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शिकंजे में शहर के भू माफिया... पीडि़तों को जागी आस

  • 23 Feb 2020

पुलिस और जिला प्रशासन लगातार कर रहा कार्रवाई
इंदौर। शहर के नामी माफिया लोगों की खून पसीने की गाढ़ी कमाई को जमीन के नाम पर हजम कर जाते थे और उनके खिलाफ कई बार शिकायतें होने के बादभी कार्रवाई नहीं होती थी, उन माफियाओं पर अब पुलिस और जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश पर शिकंजा कसा तो उन पीडि़तों को न्याय की आस जाग गई, जो इन माफियाओं का शिकार हुए थे।
दरअसल मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश पर पूरे प्रदेश में माफियाओं के खिलाफष् चलाए जा रहे अभियान में सबसे अधिक इंदौर में भू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई में कई माफिया तो ऐसे भी सामने आए हैं, जिनके खिलाफ ढेरों शिकायत पहले भी हो चुकी है, लेकिन हुआ कुछ नहीं। लेकिन पहली बार ऐसी कार्रवाई जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है, जिसमें न केवल माफियाओं के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है, बल्कि इन जमीन के जादूगरों का शिकार हुए लोगों प्लाट, मकान और फ्लैट भी दिलाए जा रहे हैं। इस अभियान से जहां पीडि़तों को राहत मिली है, वहीं उनका पुलिस और प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है। साथ ही जनता को उम्मीद जागी है कि अब उनके खून पसीने की गाढ़ी कमाई नहीं डूबेगी।
राजनीतिक संरक्षण प्राप्त भी घेरे में
पुलिस और जिला प्रशासन ने अभियान के दौरान कार्रवाई करते हुए न सिर्फ रसूखदार माफियाओं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण प्राप्त जमीन के जादूगरों पर भी शिकंजा कसा है। इस सख्त कार्रवाई के चलते कुछ नामी माफिया तो शहर छोड़कर भूमिगत हो गए हैं। इन पर इनाम घोषित करते हुए पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।  ऐसा नहीं है कि पूर्व में इन माफियाओं के सताए पीडि़त पुलिस और जिला प्रशासन के पास नहीं पहुंचे थे। इनकी शिकायत तो ली गई, लेकिन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। ऐसा इसलिए भी नहीं हुआ, क्योंकि ये माफिया अपने रसूख के चलते हर बार बच जाते थे, या बचने का कोई न कोई तरीका निकाल लेते थे। इनमें अधिकांश वे माफिया शामिल हैं, जो कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हैं, लेकिन वर्तमान में करीब दो माह से इनके खिलाफ चल रही कार्रवाई में अब इन पर भी शिकंजा कसा जा रहा है।
इन पर किए केस दर्ज
पुलिस की एफआईआर में चिराग, चंपू, हेमंत, छब्बू-बब्बू शिवनारायण, मुश्ताक के साथ कई बड़े जमीन कारोबारी शामिल हैं। भूमाफिया हेमंत यादव पर सेंट्रल कोतवाली और विजय नगर पुलिस ने अवैध कब्जे और धोखाधड़ी के दो केस दर्ज किए।  तुकोगंज पुलिस ने चिराग शाह और बिल्डर ए मेहता पर सहकारिता विभाग की शिकायत पर प्लॉटों की हेराफेरी में केस दर्ज किया। शिवनारायण अग्रवाल के खिलाफ लसूडिय़ा पुलिस ने तुलसी नगर कॉलोनी में प्लॉटों की धोखाधड़ी के दो केस दर्ज किए।  फर्जी दस्तावेजों से प्लॉट बेचने के मामले में बिल्डर गोपाल गोयल, मनोहर मीणा, भरत रघुवंशी, अफसर पटेल और विक्की रघुवंशी पर खजराना पुलिस ने केस दर्ज किया। माफिया बब्बू-छब्बू, अकरम शेख, इमरान, समीर शेख, संचालक नितिन चंपालाल सिद्ध पर न्याय नगर संस्था के प्लॉटों के फर्जी कागज बनाकर धोखाधड़ी का केस दर्ज।   खजराना में मम्मू पटेल और इस्लाम पर जमीन की धोखाधड़ी का केस दर्ज। शेख इस्माइल, शेख मुश्ताक, मेहबूब, अरविंद ठाकुर व दीपक पाटनी पर सीलिंग की जमीन पर प्लॉट काटने का केस दर्ज।  शेख मुश्ताक, इस्माइल, सरताज खान, सुखदेव, राधेश्याम, अनोखीलाल, खलील रहमान, संतोष, शाहजहां, राजेंद्र केदाल, अरविंद ठाकुर, दीपक पाटनी, धर्मेंद्र साहू पर धोखाधड़ी का केस किया है। एरोड्रम पुलिस ने भूमाफिया रामसुमिरन कश्यप पर शासकीय भूमि पर कॉलोनी काटने और उसके प्लॉट लोगों को बेचकर धोखाधड़ी करने का केस दर्ज किया है। आरोपी फिलहाल सेंट्रल जेल में बंद है। इसके खिलाफ डेढ़ दर्जन अपराध दर्ज हैं।
ये हैं भू माफिया
बॉबी छाबड़ा- कई संस्थाओं में जमीन घोटालों में नाम।
चिराग शाह- जमीन घोटाले में कई मामले।
