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संवाद और परिचर्चा

संवाद और परिचर्चा : श्री धर्मवीर सिंह नागर  थाना प्रभारी - एमजी रोड

  • 09 Feb 2022

हम सभी का यह प्रयास होगा कि अक्सर यह शब्द जो सुनने को मिलता है कि इंदौर क्राइम सिटी बनने की ओर अग्रसर है तो इस पर हम इसे रोकने का पूरा प्रयास कर रहे हैं l जिससे कि इंदौर के लिए यह शब्द दोबारा सुनने को ना मिले 
आम आदमी की पहुंच अब सिर्फ मुझ तक ही नहीं बड़े और बड़े अधिकारियों तक भी उनकी पहुंच  हो गई है...
DGR@ एल. एन. उग्र ( PRO )


इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है इसको आप कैसे देखते हैं?
यह बहुत ही अच्छा और प्रभावी सिस्टम है, इससे अपराधियों पर निसंदेह पूर्ण रूप से  अंकुश लगेगा, इंदौर को जैसा कि आप जानते हैं चार जोन में बांटा गया है, और सभी के प्रभारी सभी पुलिस अधीक्षक महोदय हैँ, उनके अधीन सभी अधिकारी हैं l क्योंकि क्षेत्र और कम हो गया है तो अब अधिकारीगण उस पर और अच्छे से निगाह रख सकेंगे, साथ ही उनके क्षेत्रों में होने वाले अपराध और अपराधियों पर सतत मॉनिटरिंग उन के माध्यम से की जा सकेगी,पहले भी मॉनिटरिंग होती रही है पर अब और अच्छे से मॉनिटरिंग की जा सकेगी  l
इसके माध्यम से क्या पुलिस प्रशासन में कसावट आएगी?
निश्चित रूप से इससे पुलिस प्रशासन में कसावट आवेगी, फील्ड में और भी जो हमारा फोर्स है ,वह जोर शोर से काम कर सकेगा l अपराधियों पर काफी कार्यवाही अभी हो रही है.. जो लोग गुंडागर्दी करते थे और दादागिरी करते थे सरे आम इन सब पर काफी हद तक अंकुश लगा है, जो कुख्यात गुंडे या बदमाश लोग थे अब वो सब भूमिगत जैसे हो गए हैं l
युवा वर्ग जो नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं उस पर आप क्या कहेंगे?
पुलिस विभाग के जो वरिष्ठ अधिकारी है,जितने भी थाना प्रभारी गण है,सभी लोगों का शुरू से ही यह उद्देश्य  रहा है कि नशे पर पूर्णता अंकुश लगे और इस प्रयास में पहले भी कार्यवाही होती रही है l आबकारी एक्ट के तहत एनडीपीसी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है और इस बीच यह भी देखा गया है कि, छोटे-छोटे बच्चों के बीच नशे की लत बड़ी है l रोड पर जो भीख मांगने वाले लोग हैं, वह  नशे की गिरफ्त में है, इन पर भी निगाह रखी जा रही है l सोशल वर्क भी किया जा रहा है,समझाइश भी दी जा रही है, साथ ही चाइल्ड हेल्पलाइन के माध्यम से भी समझाइश दी जा रही है l
घरेलू हिंसा में आप किसे दोषी मानते हैं ?
घरेलू हिंसा में मेरा ऐसा मानना है कि लगभग दोनों पक्ष ही दोषी रहते हैं, क्योंकि एक बच्ची शादी होकर अपने घर से ससुराल आती है l जहां पर उसने अपना पूरा समय बिताया और फिर एक नए वातावरण में आती है तो उसको उस में ढलने में थोड़ा समय लगता है और जो ससुराल पक्ष है उसे एडजस्ट करने में भी समय लगता है तो चर्चा करें बात करने से और उसे अपने परिवार का सदस्य मानते हुए व्यवहार करें, तो जो कन्फ्यूजन होते हैं वह दूर होते हैं लेकिन जहां यह कम्युनिकेशन गैप आता है फिर विवाद बढ़ने शुरू हो जाते है l 
सामाजिक बदलाव के लिए पुलिस के क्या प्रयास होते हैं?
सामाजिक बदलाव के लिए पुलिस के यह प्रयास रहते हैं कि जैसे समाज कि जो कुरीतियों और बुराइयों है जैसे घरेलू हिंसा नशा और छोटी मोटी बातों पर पड़ोसियों से जैसे विवाद हो जाते हैं तो इसमें पुलिस जब  पैदल भ्रमण पर जाती है और पूर्व में हम लोग के पुलिस मुख्यालय के नारे भी रहे हैं कि  कि "पड़ोसी की सुरक्षा में है अपनी सुरक्षा" तो इस तरह की समझाइश हमारे द्वारा दी जाती है, .. मोहल्ला समिति की मीटिंग के समय या नगर सुरक्षा समिति की बैठक के समय या फिर शांति समिति की जब बैठक लेते हैं, तो उसमें हमारे वरिष्ठ अधिकारीगण विचार और मुद्दों पर चर्चा करते हैं, और संबंधित को समझाइश देते हैं  l
