Highlights

चिंतन और संवाद

मोरारी बापू : पतंजलि "ईश्वर" की व्याख्या करते हैं ...

  • 23 Aug 2020

पतंजलि "ईश्वर" की व्याख्या करते हैं ...
ईश्वर माने क्या ?....
बहुत कठिन सूत्र है साहब ...मैं इसको... जिस तरह मैं समझा हूँ उसी तरह....
ईश्वर की कितनी क्लिष्ट व्याख्या है यहाँ लेकिन समझ में आए तो बिल्कुल सरल है ....
पहले सूत्र में ईश्वर की व्याख्या सुन लें ....मैं और आप जिस व्यक्ति में इतने लक्षण देखें... पतंजलि कहते हैं इस विशेष पुरुष को ईश्वर समझना ....
विशेष पुरुष राम है ...विशेष पुरुष कृष्ण है ....विशेष पुरुष स्वयं महादेव है ....
विशेष पुरुष कौन ?....
*  जो प्रसिद्ध ....योजना ना करनी पड़े ....दिशा दिगंत उसको जानते हों .... लोग और वेद उसकी आरती उतारते हों ...प्रसिद्ध अपने आप ...कोई नेटवर्क नहीं... कोई छल बल कल कुछ नहीं.... कुछ आयोजन नहीं.... पूरा जगत जिसको जानता हो ....
*  प्रकाश निधि ....प्रकाश पुंज हो ...प्रकाश की खदान है... प्रकाश की खान है ...प्रकाश का भंडार है... प्रकाश का कोष है....
*   प्रगट हो.... अप्रगट नहीं......
कौन ईश्वर ?....
1.....जिसके पांचों क्लेश खत्म हो गए..... अस्मिता ...अविद्या... अभिनिवेश ...राग... द्वेष ...ये  पंच क्लेश हैं ....
अस्मिता माने हूँ पना ....('मैं'पना ).....गौरव करो तब तक ठीक है ....
अभिनिवेश... मृत्यु का भय जिसका निकल गया....
जिसमें ना राग है ....
ना द्वेष है.....
अविद्या तो है ही नहीं .....और विद्या का कोई दवा नहीं......
*  कर्म ....कर्म का फल ...कर्म का आशय.... जिस विशेष पुरुष के ये तीनों निकल गए ...जो किसी भी कर्म का कर्ता नहीं है.... कर्म होता रहता है.......
शर्त इतनी छोटी सी लेकिन कौन बन पाता है ?... कृष्ण बन सकता है ....शिव बन सकता है.... भगवान राम बन सकते हैं......
।। रामकथा ।। मानस समाधि ।।