भू माफियाओं पर शिकंजा कसा, जेल भेजा, फिर भी खरीददारों को नहीं मिली जमीन
इंदौर। एक बार फिर प्रदेश के मुखिया की कमान संभालने के बाद शिवराजसिंह चौहान ने हर क्षेत्र में पनप रहे माफियाओं के खिलाफ अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं और जिला प्रशासन व पुलिस अधिकारियों को फ्री हैंड देकर इन माफियाओं पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए हैं। सीएम की हरी झंडी मिलने के बाद सबसे अधिक भू माफियाओं पर कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है, लेकिन इस कार्रवाई के बावजूद शहर में सैकड़ों ऐसे प्लाटधारक हैं, जिन्हें न्याय का इंतजार है। दरअसल उन्हें भू माफियाओं पर कार्रवाई के बाद भी उनके कब्जे से जमीन अब तक नहीं मिली है।
सूत्रों की मानें तो शहर में ऐसी 25 से ज्यादा संस्थाओं के अनेक प्लॉट धारक अपनी जमीन पाने के लिए भटक रहे हैं, लेकिन शासन ने कोई रास्ता नहीं सुझाया है। पिछले दो साल में चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की, भूमाफियाओं पर एफआईआर और गिरफ्तारी तो खूब हुई, लेकिन प्लॉट धारकों को अब भी न्याय का इंतजार है। 25 से ज्यादा सहकारी व निजी संस्थाओं के अनेक ज्यादा सदस्यों को अब भी प्लॉट नहीं मिला है। वे सहकारिता दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। बॉबी छाबड़ा, चंपू अजमेरा सहित अब तक 30 कुख्यात भूमाफिया जेल जा चुके हैं, लेकिन इनका खेल जारी है, क्योंकि जब तक इनके कब्जे से प्लॉट असली मालिकों को नहीं मिल जाते, तब तक पूरा न्याय नहीं होगा।
दो साल पहले बंटे थे प्लॉट
जनवरी 2019 में तत्कालीन सीएम कमलनाथ ने छह गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के पात्र सदस्यों को 26 जनवरी के दिन नेहरू स्टेडियम में 767 भूखंडों के आवंटन पत्र सौंपे थे। इनमें लक्ष्मण, कसेरा, आस्था, महात्मा गांधी, रूपरेखा और सुविधा गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के सदस्य शामिल थे। तब जिला प्रशासन और सहकारिता विभाग द्वारा तैयार की गई सूची में पहले कविता और शासकीय कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के नाम भी थे, लेकिन ऐनवक्त पर इन संस्थाओं के भूखंडों का आवंटन रोकना पड़ा। इस कारण 785 भूखंडों की संख्या घटकर 767 रह गई थी। अब उन बचे हुए लोगों को भी न्याय का इंतजार है।
आखिर गड़बड़ी कहां
कुछ संस्थाओं में संचालक मंडल के बजाए प्रशासक नियुक्त हैं। सहकारिता अधिनियम के मुताबिक अकेले प्रशासक भूखंड आवंटन का फैसला नहीं ले सकते। जिन संस्थाओं में प्रशासक हैं, उनमें तीन अधिकारियों की कमेटी बनाकर सोसायटी की वरीयता सूची के बारे में फैसला लेने का प्रस्ताव बनाया जाना चाहिए, लेकिन इसे सहकारिता विभाग ने मंजूरी नहीं मिल पाती है। सवाल यह है कि जब सरकार राजी तो आखिर गड़बड़ी कहां हैं?
कभी लगाए थे 100 शिविर
पहले भाजपा और फिर कांग्रेस सरकार ने पिछले साल 100 शिविर लगाकर सदस्यों की बात सुनी थी। एफआईआर दर्ज हुई थी। उसी कारण इतने भूमाफियों की गिरफ्तारी हुई, लेकिन अब प्लॉट धारक चाहते हैं, दोबारा वैसी ही मुहिम शुरू हो।
यह है शहर के भू माफिया
बीते वर्षों में प्रशासन और पुलिस के अफसरों ने जब भू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई का अभियान चलाया था उस दौरान 30 से ज्यादा माफियाओं की सूची तैयार की गई थी। इस सूची में सोसायटी बनाकर जमीनों की हेरफेर करने वाले, वैध-अवैध कॉलोनी काटकर धोखा देने वाले, शासकीय जमीन पर कब्जा करने वाले और निजी जमीनें हड़पने वालों को शामिल किया गया था।
चंपू अजमेरा- कॉलोनी काटने में गड़बड़ी।
चिराग शाह- प्लॉट बेचने में हेराफेरी।
बब्बू और छब्बू- कई गंभीर प्रकरण दर्ज।
दीपक मद्दा- कई विवादित मामलों में नाम।
बॉबी छाबड़ा- जमीन की हेराफेरी।
हेमंत यादव- अवैध वसूली व धमकाना।
अरुण डागरिया- जमीन के घपले।
ओम प्रकाश सलूजा- अवैध निर्माण।
विनोद कालरा- अवैध निर्माण किए।
मुख्तियार- कुख्यात गुंडा, कई अपराध।
DGR विशेष
सैकड़ों प्लाधारक अभी भी है ... न्याय का इंतजार
- 13 Feb 2021