आम पुलिस कार्यप्रणाली और नारकोटिक्स पुलिस कार्यप्रणाली में क्या अंतर होता है ?
यह एक अच्छा सवाल है, नारकोटिक्स अकेला एक ऐसा थाना है जिसमें मुखबिर से ही सूचना प्राप्त होने पर ही कार्यवाही की जाती है । यहां पर जनता द्वारा कोई शिकायत नहीं की जाती है। क्योंकि मुखबिर से सूचना प्राप्त होती है और नारकोटिक्स के द्वारा उसी मुखबिर की सूचना के आधार पर ही कार्यवाही की जाती है। और पुलिस फरियादी रहती है इसमें इस तरह से कार्यप्रणाली रहती है।
DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )
इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू की है इसको आप किस तरह से देखते हैं ?
इंदौर में जो कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है वह एक अच्छी प्रक्रिया है और शासन की मंशा के अनुरूप इस प्रणाली को लागू किया गया है। हालांकि हमारी जो विंग है नारकोटिक्स सेल जो है वह इकाई अलग है यह इकाई कमिश्नर प्रणाली से अलग है। क्योंकि यह एक अलग प्रक्रिया है।
नारकोटिक्स की जो कार्यप्रणाली है उस पर आपके विचार प्रस्तुत करें?
नारकोटिक्स विभाग इसीलिए अलग से बनाया गया है कि यह एक अलग तरह के कार्य को अंजाम देता है जिसमें मादक पदार्थों की विधिवत आरोपी से जब्ती की कार्यवाही की जाती है। जब्ती की कार्यवाही कर के न्यायालय में पेश करते हैं। यही प्रक्रिया नारकोटिक्स विभाग की रहती है।
मुखबिर तंत्र जो काम करता है उसका क्या क्राइटेरिया होता है , क्या वे आपके विभाग के अधिकृत व्यक्ति होते हैं ?
नहीं वे नारकोटिक्स विभाग के अधिकृत व्यक्ति नहीं होते हैं, वे पैड एम्पलाई भी नहीं होते हैं कोई भी व्यक्ति हमारे लिए मुखबिर का काम कर सकता है वह विश्वसनीय अवश्य होता है।
नारकोटिक्स विभाग का आम जनता से क्या सीधा संबंध होता है?
देखिए नारकोटिक्स विभाग का आम जनता से यह संबंध होता है कि, जो भी मादक पदार्थ होते हैं, उनसे जागृति के लिए अवेयरनेस के नशा मुक्ति के कार्यक्रम करते हैं। इससे जनता को फायदा होता है और नशा मुक्ति के साथ-साथ हम स्कूल और कॉलेजों में जाकर भी हम नशा मुक्ति के लिए अवेयरनेस के आयोजन करते रहते हैं। इसके अलावा आम चौराहों पर भी हमारे द्वारा अवेयरनेस के कार्यक्रम किए जाते हैं। आम जनता को हमारे द्वारा बताया जाता है कि, नशा अच्छी चीज नहीं है नशे से दूर रहना समाज के लिए अनिवार्य है। क्योंकि गांजा , स्मैक, भांग , अफीम का या कोई भी नशा खराब होता है नहीं करना चाहिए।अतः नारकोटिक्स विभाग का तो आम जनता से सीधा संबंध है ही सही उनके हित के लिए ही नारकोटिक्स विभाग कई कार्यक्रम करता है।
नारकोटिक्स विभाग के माध्यम से कौन से अपराध नियंत्रित होते हैं?
इससे जैसा कि मैंने बताया मादक पदार्थ की रोकथाम के लिए काम किया जाता है। नशा मुक्ति, नशे की लत लत जिसे लग गई है, नशे में आदमी अपराध करता है, वह किसी भी तरह का अपराध हो सकता है। जन जागरण के कार्य किए जाते हैं। इसलिए नारकोटिक्स के द्वारा मादक पदार्थों का जो रोकथाम किया जाता है उसे कई तरह के अपराधों पर भी नियंत्रण अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। इससे जनता को फायदा होता है और अपराध पर नियंत्रण होता है।
इंदौर में ड्रग्स का व्यापार बहुत बड़ा है इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
देखिए क्या होता है कि मुखबिर से सूचना मिलती है उस पर ही हम कार्यवाही करते हैं कोई सूचना नहीं मिलती है तो फिर बड़ा मुश्किल होता है पुलिस कार्रवाई करती है। बढे हुए ड्रग्स के व्यापार पर समय-समय पर पुलिस द्वारा बड़ी कार्यवाही की जाती।
नारकोटिक्स विभाग में आपके द्वारा कोई बड़ी कार्यवाही की गई हो ?