चंपू अजमेरा- एक ही प्लॉट कई बार बेचे।
बब्बू-छब्बू- जमीन पर कब्जे के कई मामले दर्ज हैं।
शिवनारायण अग्रवाल- तुलसी नगर में घपला।  
शेख मुश्ताक- मयूर नगर संस्था में बड़ी धांधली। 6अरुण डागरिया-प्लॉट काटने के नाम पर धोखाधड़ी।  
धवन बंधु- हैप्पी और लकी का जमीन घोटालों में नाम। 6 रामसुमिरन कश्यप- घोटालों में ईओडब्ल्यू में केस।
ओमप्रकाश सलूजा, मनोज शुक्ला, श्याम खत्री, विनोद कालरा - कई तरह के जमीन घोटाले के आरोप हैं।
हाईपॉवर कमेटी के पास ढेरों शिकायतें
कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने तीन हाईपॉवर कमेटी बनाई है। ये कमेटियां अवैध कॉलोनी, सहकारिता विवाद और शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे के मामलों की जानकारी जुटा रही है। इस कमेटी के पास जमीन से संबंधित सेकड़ों मामलों की शिकायतें पहुंच रही है। इन शिकायतों पर लगातार कार्रवाई भी की जा रही है।
पुलिस ने भी बनाया सेल
इसी क्रम में एसएसपी रुचिवर्धन मिश्र ने एंटी माफिया शिकायत सेल बनाया है, जिसमें 7049124444  पर कोई भी शिकायत कर सकता है। संपत्ति, अवैध वसूली, सरकारी जमीन पर कब्जे जैसे मामलों में शिकायत की जा सकती है। इस सेल के गठन के बाद एक और निर्णय लेते हुए पुलिस कंट्रोल रूम में ऐसी व्यवस्था की गई है, जहां हर जमीनों के मामले में ठगाए पीडि़त अपनी शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं और उनकी शिकातयों की जांच के बाद भू माफियाओं पर प्रकरण भी दर्ज किए जा रहे हैं।
सहकारिता विभाग की लापरवाही अभियान में बाधक
भूमाफियाओं और कॉलोनी विकसित कर लोगों को प्लॉट नहीं देने वालों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में सहकारिता विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही बाधक बन रही है। जांच के बाद  विभाग वरीयता सूची तैयार कर नहीं दे रहा है, जिससे लोगों को न्याय दिलाने में देरी  हो रही है। राज्य सरकार द्वारा भूमाफियाओं के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान व कलेक्टर लोकेशकुमार जाटव के ऑपरेशन क्लीन अभियान के चलते रोजाना सैकड़ों पीडि़तों के आवेदन सामने आ रहे हैं। हर तहसील में जमीनों की धोखाधड़ी, सरकारी जमीन पर कॉलोनी विकसित करने और संस्थाओं द्वारा प्लॉट न दिए जाने के मामलों की सुनवाई कर जांच करवाई जा रही है। तहसीलदार और एसडीएम के साथ सहकारिता विभाग के निरीक्षकों को भी जोड़ा गया है।  जांच में पटवारी रिपोर्ट और तहसीलदार की मौके पर जांच के बाद जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उसके अनुसार रिपोर्ट तैयार की जा रही है। संस्थाओं के प्लॉट को लेकर अधिकांश अधिकारियों ने जांच पूरी कर अपनी टीप के साथ आला अधिकारियों को सौंप दी है। प्रशासन के निर्देश के बाद भी सहकारिता विभाग से वरीयता सूची तैयार करने के लिए कहा है। विभाग के जिम्मेदार सूची तैयार करने के बजाय बहाने कर लापरवाही बरतते जा रहे हैं। समय रहते सूची नहीं बन पाने से प्रशासन दूरसरे चरण में दिए जाने वाले प्लॉटों के लिए कम लोगों का ही नाम तय कर पाया है। कई संस्थाओं की जानकारी पूर्ण होने व पहले से तैयार वरीयता सूची के बाद भी अधिकारियों को गुमराह कर सूची सामने रखी नहीं जा रही है। डाक तार विभाग गृह निर्माण संस्था (सर्वानंद नगर) जो कि प्राधिकरण की योजना 97 भाग 4 का  हिस्सा बन गई है, वहां लगभग 465 लोगों को प्लॉट दिए जाने हंै, किंतु सहकारिता विभाग द्वारा संस्था के प्रशासक बनाए गए अधिकारी मात्र 7 प्लॉट बताकर टालने का प्रयास कर रहे हैं। इस संस्था  के 76 सदस्यों की शिकायतें प्रशासन के पास आ चुकी हैं। प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार उक्त संस्था की भूमि पर लोगों का कब्जा है और सहकारिता विभाग ने अभी तक वरीयता सूची बनाकर उन्हें नहीं दी है। लापरवाही की शिकायत के चलते पिछले दिनों संयुक्त आयुक्त सहकारिता ने प्रशासक को हटाकर अन्य को जिम्मेदारी सौंपी तो चार्ज देने के बजाय वे बीमार होने का बहाना कर गायब हो गए । बताया जाता है कि उक्त संस्था की वरीयता सूची सन 2007 में तैयार की गई जो विभाग के पास सुरक्षित है। यही नहीं, मामले में न्यायालय के निर्देश भी होने के बावजूद लोगों को प्लॉट देने में कोई रुचि नहीं ले रहा है।