंदर डर  का माहौल ना हो । और जो गुंडे बदमाश है उनके अंदर डर का माहौल होना चाहिए। तो कमिश्नर प्रणाली इस बात की सुनिश्चितता प्रमाणित करेगी।


"पुलिस हमारी मित्र - टीआई हमारा भाई " अभियान आपके द्वारा चलाया गया है इस पर आप बताइए ?
टी आई के रूप में मेरा पहला थाना था जिला सिवनी में छपारा थाना । वहां पर असल में राखी के अवसर पर हमने एक अभियान चलाया था, हमारी थाना क्षेत्र में जो हमारी माता बहने हैं जितनी भी महिलाएं हैं। लड़कियां हैं उनके मन में विचार है कि थाना प्रभारी टीआई जो है वह हमारा भाई है। अमूमन देखने में आता है कि किसी को भी थाना आने में बड़ी हिचक होती है और खासकर महिलाओं को तो और भी ज्यादा झिझक होती है। वह किसी न किसी का साथ ढूंढती रहती है। बिचौलियों को कई बार फायदा मिलता है। पुलिस से सीधा कम्युनिकेशन नहीं हो पाता है,पुलिस तक सीधी पहुंच नहीं हो पाती है। क्योंकि मेरी पोस्टिंग अधिकतर गरीब और आदिवासी इलाकों में होती रही है वहां पर मैंने इस बात को नोटिस किया कि जो गांव के लोग हैं महिलाएं हैं  व थाना आने में हिचकते है। तो यह इसीलिए अभियान चलाया था कि यह सब कम्युनिकेशन दूर हो और उन्हें लगे भाई के ऑफिस  जा रही है। तो निश्चित रूप से वह यहां आकर सीधे टीआई को  अपनी पीड़ा बता सकते हैं ।


 " टीआई हमारा भाई" यह प्रयास इंदौर में आपके द्वारा नहीं किया गया , क्या यहां भी यह अभियान चलेगा और लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी  ?
इंदौर की जहां तक बात है अभी यहां आए हो मुझे चार-पांच महीने ही हुए हैं। हीरानगर थाने में मेरी पहली पोस्टिंग है। क्योंकि यह अभियान अपना असर दिखाता है रक्षाबंधन के समय और जब रक्षाबंधन आएगा तो यहां पर भी इस अभियान को चलाया जाएगा। काफी लोगों को इसके बारे में पहले से जानकारी है। यह मुहिम 2016 से छपारा से शुरू की गई थी मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा इसको काफी अपनाया गया। सोशल मीडिया के माध्यम से जब यह काफी चर्चा में आया तो 2018 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मुहिम को अपनाया था। यूपी के पुलिस अधिकारी ने सभी अपने मातहतों को बोला था कि यह गली गली मोहल्ले मोहल्ले अभियान चलना चाहिए। साथ ही में महाराष्ट्र और यूपी पुलिस के कई अधिकारियों ने इसे अपनाया, बाद में इसके बहुत ही चमत्कारिक रिजल्ट मिले हैं। क्योंकि मैंने अपने थाने  में देखा था कि साल के अंत में महिलाओं के क्राइम रेट में काफी गिरावट आई थी। इसके साइड इफेक्ट बहुत से सामने आते हैं इससे पुलिस की इमेज में काफी इजाफा हुआ। साथ ही कानून व्यवस्था में इसका बहुत फायदा मिलता है। बहुत सारे अपराध होने के पहले ही पुलिस को सूचना मिल जाती है। जो बेसिक पुलिसिंग है उसमें भी इसका काफी लाभ मिलता है। कई फरारी आरोपियों को हमने पकड़ा है। मैं जहां भी जिस थाने में भी रहूंगा उस थाने में यह अभियान चलाया जाएगा मुहिम चलाई जाएगी।


आपके द्वारा वन्य प्राणियों के लिए भी काफी काम किए  है उसके बारे में बताइए ?
एक बार जब मैं कान्हा  क्षेत्र में पदस्थ था मंडला जिले में खटिया थाना,क्योंकि वहां पर नेशनल पार्क है। एक बार जब  एक टाइगर से बहुत नजदीक से  आमना-सामना हुआ, देखा तो सेव टाइगर से जुड़ गया। वहां पर  थाना था काफी समय से वह अस्त-व्यस्त और बिना रंग रोगन के था। मुझे सोशल पुलिस का बड़ा चाव रहा है, स्थानीय लोगों एवं एक रिसोर्ट के मालिक  महेश्वरी जी उनसे मिलकर उस थाने पर जो मुख्य सड़क पर था। जहां से लाखों पर्यटक आते जाते थे थाने  की दीवार को हमने कैनवास के रूप में उपयोग किया। सेव टाइगर के अभियान को वहीं से हमने चलाया जीवंत  पेंटिंग वहां पर बनाई गई। इस प्रकार से हमने वहां पर नवाचार का प्रयोग किया, वहां के जो चीफ कंजरवेटर ऑफिसर द्वारा बताया गया कि यह देश का पहला थाना है जिस तरह का अभियान कोई चलाया गया है।


आपके द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए  भी काफी प्रयास किए गए इस पर कुछ बताइए ?
मेरी पोस्टिंग मंडला जिले में रही है विजय राणा  एक थाना था वहां पर  अतिक्रमण बहुत था, सड़क के दोनों ओर वहां पर छात्रों को छात्राओं को आने जाने में काफी बारिश में तकलीफ होती थी। काफी गंदगी थी  तो हमने एक मुहिम चलाई" ब्यूटीफुल विजय राणा "तो आम जनता के सहयोग से वहां पर हमने अतिक्रमण हटाया। और वहां पर शुक्रवार को जब हाट बाजार लगता था तो शनिवार को हम सारे लोगों को इकट्ठा करते थे, गांव के लोगों को मिलकर अच्छा माहौल  बनाकर स्वच्छता अभियान को चलाया गया था। उससे आपस में कम्युनिकेशन बनता था और एक चाय पार्टी के साथ से सौहार्द्र का वातावरण  बनता था।