विभाग में भी नए पुलिस कमिश्नर की सख्ती को लेकर हो रही चर्चा
इंदौर। इंदौर पुलिस के नए कमिश्नर के रूप में संतोष कुमार सिंह ने आमद देते हुए पदभार ग्रहण कर लिया और अपनी अनोखी कार्यशैली के अनुरूप अपना कार्य भी शुरू कर दिया है। इंदौर पुलिस के नए कप्तान के आगमन पर डीजीआर ग्रुप परिवार की ओर से भी शुभकामनाएं उनका स्वागत करता है। श्री सिंह के कार्यभार संभालते ही इंदौर पुलिस एक्शन मोड में दिखाई दे रही है और शहर में क्राइम कंट्रोल करने के लिए चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें सभी जोन के अधिकारी खुद सडक़ पर उतरकर जायजा ले रहे हैं। इस अभियान में असामाजिक तत्वों की धरपकड़ से गुंडे-बदमाशों में अब पुलिसिया खौफ दिखाई देने लगा है।
हालांकि पहले भी इनमें पुलिस का खौफ था, लेकिन उतना नहीं, जितना अब है, क्योंकि संतोष कुमार सिंह अपराधियों के खिलाफ काफी हैं, यह उनके पहले के कार्यकाल यानि डीआईजी के रूप में कार्यकाल के दौरान सभी देख चुके हैं। उनके आने के बाद एक ओर जहां गुंडे बदमाशों में खौफ है तो वहीं अपराधियों को डर सता रहा है । लापरवाही बर्दाश्त नहीं करने वाले संतोष कुमार सिंह की कार्यशैली को लेकर विभाग में भी अधिकारियों के बीच तरह तरह की चर्चाएं हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आईपीएस संतोष कुमार सिंह के कंधों पर बड़ी जावदारी डाली है उन्हें पुलिस कमिश्नर बनाकर इंदौर में पदस्थ किया गया है। वहीं राकेश गुप्ता को उन्होंने अपना ओएसडी बनाया है। संतोष सिंह पुलिस महकमें में एक ऐसा नाम है जिनका नाम लेते ही बदमाश जंहा दुबक जाते हैं तो वहीं लापरवाह अफसरो ंकी शामत आ जाती है।
इंदौरवासी नहीं भूले पूर्व का कार्यकाल
संतोष सिंह इंदौर पुलिसिंग के लिए कोई नया नाम नही हैं। 8 साल पहले बतौर डीआईजी वह इंदौर में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। आज तक इंदौरवासी उनके कार्यकाल को नहीं भूले हैं। उनका नाम आते ही गुंडे बदमाश जहां दहशत में आ जाते हैं तो वहीं आमजन इस बात से बेखौफ हो जाते हैं कि संतोष सिंह है तो उन्हें चिंतित होने की जरूरत नहीं है। अब जब वे कमिश्नर बनकर इंदौर आए हैं तो कद तो बड़ा ही साथ ही आमजन की अपेक्षाएं भी उनसे बढ गई हैं।
कई बदमाशों ने छोड़ दिया था शहर
जब संतोष सिंह कमिश्नर बनकर इंदौर आ रहे हैं तब यहां कमिश्नरी लागू है आज पुलिस पहले से कई गुना हाईटैक भी हो चुकी है। कमिश्नरी में शहर को चार झोनों में बांटा गया है और चार एसपी स्तर के अफसर तैनात हैं लेकिन आठ साल पहले की बात करें जब श्री सिंह डीआईजी थे तब उतने संसाधन और उतने अफसर और पुलिसकर्मी नहीं थे तब भी उन्होनें पुलिस का कद इतना बढा दिया था कि बदमाश उनके नाम से थरराते थे। डीआईजी रहते गुंडे बदमाशों के शार्ट एनकाउंटर तक हुए। हाथ पैर टूटने के डर से कई बदमाशों ने शहर छोड़ दिया था। वहीं गैंगवार तक शहर में खत्म हो चुका था।
क्राइम कंट्रोल करके दिखाया
मुख्यमंत्री यादव आईपीएस संतोष कुमार सिंह की कार्यप्रणाली से अ‘छी तरह वाकिफ हैं। जब इंदौर में गुंडो का दखल बड़े पैमाने पर था तब संतोष सिंह ने उनका फन पूरी तरह से कुचल दिया था। राजनैतिक दबाव में कभी रहकर उन्होंने काम करना स्वीकार नहीं किया। तबादला हो जाए वो उन्हें चलेगा लेकिन दबकर नौकरी करना कभी भी सिंह को स्वीकार ही नहीं रहा। यही वजह रही कि जहां पोस्टिंग हुई वहां क्राइम कंट्रोल करके दिखाया।
नशे पर कड़ा प्रहार
