दूसरे शहरों के सटोरियों ने भी बिछा रखा है अपना जाल
इंदौर। शहर में इन दिनों हर तरह की ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। जब पुलिस ने कुछ मामलों में आरोपियों को पकड़ा तो खुलासा हुआ कि यह ठगोरें अपने स्थानीय मददगारों के जरिए शहर में अपना ठिकाना बना लिया और केवल शहरवासियों को नहीं, बल्कि प्रदेश और अन्य शहरों और देशभर के राज्यों में यहां बैठे-बैठे ठगी की जा रही है। इतना ही नहीं ये ठगोरे आॅनलाइन के अलावा सामाना बेचने और शादियां कराने के नाम पर भी अनेक लोगों को चपत लगा चुके हैं। इनके अलावा आईपीएल मैचों के दौरान सटोरियों पर की गई कार्रवाई में भी यही बात सामने आई है कि बाहर से आकर सटोरियों ने शहर में जगह-जगह पर यह अवैध कारोबार जमकर किया और लाखों के वारे न्यारे किए। हालांकि कुछ नामी सटोरियों को पुलिस ने गिरफ्त में भी लिया, लेकिन अधिकांश हाथ ही नहीं आए।
इंदौर में बैठकर अमेरिकी नागरिकों से ठगी
गत दिनों क्राइम ब्रांच और लसूड़िया पुलिस ने मिलकर कार्रवाई करते हुए लसूड़िया इलाके में संचालित हो रहे फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा किया तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। इंदौर में बैठकर अमेरिका के नागरिकों से ठगी का जा रही थी। जब कॉल सेंटर के कर्ताधर्ताओं की जानकारी जुटाई तो पता चला कि आरोपी दूसरे राज्य से यहां पर आकर कॉल सेंटर चला रहे थे।
अमेरिका में भी एजेंट
डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्र के मुताबिक, यह पता लगाया जा रहा है कि अमेरिकी नागरिकों से ठगी के बाद उनके डॉलर में आने वाले पैसों को ये कैसे भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट कराते थे। इनके सोर्स क्या हैं। प्राथमिक जांच में अमेरिका में भी इनके एजेंट होने की बात पता चली है, जो बिट-क्वाइन के जरिए वाया चीन कॉल सेंटर तक रुपए भेजते थे। इसके अलावा कॉल सेंटर से पकड़े गए 21 युवक-युवतियों में से अधिकांश गुजरात के हैं। इनसे कई तरह के सॉफ्टेवयर और इंटरनेट कॉलिंग के सिस्टम मिले हैं।
बात कर डराते थे
यहां के कर्मचारी अमेरिकी नागरिकों से उनके सोशल सिक्योरिटी नंबर के नाम पर उन्हें ड्रग्स ट्रैफिकिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक फ्रॉड या एंटी नेशनल गतिविधियों में शामिल होने का कहकर डराते थे। फिर गिरोह के क्लोजर व टेक्नो हेड से बात करवा कर ठगते थे। कॉल सेंटर से पकड़े गए मैनेजर और आईटी हेड ने बताया कि उनके यहां काम करने वाला कर्मचारी एक दिन में 100 अमेरिकी लोगों को फोन करता है। इनमें से चार अमेरिकी भी यदि जाल में फंस जाते हैं तो 15 से 20 लाख का खेल हो जाता है। कई बार कुछ कर्मचारी 5 से 10 लाख का ही बिजनेस कर पाते हैं। इन्हें बढ़ावा देने के लिए हर ठगी पर 10 प्रतिशत का कमीशन इन्सेंटिव के रूप में दिया जाता है।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
इसी तरह की कार्रवाई पहले भी लसूड़िया थाना क्षेत्र में हो चुकी है। करीब डेढ़ साल पहले पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा किया था। उस दौरान आरोपी बाहर के ही थे, जिनसे पूछताछ में पता चला था कि वे दूसरे राज्यों के लोगों को इंदौर में बैठकर ठगी का शिकार बनाते थे।
बाहरी सटोरिए आए गिरफ्त में
आईपीएल मैचों के दौरान पुलिस ने जब सटोरियों के खिलाफ अभियान चलाया तो बाहर से आकर शहर में अवैध कारोबार सट्टा संचालित करने और लगवाने वाले बाहरी सटोरिए भी पुलिस की गिरफ्त में आए। इनमें रतलाम और गुना के नामी सटोरिए शामिल हैं।
इसलिए नहीं रहता इंदौर में डर
भले ही जिला प्रशासन ने यहां पर किराएदार और नौकरों की जानकारी थानों पर देना अनिवार्य किया हो, लेकिन अधिकांश लोग ऐसा नहीं करते हैं और बाहर से लोगों को किराए पर मकान या आफिस दे देते हैं। वहीं पुलिस भी कभी कभार ही बाहर से आने वालों की जानकारी जुटाती है। इसलिए बाहर से आए आरोपियों को इंदौर में कोई डर नहीं रहता।
DGR विशेष
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- 14 Nov 2020