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DGR विशेष

निर्भया के दोषी लटके फांसी पर अब इन पर निगाहें

  • 22 Mar 2020

इंदौर में 9 और पूरे प्रदेश में 32 को मिल चकी है फांसी सजा
इंदौर। निर्भया के दोषियों को मंगलवार की सुबह फांसी हुई । उन्हें फंदे पर लटकाने के चलते इंदौर सेंट्रल जेल प्रशासन की नजर  अब यहां  फांसी की सजा पाए 9  कैदियों पर है। इस खबर के बाद वे कुछ गलत कदम ना उठा लें, इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। इसे देखते हुए आला अधिकारियों ने कल रात से ही सभी पर विशेष निगाहें रखी है। वहीं पूरे प्रदेश में अब तक दरिंदगी भरे मामलों में 32 लोगों को फांसी की सजा मिल चुकी है, लेकिन फंदे पर किसी को लटकाया नहीं गया है।
सेंट्रल जेल मेें  मासूमों से दुष्कर्म और उनकी हत्या के साथ ही दरिंदगी भरे प्रकरणों में अभी तक 9 ऐसे कैदी  हैं, जिन्हें माननीय न्यायालय ने फांसी की सजा से दंडित किया है, लेकिन आरोपियों के पास अपील के बहुविकल्प होने के कारण किसी को भी फांसी पर नहीं लटकाया जा सका। सजा फैसले के खिलाफ अपील दायर तो की है, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है।
देरी के कारण पर नजर
जिला कोर्ट फांसी की सजा सुनाने के बाद होई कोर्ट को अपना फै सला देते हैं। वहां पर भी फांसी की सजा बरकरर होती है तो आरोपी 90 दिन में सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। वहां से भी फांसी की सजा मिलने पर तीन विकल्प और रहते हैं।
पुनर्विचार याचिका - आरोपी सुप्रीम कोर्ट में पुनॢवचार याचिका दायर कर सकता हैं।
राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका- पुनॢवचार याचिका खारिज हो जाती हैं तो आरोपी राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका कर सकता हैं।
क्यूरेटिव याचिका-यह याचिका तब दाखिल की जाती, जब किसी दोषीकी राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में डाली गई पुनॢवचार याचिका दोनों ही खारीज हो जाएं। इसके तहत सुप्रीम कोर्टअपने हीफैसलों पर पुनॢवचार करने के लिए तैयार हो जाए।
इन कैदियों को मिली फांसी की सजा
विजय पिंटिया पिता माणिकराव, जीतू उर्फ जितेंद्र पिता केदारसिंह, अनोखीलाल पिता सीताराम, नवीन अजय पिता दत्ताजी राव, करण फातिया  पिता भरत,  राजकुमारपिता कोमलसिंह , दिलीप पिता नानुराम, तरूण पिता राकेश, और अंकित पिता कमल  विजयवर्गीय
एक साल में 21 को मौत की सजा
वर्ष 2018 मप्र लोक अभियोजन विभाग के लिए बड़ी उपलब्यिों वाला रहा है। इस वर्ष विभाग के द्वारा 18 नाबालिगों व 1 बालिग के साथ दुष्कर्म और हत्या एवं 3 हत्या के मामलों में अपराधियों को फांसी की सजा दिलाई गई। इस उपलब्धि को हासिल करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया। इसके चलते न केवल वल्र्ड बुक ऑफ लंदन द्वारा सम्मानित किया गया, बल्कि अनेक अवार्ड भी मिले।
2019 में 11 को फांसी, 6 को आजीवन कारावास  
वर्ष 2018 की तरह ही लोक अभियोजन विभाग द्वारा किए गए अथक प्रयासों का ही परिणाम रहा कि वर्ष 2019 में 11 अपराधियों को फांसी की सजा दिलाई गई। इनमें भी 9 मामले दुष्कर्म के हैं। वहीं बलात्कार के अन्य प्रकरणों में इसी वर्ष में 6 को आजीवन कारावास की सजा हुई है।
एक साल में 21 को मौत की सजा
वर्ष 2018 मप्र लोक अभियोजन विभाग के लिए बड़ी उपलब्यिों वाला रहा है। इस वर्ष विभाग के द्वारा 18 नाबालिगों व 1 बालिग के साथ दुष्कर्म और हत्या एवं 3 हत्या के मामलों में अपराधियों को फांसी की सजा दिलाई गई। इस उपलब्धि को हासिल करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया। इसके चलते न केवल वल्र्ड बुक ऑफ लंदन द्वारा सम्मानित किया गया, बल्कि अनेक अवार्ड भी मिले।
2019 में 11 को फांसी, 6 को आजीवन कारावास  
वर्ष 2018 की तरह ही लोक अभियोजन विभाग द्वारा किए गए अथक प्रयासों का ही परिणाम रहा कि वर्ष 2019 में 11 अपराधियों को फांसी की सजा दिलाई गई। इनमें भी 9 मामले दुष्कर्म के हैं। वहीं बलात्कार के अन्य प्रकरणों में इसी वर्ष में 6 को आजीवन कारावास की सजा हुई है।