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शहर में फिर फैला सूदखोरों का जाल

  • 17 Oct 2020

बैंक और फायनेंस कंपनियां किस्तों का बना रहे दबाव
इंदौर। शहर में एक बार फिर से सूदखोरों का जाल फैलने लगा है। पूर्व में पुलिस द्वारा सूदखोरों पर कार्रवाई करने के चलते यह अवैध काम लगभग बंद ही हो गया था, लेकिन अब एक बार फिर से सूदखोरों के चंगुल में लोग फंसने लगे हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण लॉक डाउन के चलते काम-धंधे लगभग चौपट हो जाना ही है। कोरोना काल में व्यापार व्यवसाय बंद हो गए और लोगों को जब रुपयों की आवश्यकता हुई तो उन्होंने ब्याज पर रुपए ले लिए, चूंकि अब अनलॉक में सभी कुछ खुल गया है, लेकिन अभी लोगों की कमाई नहीं हो रही है, जिससे वे ब्याज नहीं चुका पा रहे हैं और सूदखोर परेशान कर रहे हैं।
यही हाल निजी बैंकों और फायनेंस कंपनियों ने भी कर्ज लेने वालों का कर रखा है। वे लॉक डाउन और उसके बाद भी इनकी किश्तें नहीं भर पाए और अब उन पर एक साथ रुपए जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में कुछ लोग परेशान होकर अपनी जान तक दे रहे हैं। हाल ही में तीन लोगों ने कर्ज के चलते ही अपनी जान दे दी। एक को जहां सूदखोर ठेकेदार ने परेशान कर दिया था, वहीं दूसरे ने निजी फायनेंस कंपनी के कारण अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
सुसाइड नोट में लिखा फायनेंस कंपनी का नाम
स्कीम नंबर 136 में रहने वाले सुरजसिंह गौतम ने गत 23 जुलाई को सुसाइड किया था। इस दौरान एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें इस तरह का कदम उठाने के लिए शुभम हाउसिंग फायनेंस को जिम्मेदार बताया गया था। मृतक की बहन सोनिया ने बताया कि लॉकडाउन में नौकरी नहीं होने से सैलरी नहीं मिली थी। सैलरी में से ही बैंक की किस्त भी जाती थी। बैंक की किस्त नहीं भरने के चलते बैंक के रिकवरी डिपार्टमेंट ने इतना प्रेशर बनाया कि भाई ने जिंदगी को छोड़कर मौत को गले लगा लिया।
युवक ने भी लगा ली थी फांसी
पंढरीनाथ थाना क्षेत्र में रहने वाले 23 वर्षीय युवक  ने 8 सितंबर को फंदा लगाकर जान देदी। उसने प्राइवेट लोन महज तीन हजार का लिया था। लोन नहीं जमा करने के चलते बार-बार फायनेंस वालों के कॉल आ रहे थे। यह बात घर वालों को नहीं पता चल जाए इसलिए खुदने खुद की जिंदगी की लौ हमेशा के लिए बुझा ली।
सूदखोर के कारण आटो चालक ने दी थी जान
तिलक नगर थाना क्षत्र के पिपल्याहाना इलाके में रहने वाले आटो रिक्शा चालक नरसिंह देवड़ा ने गत 3 अक्टूबर को फंदा लगाकर जान दे दी थी। मामले की जांच में पुलिस को ऑटो चालक के पास से एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें उसने ठेकेदार गोपाल के खिलाफ सूदखोरी का आरोप लगाया था। ठेकेदार ऑटो चालक नरसिंह को रोजाना धमकाकर डेढ़ लाख रुपए ब्याज पर देने के बाद उससे साढ़े तीन लाख रुपए की मांग करता था। नरसिंह हर महीने 10000 रुपए महीने की किस्त बना चुका था, लेकिन लॉक डाउन के चलते वह किश्त नहीं चुका पा रहा था। सूदखोर द्वारा दी जाने वाली धमकियों से डरकर उसने अपनी जान दे दी थी।
संजीवनी के पास पहुंच रहे मामले
लोगों का जीवन बचाने के लिए शुरू की गई पुलिस की संजीवनी हेल्पलाईन की काउंसलर राजश्री पाठक बताती हैं कि लॉकडाउन के तीन माह पहले उनके पास जो केस आते थे, उनमें सबसे अधिक आर्थिक कारण या यूं कहे कि सूदखोर से या बैंक वालों द्वारा प्रताडि़त करने के मामले कम आत थे। लॉक डाउन के बाद 70 प्रतिशत केस में यहीं बात सामने आई कि कोई काम काज नहीं होने के चलते व्यक्ति बैंक की किस्त भर पा रहा है या फिर सूदखोर के द्वारा लिए हुए रुपए भरने में असमर्थ है। दोनों के द्वारा दबाव बानके चलते अवसाद में आए लोगों के कॉल ज्यादा आए हैं । ऐसे ही पांच मामलों में तो संजीवनी इनके लिए वरदान साबित हुई है।
संजीवनी ने ऐसे बचाई जान
राजस्थान से इंदौर में कारोबार करने आए युवक पर लॉकडाउन का ऐसा असर रहा कि उस पर कुछ ही समय में 20 लाख का कर्जा हो गया। यह पैसा उसने बैंक, रिशेतार और सूदखोरो से लिया था। अब सभी उससे रुपयों की डिमांड कर रहे है। इससे तंग आकर वह सुसाइड करने वाला था। किसी ने इसकी जानकारी हमें दी तो हमने उसकी कांउसलिंग की और जिन जिन से रुपए लिए थे उन्हें हकिकत से रुबरु कराया। नतीजा यह रहा कि आज सभी लोग उसकों मेंटली सपोर्ट कर रहे है और उन सभी के सपोर्ट से उसने मौत को छोड़ जिंदगी को चुना है।
बुजुर्ग दंपति को भी बचाया
शहर में एक बुजुर्ग दंपती रहते हैं। पत्नी एमपीबी से रिटायर्ड है। उनका गुजारा किराए के कमरों और पेंशन से होता था। पेंशन तो आ रही है लेकिन किराया आना बंद हो गया। वहीं उनकी किस्तों के चलते अब बैंक वाले भी परेशान कर रहे हंै। इसके चलते महिला मौत को चुनने वाली थी। इसके पूर्व वह संजीवनी पर आई। यहां पर उनकी कांउसलिंग की गई वहीं बुजुर्ग दंपती की समस्या उनके परिवार वालों को भी बताई। नतीजा यह रहा कि अब बुजुर्ग दंपति का बैंक का लोन परिवार वाले भर रहे हैं।