नारकोटिक्स विभाग के द्वारा ड्रग्स के मामले में कई बड़ी कार्यवाही की गई है और हमारे आने के बाद तो, हमने पिछले दिनों 7 क्विंटल गांजा पकड़ा है। स्मैक भी पकड़ी है और अफीम भी पकड़ी है।
एम डी का नशा क्या होता है ?
नशों के कई प्रकार होते हैं, इसी तरह से एमडी भी एक तरह का नशा है और यह किसी नशे के एक कोड वर्ड जैसे होता है। वैसे एमडी नशे का नाम पड़ गया है परिभाषा इसकी कुछ नहीं कह सकते हैं।
भ्रष्ट तंत्र को कैसे रोका जा सकता है ?
देखिए सवाल तो अच्छा है पर इसके लिए हमारे विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। और उस पर कोई टिप्पणी भी नहीं करेंगे। हालांकि भ्रष्ट तंत्र को रोकने के लिए लोकायुक्त जैसे विभाग बने हुए हैं वह भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करते हैं। जो भी भ्रष्टाचार होता है उसके खिलाफ लोकायुक्त पुलिस के द्वारा कार्यवाही की जाती है ।
नारकोटिक्स के बारे में वह बिंदु बताइए जो आम आदमी नहीं जानता है ?
जैसे कि मैंने पूर्व में भी बताया है। नारकोटिक्स विभाग में सिर्फ मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए कार्रवाई की जाती है। और इससे संबंधित जब्ती भी की जाती है। यह कार्यवाही सिर्फ नारकोटिक्स थाने पर ही की जाती है और किसी थाने पर यह कार्यवाही नहीं की जाती है। नारकोटिक्स की कार्रवाई में पुलिस ही फरियादी रहती है। इसमें कोई जनता का फरियादी नहीं होता है। सिर्फ और सिर्फ मुखबिर की सूचना पर ही कार्यवाही की जाती है। जनता की तरफ से कोई किसी तरह की शिकायत नहीं होती है। मुखबिर ही सूचना देता है, कि यहां पर अवैध काम हो रहा है,यहां पर नक्शे से संबंधित पर गतिविधियां हो रही है,मादक पदार्थ इसके पास है उसके पास है। पूरे मध्यप्रदेश में सूचना मिलती है तो मौके पर जाकर जब्ती की कार्रवाई करते हैं।
मादक पदार्थों और नशे से बचने के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
हमारा संदेश यह है कि नारकोटिक्स का जो भी नशा करता है, नशे से छुड़ाने के लिए हमने बहुत सारे अभियान चलाएं हैं,बहुत सारे प्रयास किए हैं और हमेशा नारकोटिक्स के इस प्रयास से कई सारे लोगों ने नशा छोड़ भी दिया है और मुख्यधारा में वह आ भी गए हैं। समाज में मान-सम्मान के साथ में रहते हैं। हमारे यहां से नशा मुक्ति केंद्र की कार्यवाही भी की जाती है और स्कूलों कॉलेजों में जाकर इसके लिए जन जागरण के अभियान भी चलाए जाते हैं। और कई बार चौराहे चौराहे पर जाकर कई कार्यक्रम हम लोगों के द्वारा किया जाता है। नशे के बारे में बताया जाता है कि नशे से पूरा घर तबाह हो जाता है। परिवार मिट जाते हैं क्योंकि नशे से हर प्रकार से आर्थिक नुकसान ही होता है।
क्या परिवार के टूटने एवं घर में होने वाली हिंसा का कारण नशा भी होता है ?
परिवार के टूटने का कारण कई बार नशा भी होता है। क्योंकि जो नशे का जो आदि रहता है वह पिए बिना रहता ही नहीं, और उसको पूरा करने के लिए व चोरी चकारी कुछ भी करेगा, मां बाप के पास से पैसा चोरी कर लेता है । मेरा अनुभव है मैं जब मंदसौर में था तो मैंने वहां देखा कि घर के बर्तन तक बिक जाते हैं।
नशे के कारण घर में अनेक प्रकार के झगड़े होते हैं, नशा तो जीवन में होना ही नहीं चाहिए, मेरा तो यह कहना है। और इसी कारण हिंसा का जो कारण बनता है वह नशा माना जा सकता है।
समाज में बदलाव के लिए आप की क्या भूमिका होती है ?
सामाजिक बदलाव के लिए नारकोटिक्स विभाग के द्वारा भारत सरकार की योजना और मध्य प्रदेश सरकार की योजना के तहत कार्य किया जाता है। नशा मुक्ति के लिए हमारे विभाग द्वारा प्रमुखता से सामाजिक बदलाव लाने के लिए जन जागरण और अवेयरनेस के कार्यक्रम किये जाते रहते हैं। तो सामाजिक बदलाव में नारकोटिक्स विभाग का महत्वपूर्ण रोल होता है।