Highlights

DGR विशेष

पुष्पेन्द्र पुष्प : भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में संविधान का संयम ही इसे कानून से चलने वाला राज बनाता है ..!

  • 25 Jan 2022

स्वास्थ्य, समृद्धि, अधिक उत्पाद, सौहार्दपूर्ण जीवन और सुरक्षा किसी राष्ट्र की सबसे बड़ी जरूरतें हैं, भारत को सहनशीलता की अपनी विरासत की ओर लौटना होगा, क्योंकि यही इसके लोकतंत्र और एकता की बुनियाद है और अगर देशवासी खुद को सांप्रदायिकता के जहर से नहीं बचा पाते, तो एक राष्ट्र के तौर पर इस विशाल देश की एकता खतरे में पड़ सकती है। धार्मिक-सांप्रदायिक सहनशीलता हमारी परंपरा ही नहीं, राजनीतिक अनिवार्यता भी हैं।
दलितों, निरक्षरों, कुपोषितों ओरमजलूमों को खास तवज्जो देने की आवश्यकता हैं। लगता है कि ग्लोबलाइजेशन और बाजार के शोर शराबे में हम अपने इस कर्तव्य से चूक रहे हैं हमारी बहुत सी उत्पादकता केवल ऊंच-नीच और छुआछूत के भ्रम को पालने में खर्च होती है। अकारण ही केवल जन्म के कारण बहुतों पर अच्छे-बुरे का बिल्ला लगा दिया जाता है। हम एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली और ऐसी शिक्षा व्यवस्था लाएं जो हर किसी की क्षमता के मुताबिक उन्हें कोशल प्रदान करे। ऐसा होने पर जाति व्यवस्था का महत्व पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और प्रयासरत् रहना है कि भारत की एकता को मजबूत रखने के लिए संविधान को किसी भी सूरत में फोटरी सियासी तहरीरों के तीरों से बचाया जा सके।