कल हुई इसी पानी के पीने से 6 भैंसों की मौत
जनप्रतिनिधि,जिला प्रशासन मौन,नही हो रही सुनवाई
DGR@ घनश्याम परमार
नागदा बिरलाग्राम स्थित ग्रेसिम उद्योग के वर्षों से निकलने वाला रसायन युक्त नाला किसी भी व्यक्ति की नजर से छुपा नहीं है। उद्योग द्वारा इस नाले में 24 घंटे रसायन युक्त जहरीला पानी उद्योग प्रबंधन द्वारा बेखोफ होकर रसायन छोड़ा जाता है । यह नाला नागदा नगर से निकलने वाली धारा प्रवाह चंबल नदी में जूना नागदा के नीचे मिलता है। यहां नदी के पास खड़े रहने में पानी की भयंकर बदबू आती है, यही नहीं यदि नदी में कोई मवेशी पानी पी ले तो उसकी मौत हो जाती है...
नागदा
ऐसा ही वाक्या आज चंबल नदी में देखने को मिला ।नागदा के समीप गांव भगतपुरी के निवासी रघुवीर सिंह गुर्जर की दूध देने वाली छः भेसों ने चम्बल नदी में पानी पीते ही दम तोड़ दिया रघुवीर गुर्जर निवासी भगत पुरी जब पुलिस थाना नागदा में रिपोर्ट दर्ज करवाने गया तो उसे रिपोर्ट लिखने से इनकार कर दिया चंबल नदी के दोनों छोरों पर बसे 14 गांव के किसान इस चम्बल नदी के रसायन युक्त पानी से वर्षों से पीड़ित हैं।
कई बार किसानों द्वारा आंदोलन भी किया गया लेकिन शासन प्रशासन के कानों तक आवाज ही नहीं पहुंच पाई।चंबल नदी के दोनों छोरों पर बसे हुए किसानों के मुंह से अगर दास्तान सुनी जाए तो कानों के सुनने की क्षमता खत्म हो जाए । समीपस्थ ग्राम परमार खेड़ी में चंबल का पानी पीने से 100 से ज्यादा व्यक्ति विकलांग आज भी मौजूद हैं। *यहां पैदा होने वाला बच्चा भी विकलांग ही पैदा होता है।
किसानों की कृषि भूमि की बात की जाए तो लगभग 25000 बीघा कृषि भूमि पर फसल बड़ी मुश्किल से पैदा होती है। इस भूमि पर केला, आम, जामुन, पपीता, पीपल, सब्जियां, फूलों के पेड़ पौधे तो देखने से भी नहीं मिलते है l
नागदा के जनप्रतिनिधि उद्योग समूह की गोदी में बैठे होने के कारण यहां जहरीली गैस जहरीला पानी कृषि योग्य भूमि बंजर हों रहीं हैं।
लकवा, किडनी, डायलिसिस, हार्ट अटैक, जैसी घातक बीमारियो की स्थिति हमेशा निर्मित होती है इसके बाद भी जिला कलेक्टर ,प्रदूषण विभाग, एसडीएम, और पुलिस भी कार्रवाई करने से डरें सहमे नजर आते हैं।