इंदौर में नशे का कारोबार चरम पर चल रहा है। खुद कैबिनेट मंत्री कैलाश वियवर्गीय ने मु यमंत्री से खुले मंच से नशे के कारोबार पर कड़ा प्रहार करने की मांग की थी। यही वजह रही कि मुख्यमंत्री यादव ने संतोष सिंह की पोस्टिंग की ताकि गुंडे बदमाशों की तरह ही पैडलरों पर भी वह उसी अंदाज में शिकंजा कसें। सूत्रों का कहना है कि उन्हें मु यमंत्री ने फ्री हैंड इंदौर भेजा है और साफ शब्दों में कहा कि आप बगैर किसी दबाव प्रभाव में काम करें कानून व्यवस्था मजबूत हो ताकि आमजन सुकून से रह सकें।
हालांकि पहले भी इनमें पुलिस का खौफ था, लेकिन उतना नहीं, जितना अब है, क्योंकि संतोष कुमार सिंह अपराधियों के खिलाफ काफी हैं, यह उनके पहले के कार्यकाल यानि डीआईजी के रूप में कार्यकाल के दौरान सभी देख चुके हैं। उनके आने के बाद एक ओर जहां गुंडे बदमाशों में खौफ है तो वहीं अपराधियों को डर सता रहा है । लापरवाही बर्दाश्त नहीं करने वाले संतोष कुमार सिंह की कार्यशैली को लेकर विभाग में भी अधिकारियों के बीच तरह तरह की चर्चाएं हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आईपीएस संतोष कुमार सिंह के कंधों पर बड़ी जावदारी डाली है उन्हें पुलिस कमिश्नर बनाकर इंदौर में पदस्थ किया गया है। वहीं राकेश गुप्ता को उन्होंने अपना ओएसडी बनाया है। संतोष सिंह पुलिस महकमें में एक ऐसा नाम है जिनका नाम लेते ही बदमाश जंहा दुबक जाते हैं तो वहीं लापरवाह अफसरो ंकी शामत आ जाती है।
इंदौरवासी नहीं भूले पूर्व का कार्यकाल
संतोष सिंह इंदौर पुलिसिंग के लिए कोई नया नाम नही हैं। 8 साल पहले बतौर डीआईजी वह इंदौर में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। आज तक इंदौरवासी उनके कार्यकाल को नहीं भूले हैं। उनका नाम आते ही गुंडे बदमाश जहां दहशत में आ जाते हैं तो वहीं आमजन इस बात से बेखौफ हो जाते हैं कि संतोष सिंह है तो उन्हें चिंतित होने की जरूरत नहीं है। अब जब वे कमिश्नर बनकर इंदौर आए हैं तो कद तो बड़ा ही साथ ही आमजन की अपेक्षाएं भी उनसे बढ गई हैं।
कई बदमाशों ने छोड़ दिया था शहर
जब संतोष सिंह कमिश्नर बनकर इंदौर आ रहे हैं तब यहां कमिश्नरी लागू है आज पुलिस पहले से कई गुना हाईटैक भी हो चुकी है। कमिश्नरी में शहर को चार झोनों में बांटा गया है और चार एसपी स्तर के अफसर तैनात हैं लेकिन आठ साल पहले की बात करें जब श्री सिंह डीआईजी थे तब उतने संसाधन और उतने अफसर और पुलिसकर्मी नहीं थे तब भी उन्होनें पुलिस का कद इतना बढा दिया था कि बदमाश उनके नाम से थरराते थे। डीआईजी रहते गुंडे बदमाशों के शार्ट एनकाउंटर तक हुए। हाथ पैर टूटने के डर से कई बदमाशों ने शहर छोड़ दिया था। वहीं गैंगवार तक शहर में खत्म हो चुका था।
क्राइम कंट्रोल करके दिखाया
मुख्यमंत्री यादव आईपीएस संतोष कुमार सिंह की कार्यप्रणाली से अ‘छी तरह वाकिफ हैं। जब इंदौर में गुंडो का दखल बड़े पैमाने पर था तब संतोष सिंह ने उनका फन पूरी तरह से कुचल दिया था। राजनैतिक दबाव में कभी रहकर उन्होंने काम करना स्वीकार नहीं किया। तबादला हो जाए वो उन्हें चलेगा लेकिन दबकर नौकरी करना कभी भी सिंह को स्वीकार ही नहीं रहा। यही वजह रही कि जहां पोस्टिंग हुई वहां क्राइम कंट्रोल करके दिखाया।
नशे पर कड़ा प्रहार
इंदौर में नशे का कारोबार चरम पर चल रहा है। खुद कैबिनेट मंत्री कैलाश वियवर्गीय ने मु यमंत्री से खुले मंच से नशे के कारोबार पर कड़ा प्रहार करने की मांग की थी। यही वजह रही कि मुख्यमंत्री यादव ने संतोष सिंह की पोस्टिंग की ताकि गुंडे बदमाशों की तरह ही पैडलरों पर भी वह उसी अंदाज में शिकंजा कसें। सूत्रों का कहना है कि उन्हें मु यमंत्री ने फ्री हैंड इंदौर भेजा है और साफ शब्दों में कहा कि आप बगैर किसी दबाव प्रभाव में काम करें कानून व्यवस्था मजबूत हो ताकि आमजन सुकून से रह सकें।