क्या इंदौर अपराध की राजधानी बनने की ओर अग्रसर है ?
क्योंकि इंदौर एक महानगर है और आसपास के प्रदेशों से आकर लोग यहां रहते हैं नौकरी के हिसाब से या पढ़ने के हिसाब से लोग यहां पर किराए के मकान लेकर रहते हैं l क्योंकि यहां अपराध अलग-अलग तरह के घटित होते हैं और उनमें कई अपराध इस तरह के हैं जैसे भूमि पर कब्जा रहता है उनके विवाद चलते रहते हैं आपसी पैसों का लेनदेन का विवाद चलता रहता है अन्य प्रकार के विषय नशाखोरी आदि तो यह सब  जब होता है तो कहीं ना कहीं छोटे-मोटे अपराध घटित होना स्वाभाविकहै,बाहर के लोग आकर इंदौर में अपराध करते हैं l क्योंकि इंदौर महानगर है कहीं भी सुनसान इलाके में चैन स्नैचिंग,सुनसान में कोई घर है वहां चोरी कर लेते हैं,कई बार यह लोग इकट्ठा होकर लूट या डकैती कर लेते हैं l हालांकि जब से वरिष्ठ अधिकारियों ने कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद से और ज्यादा ध्यान दिया है और पूर्व से भी सभी अधिकारी सतर्क हैं और अपराधी वे सब पकड़े भी जाते हैं चुकी  घटना तो घटित हो जाती है, साइबर क्राइम आदि पर भी लगातार रोकने का प्रयास किया जा रहा है lहम सभी का यह प्रयास होगा कि अक्सर यह शब्द जो सुनने को मिलता है कि इंदौर क्राइम सिटी बनने की ओर अग्रसर है तो इस पर हम इसे रोकने का पूरा प्रयास कर रहे हैं l जिससे कि इंदौर के लिए यह शब्द दोबारा सुनने को ना मिले l
जो आदतन अपराधी है उन पर आप कैसे नियंत्रण करते हैं?
जो आदतन अपराधी रहते हैं वह कोई भी अपराध पुनः घटित  करते हैं तो हम लोग उन पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही 110 सीआरपीसी की कार्यवाही कर कर उनको बांड ओवर  कराते हैं 107- 16 के तहत भी बांड ओवर  कराते हैं, और अगर वे उसका उल्लंघन करते हैं तो हम उस उन पर 122 की कार्यवाही करते हैं जिसके अंतर्गत उसको सीधा जेल होती है  l कई अपराधी होते हैं उन्हें हम थाने पर बुलाकर समझाया इस देते हैं कि दोबारा कोई अपराध घटित ना करें और जब अपराधी मानता नहीं हो लगातार वह कोई अपराध करता है तो फिर उसके ऊपर है जिला बदर जैसी कठोर कार्रवाई करके उन को दंडित करने की कार्यवाही होती हैl
आम आदमी की आप तक पहुंच कैसी है?
आम आदमी की पहुंच अब सिर्फ मुझ तक ही नहीं बड़े और बड़े अधिकारियों तक भी उनकी पहुंच  हो गई हैl कोई भी सामान्य व्यक्ति अपनी शिकायत लेकर सीधे थाने आ सकता है थाने पर जो अधिकारी होते हैं उनको अपनी शिकायत सुनाता है और अगर उसको लगता है कि उसकी शिकायत पर सुनवाई नहीं हो रही है कार्यवाही नहीं हो रही है तो वह हम लोगों से सीधे आकर मिलता है और अगर उनको लगता है कि हम भी उनकी मंशा अनुसार  कार्य नहीं कर पा रहे हैं तो वरिष्ठ अधिकारियों के पास भी वह डायरेक्ट जाता है l मैं आपको जानकारी देता हूं कि चाहे हमारे एसीपी साहब हों चाहे एडिशनल डीसीपी साहब हो डीसीपी साहब हो और कमिश्नर साहब यह सभी फोन पर भी सब को सुनते हैं और सभी के फोन उठाते हैं,, जो सामान्य व्यक्ति होता है उसकी शिकायत सुनते हैं उसकी कार्यवाही के लिए अपने अधीनस्थों को तत्काल निर्देश देते हैं lअभी कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद एक और पैटर्न  चालू हुआ है हम लोगों से थानों से जो लोकल शिकायतें प्राप्त होती है उनमें आवेदक का मोबाइल नंबर भी लिखा होता है तो बड़े अधिकारियों के कार्यालय से जो पेंडिंग शिकायत है उस पर फोन पर प्रार्थी से डायरेक्ट बात करते हैं l उनसे पूछते हैं और हमारे सभी के तथा वरिष्ठ अधिकारियों के  नंबर डिस्प्ले पर है l कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं l