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RTO  में मनमानी का राज! : खामियाजा भुगत रहे वाहन मालिक और आवेदक

  • 05 Jul 2020

RTO  में मनमानी का राज! : खामियाजा भुगत रहे वाहन मालिक और आवेदक 
दोपहर 3 बजे तक हो रहा काम, चंद घंटे केबिन में रुककर  बाबू चले जाते हैं घर
इंदौर। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में जो हो जाए वह कम है। कोरोना काल में लॉक डाउन के चलते वैसे कई दिनों तक कार्यालय बंद था और अब जब यह आफिस खुल गया है तो यहां के अधिकारियों-कर्मचारियों की मनमानी का आलम देखने को मिल रहा है, जिसके चलते यहां पर आने वाले वाहन मालिक और लाइसेंस बनवाने सहित अन्य कार्य कराने आने वाले आवेदक भुगत रहे हैं।
दरअसल शहर से कई किलोमीटर दूर नायता मुंडला स्थित आरटीओ संकुल के कार्यालय समय दोपहर 3 बजे तक का कर्मचारियों द्वारा कर दिया गया है। वहीं परमिट वाले बाबुओं से कड़ी मेहनत करवाई जा रही है। यह जब तक परमिट नहीं बना पाते हैं तब तक इन्हें कार्यालय में रूकना पड़ता है। दूरदराज से आने वाले वाहन स्वामियों को अभी पता ही नहीं है कि समय 3   तक का हो गया है।  अगर वाहन स्वामी अपने पेंडिंग कार्य के लिए 2.30 बजे कार्यालय पहुंचता है तो उससे कहा जाता है कि कल आना अभी तो हम घर जा रहे हैं। आरटीओ संकुल सुबह 11 बजे खुलता है, क्योंकि अधिकतर कर्मचारी इस समय  ही पहुंचते हैं।
शिकायत के बाद भी नतीजा सिफर
 इधर अधिकारियों का समय कोई निश्चित नहीं है। इसकी शिकायत कई वरिष्ठ अधिकारियो को की जा चुकी है, लेकिन फिर भी मामला सिफर ही निकला है। अधिकारी और कर्मचारी यह सोचते हैं कि शहर से कई किलोमीटर दूर जिला प्रशासन का कोई अधिकारी यहां आकर यह देखेगा कि इस कार्यालय के कर्मचारियों का आने -जाने का समय क्या है। इसका फायदा यह कर्मचारी उठा रहे हैं।
यह सबसे अधिक परेशान
 जिन वाहनों के फिटनेस होना है, वह समय पर नहीं हो पा रहा है, क्योंकि देवास नाका स्थित लोहा मंडी के एक रोड पर वाहनों के फिटनेस का समय सुबह 11  से 1 बजे तक का है। इसके बाद बाबू को आरटीओ संकुल पहुंचना पड़ता है। बाबू 2 बजे तक संकुल पहुंचता है और 3 बजे घर चला जाता है। इधर फिटनेस कराने के लिए वाहन स्वामियों को पहले अपाइंटमेंट लेना पड़ता है। उसके पश्चात फिटनेस सेक्शन में जाकर बाबू को कागजात देना पड़ते हैं। बाबू कंप्यूटर में अंकित कर फिटनेस का समय देता है। कागजात सुबह कंप्यूटर आपरेटर द्वारा 12 बजे से 2 बजे तक के लिए जाते हैं,। 2 बजे बाद पहुंचने वाले वाहन स्वामियों को अगले दिन बुलाया जाता है।
 बाबुओं ने बताई परेशानी
बाबुओं का कहना है कि कार्यालय जंगल में है। अभी इस ओर कोई आता-जाता है नहीं है।  रोड भी सूना रहता है, इसलिए हमें जल्दी घर पहुंचना पड़ता है। क्योंकि पहले कुछ अपराधी तत्वों ने एक-दो बाबू  पर चाकू से हमला कर उन्हें घायल कर दिया था। परमिट  वाले  स्टाफ को अगर देर हो जाती है तो सब स्टाफ एक साथ तीन इमली तक आता है और वहां से अपने-अपने घर चला जाता है। इधर जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि बाबुओं को जितना काम दे रखा है, वह अपना काम पूरा करते हैं।
दिख रहा कोरोना का भय
लॉकडाउन खत्म होने के साथ ही शासकीय कार्यालयों में कामकाज शुरू करने की अनुमित शासन ने दे दी है, जिसके बाद इंदौर का आरटीओ कार्यालय भी खुल गया है, लेकिन  इस दौरान आरटीओ और एआरटीओ स्तर के अफसर कार्यालय से नदारद रहते हैं। बाबू और एवजियों के भरोसे ही नायता मुंडला स्थित आरटीओ कार्यालय संचालित हो रहा है। इधर सूत्रों का कहना है कि जिस तरह अनलॉक के बाद भी इंदौर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ रही है उससे आरटीओ के अफसर भयभीत हैं। यही वजह है कि इन्होंने कार्यालय से दूरी बना रखी है। दरअसल हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि कोरोना के भय के चलते ही आरटीओ जितेंद्र सिंह रघुवंशी, एआरटीओ अर्चना मिश्रा, निशा चौहान जैसे अफसरों ने दूरी बना रखी है। यह अफसर पिछले कई दिनों में एक -दो बार ही कार्यालय आए हैं। वहीं बाबू और एवजियों के भरोसे ही आरटीओ कार्यालय चल रहा है। अफसरों के नदारद रहने से कामकाज भी प्रभावित हो रहा है, लेकिन शायद वह इस दिशा में नहीं सोच रहे हैं।
घर से हो रहा फाइलों का निपटारा
आरटीओ अफसर भले ही कार्यालय आने से  परहेज कर रहे हैं, लेकिन घर बैठकर  यह कई काम निपटा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि एवजी फाइल लेकर साहब के घर दोपहर में पहुंच जाते हैं और वहीं से फाइलों में हस्ताक्षर कराकर वह जरूरी फाइलों का निपटारा करा रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है जब आरटीओ अफसर  घरों पर बैठकर शासकीय फाइल साइन कर रहे हैं, बल्कि आम दिनों में भी एवजी बोरों में फाइल लेकर अफसरों के घर पहुंचाते हैं, जहां तीन -चार दिन में फाइलों का निपटारा कर पुन: यह आरटीओ कार्यालय पहुंच जाती हैं।
पहले जैसी भीड़ नहीं
कोरोना का भय लोगों में अभी भी बना हुआ है। आम दिनों में आरटीओ कार्यालय में हजारों की संख्या में लोग आते-जाते थे। इनमें आवेदक से लगाकर एजेंट तक थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते जहां कई एजेंट कार्यालय से गायब हंै, वहीं आम आदमी भी फिलहाल आरटीओ कार्यालय जाने से कतरा रहे हैं। मु_ीभर लोग ही आरटीओ कार्यालय में दिखाई देते हैं। ऐसे में जब तक हालात सामान्य नहीं होते तब तक शायद आरटीओ में पहले जैसा कामकाज शुरू होने में अभी और समय लगेगा।