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जब ख़त्म हुए डायनासोर, कैसा था पृथ्वी पर वो आख़िरी दिन?

पृथ्वी पर सबसे विनाशकारी दिनों में से एक के बारे में वैज्ञानिकों को नए साक्ष्य मिले हैं.

वैज्ञानिकों ने मैक्सिको की खाड़ी से मिले एक 130 मीटर की चट्टान के एक टुकड़े का परीक्षण किया है.

इस चट्टान में मौजूद कुछ ऐसे तत्व मिले हैं जिनके बारे में बताया जा रहा है कि 6.6 करोड़ साल पहले एक बड़े क्षुद्रग्रह (ऐस्टरॉइड) के पृथ्वी से टकराने के बाद यह जमा हुई थी.

चट्टान से जो प्रमाण मिले

ये चट्टान बहुत से बिखरे हुए तत्वों का एक मिश्रण है, लेकिन रिसर्चरों का कहना है कि ये इस तरह से बंटे हुए हैं कि ये इनके अवयवों की पहचान हो जाती है.

नीचे से पहले 20 मीटर में ज़्यादातर कांचदार मलबा है, जो गर्मी और टक्कर के दबाव के कारण पिघली चट्टानों से बना है.

इसका अगला हिस्सा पिघली चट्टानों के टुकड़े से बना है यानी उस विस्फोट के कारण जो गरम तत्वों पर पानी पड़ने से हुआ था. ये पानी उस समय वहां मौजूद उथले समंदर से आया था.

शायद उस समय इस उल्का पिंड के गिरने के कारण पानी बाहर गया लेकिन जब ये गर्म चट्टान पर वापस लौटा, एक तीव्र क्रिया हुई होगी. ये वैसा ही था जैसा ज्वालामुखी के समय होता है जब मैग्मा मीठे पानी के सम्पर्क में आता है.

दिलचस्प बात यह है कि रिसर्च टीम को चट्टान में कहीं भी सल्फ़र नहीं मिला है. यह आश्चर्य की बात है क्योंकि यह उल्का पिंड सल्फ़र युक्त खनिजों से बने समुद्री तल से टकराया होगा.

किसी कारण से सल्फ़र वाष्प में बदल कर ख़त्म हो गया लगता है.

यह नतीजा उस सिद्धांत का भी समर्थन करता है कि डायनासोर पृथ्वी से कैसे विलुप्त हुए थे.

सल्फ़र के पानी में घुलने और हवा में मिलने से मौसम काफ़ी ठंडा हो गया होगा. मौसम के इतना ठंडा हो जाने से हर तरह के पौधों और जानवरों के लिए जीवित रहना बेहद मुश्किल हुआ होगा.