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चिंतन और संवाद

संसार के सात सुख

  • 28 Feb 2021

1. पहला सुख निरोगी काया 
      (शरीर का स्वस्थ रहना 
       पहला सुख माना गया है,
       क्योंकि यदि स्वास्थ्य‌ अच्छा
       नहीं है तो बाकी कुछ भी 
       अच्छा नहीं लगता)
2 दूजा सुख घर में हो माया
      (धन का होना नंबर दो का 
      सुख है। लोग इसे पहला
      सुख मान कर इसके पीछे
      अपनी जान लगा देते हैं
3 तीजा सुख सुलक्षणा नारी
       (यदि किसी की पत्नी अच्छे‌
       चाल-चलन वाली न हो तो
       जीवन नरक बन जाता है)
4 चौथा सुख सुत आज्ञाकारी 
       (पुत्र पिता की आत्मा 
       कहलाता है। यदि वह 
       आज्ञा नहीं मानता है तो
       पिता को इससे बढ़ कर
       दु:ख क्या हो सकता है?)
5 पांचवा सुख हो स्वदेश वासा
        (जीवन-यापन करने के 
        लिए अपना देश, अपनी      
        जन्मभूमि और अपने
       स्वजनों को छोड़ कर 
       अन्य कहीं न जाना पड़े)
6 छठवां सुख हो राज में पासा
      (सरकारी दफ्तरों में पहुंच-
       पैरवी होना बहुत जरूरी
       है, अन्यथा कई प्रकार के
       काम अटक जाते हैं)
7 सातवां सुख संतोषी जीवन
       (प्रारब्ध के अनुसार जो  
       परिवार मिला है और 
       मेहनत करने के बाद जो
       भोग-समग्री मिली है, 
       उसमें संतोष करना ही 
       सातवां सुख कहलाता है)
       प्रारब्ध पहले रचा पीछे 
       रचा शरीर। तुलसी चिन्ता 
       क्यों करे भज ले 
       श्री रघुवीर।।