लगातार सामने आ रहे मामले, 2019 में 216 अपराध, इस दस माह में ही 328 हुई संख्या
इंदौर। इंटरनेट के माध्यम से सोशल मीडिया का उपयोग तेजी के साथ किया जा रहा है। अधिकांश लोग ऐसे भी हैं, जो इंटरनेट का उपयोग तो करते हैं, लेकिन सायबर अपराध की उन्हें समझ नहीं है और इसी का फायदा उठाकर सायबर अपराधी उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं। वर्ष 2019 में जहां सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों की संख्या 216 थी, जो इस साल अक्टूबर तक 328 हो गई है।
दरअसल अधिकांश लोगों के पास एंड्रायड मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटाप और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण है, जिनमें इंटरनेट का उपयोग करते हुए सोशल मीडिया का भी उपयोग तेजी से किया जा रहा है। लेकिन अनेक लोगों आपको ऐसे मिल जाएंगे, जो इंटरनेट चलाना तो जानते हैं, लेकिन उसका उपयोग करते समय कैसे सावधानी रखी जाए और अपने आपको कैसे सुरक्षित रखे यह शायद कम ही लोग जानते हैं। जो इंटरनेट के जरिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं उन्हें तो सबसे अधिक सावधानी की जरूरत है, लेकिन लोग ऐसा नहीं करते हैं और ठगोरों व जालसाजों के शिकार हो जाते हैं।
साइबर अपराधी किसी तरह सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैक करते हैं और वे पीड़ित के इंटरनेट मीडिया के दोस्तों से रुपयों की मांग करते हैं। कई मामलों में आरोपित लड़कियों को शादी के लिए मना करने या आरोपित से दोस्ती करने से मना करने के बाद हैक किए गए खातों का उपयोग करके आपत्तिजनक संदेश भेजने के बाद उन्हें बदनाम करने के इरादे से लड़कियों की फर्जी प्रोफाइल बनाई जाती थी। हैरानी की बात यह है कि पिछले साल की तुलना में इस साल इंटरनेट मीडिया से संबंधित अपराधों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
सबसे अधिक हैक होते हैं फेसबुक अकाउंट
साइबर सेल और क्राइम ब्रांच को मिली कई शिकायतों में ठगों द्वारा फेसबुक दोस्तों से मदद के नाम पर रुपये मांगने के लिए कई लोगों के फेसबुक अकाउंट हैक कर लिए जाते हैं। ठग विशेष रूप से प्रतिष्ठित लोगों के खातों को हैक करते हैं ताकि लोगों से पूछने के तुरंत बाद उन्हें रुपये मिल जाएं। राज्य साइबर सेल ने कुछ दिनों पहले एक युवक को पकड़ा, जिसने एक फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर एक लड़की को बदनाम करने की कोशिश की। लड़की ने शादी करने से इंकार कर दिया था जिसके बाद आरोपी ने उसकी फर्जी प्रोफाइल बनाई और कुछ संदेश उसके दोस्तों को भेजें। आरोपियों ने टिक-टॉक पर लड़की का फर्जी अकाउंट भी बनाया। इसकी शिकायत लड़की ने साल 2019 में की थी। आरोपित की इस हरकत से परेशान होकर लड़की जान देने पर उतारू हो गई थी।
ंकेवल रुपयों की ठगी ही उद्देश्य नहीं
अधिकांश मामलों में देखा गया है कि ज्यादातर लड़किया सायबर अपराधियों के निशाने पर रहती है। उनके अकाउंट्स हैक करने का उद्देश्य केवल रुपयों की ठगी ही नहीं होता है। कई बार अपराध उनके अकाउंट पर अश्लील फोटो वीडियो अपलोड कर उन्हें बदनाम करते हैं और बाद में इन्हें हटाने के एवज में रुपयों अथवा अन्य मांगे की जाती है। मांगे नहीं मानने पर उन्हें सोशल मीडिया में बदनाम कर दिया जाता है। सायबर सेल के पास अनेक ऐसी शिकायतें लड़कियों ने दर्ज कराई है, जिनमें वे सायबर अपराधियों का शिकार बनी है। साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक, ज्यादातर लड़कियां ही इंटरनेट मीडिया से जुड़े अपराधों का शिकार होती हैं। ऐसे कई मामले हैं जिनमें साइबर सेल ने कई अपराधियों को पकड़ा और उन्हें जेल भेज दिया।
आरोपी आसानी से नहीं आते गिरफ्त में
साइबर अपराधियों को गिरफ्तार करना आसान नहीं रहता, क्योंकि यह अपराधी ऐसे हैं जो सामने आकर वारदात को अंजाम नहीं देते। ऐसे में सायबर सेल पुलिस को विशेषज्ञों की मदद लेनी पड़ती है। साइबर सेल के अधिकारियों ने बताया कि कुछ मामलों में फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य इंटरनेट मीडिया से संबंधित मामलों में अपराधियों को पकड़ने में अधिक समय लगता है। संबंधित खाते की पूरी जानकारी एकत्र करने के बाद अपराध के बारे में जानकारी संबंधित साइट के नियंत्रणकर्ता को दी जाती है। इसके अलावा साइबर टीम को आइपी पते को ट्रैस करना पड़ता है, जिसके माध्यम से अपराध किया गया था। तकनीकी जांच की मदद भी ली जाती है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लग सकता है।
सायबर सुरक्षा विशेषज्ञों की बढ़ रही मांग
कोरोना महामारी में सायबर हैकिंग के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। शहर में पिछले साल के मुकाबले मामले 30 फीसद बढ़े हैं। देश-दुनिया में भी सायबर हैकिंग के मामलों में इजाफा हुआ है। हैकर ने कई कंपनियों को भी इसका निशाना बनाया है। इन मामलों को देखते हुए ज्यादातर कंपनियां अब सायबर हैकिंग से अपनी वेबसाइट और एप को सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा सतर्क हो गई हैं। हर छोटी और बड़ी कंपनियां स्थायी तौर पर सायबर विशेषज्ञ रखने लगी हैं। इससे सायबर हैकिंग की दुनिया को समझने वाले युवाओं की मांग कंपनियों में बढ़ी है। शहर के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट अधिकारी अतुल एन भरत का कहना है कि आॅनलाइन मार्केट में सबसे ज्यादा डर सायबर हैकिंग का है। इसके चलते कई लोग आॅनलाइन पैमेंट पर भरोसा नहीं करते हैं। भरोसे को बनाए रखने के लिए अब कंपनियां हर स्तर पर अपने सर्वर की सुरक्षा बढ़ा रही हैं। सभी कंपनियों में सायबर की जानकारी रखने वालों की मांग बढ़ी है। पिछले छह महीने में शहर के 300 से ज्यादा युवाओं को देश की नामी और कई छोटी कंपनियों ने सायबर सुरक्षा क्षेत्र में काम करने के लिए रखा है। विद्यार्थियों के लिए अच्छा समय है कि वे इस समय अपनी स्किल को बढ़ाकर नौकरी पा सकते हैं। बीए, बीकॉम, एमए, एमकॉम के वे छात्र भी जिन्हें इस क्षेत्र में रूचि है वे काम कर सकते हैं। अच्छे संस्थान से छह महीने का सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स करने के बाद भी कंपनियां मिलने के चांस बढ़ गए हैं।
DGR विशेष
सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों पर नहीं लग रहा अंकुश
- 05 Dec 2020