पुलिस की इमेज चालान बनाने तक की बन गई है आप इसको कैसे देखते हैं ?
देखिए यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें 4 चीजें होती हैं। एजुकेशन, इंजीनियरिंग, इंफोर्समेंट और इन्वायरमेंट। इसमें क्या है कि इंफोर्समेंट का तो बहुत ज्यादा योगदान है, लेकिन अभी जो है हम इंफोर्समेंट को शासन के राजस्व वसूली के रूप में इसको कोई नहीं देखता है, और ना कोई चाहता है कि ज्यादा चालन वगैरह करें, लेकिन जो गलती करता है, उसके लिए चालन करना अति आवश्यक है। क्योंकि आपने सुना होगा "भय बिन होय न प्रीत" तो हमारा मानना है कि बिना भय के कानून का कोई पालन नहीं करेगा।
हमारे डीसीपी साहब का एक अच्छा स्लोगन है-
सुखद, सुरक्षित और सुगम यातायात देना है"
यह यातायात प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य है।
DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )
इंदौर में कमिश्नर प्रणाली को आप किस तरह से देखते हैं?
इंदौर में कमिश्नर प्रणाली जो है वह एक अच्छी शासन व्यवस्था है। जो इंदौर जैसे महानगरों के लिए आवश्यक हैl यह अच्छी व्यवस्था है इस से जनता को सुरक्षात्मक माहौल मिलेगा। इसलिए कमिश्नर प्रणाली अच्छी प्रणाली है।
यातायात प्रबंधन में इससे कितना सुधार होगा?
इस प्रणाली के माध्यम से यात्रा प्रबंधन में बहुत सुधार होगा। जैसा कि पिछले 3 महीनों में आपने देखा भी होगा कि, हमारे डीसीपी साहब श्री महेश चंद जी जैन साहब जब से आए हैं। उनके आने से यातायात पुलिस को जो है एक निश्चित लक्ष्य और दिशा मिली है, और उनके आने से स्टाफ व हर कर्मचारी को एक अच्छा उत्साह मिला है, जिसका असर आपको चौराहों पर पहले से काफी सुधार देखने को मिल भी रहा है ।
यातायात प्रबंधन की शहरहित में क्या योजना है ?
यातायात प्रबंधन की हमारे वरिष्ठ अधिकारियों की शहरहित में बड़ी अच्छी योजना है। भविष्य में इस तरह लगातार चरणबद्ध तरीके से यातायात को सुधार करना है। जिसमें सबसे पहले तो लोगों में यातायात के प्रति नियमों को पालन करने के प्रति जागरूकता लाना है और जैसे कि स्वच्छता में इंदौर अच्छा है, नंबर वन है। वैसे ही इंदौर के वाहन चालक है वह इंदौर को वाहन यातायात के विषय में भी नंबर वन बनाएं। ऐसी उनको एजुकेशन देना और इसके अलावा जैसे चौराहों पर लेफ्ट टर्न नहीं है,कई जगह हमने देखा डिवाइडर नहीं है, कहीं पर रोड मार्किंग नहीं है, कहीं पर रोड संकेत नहीं लगे हैं, यह जो सब काम है यह भी साथ-साथ करना है।
अक्सर देखा गया है कि दोपहर में चौराहे वीरान होते हैं, इस समय में यातायात पुलिस कहां होती है?
ऐसा होता है कि ज्यादा जो यातायात ट्राफिक होता है वह सुबह और शाम के समय होता है, और जैसा कि हमारे यहां बल की थोड़ी सी कमी है हमारे शहर के लिए 800 की स्वीकृति है और यह स्वीकृति पुराने समय की है और बल अभी जो हमारे पास है वह लगभग 500 के करीब है इसमें भी आप यह मानी है कि 10 परसेंट अवकाश या बीमार होने की स्थिति में स्टाफ अवकाश पर रहता है तो यह और भी बल की कमी हो जाती है ज्यादातर जो पीक अवर्स होते हैं वह सुबह शाम के होते हैं लेकिन अभी यह प्रयास किया जाता है कि दोपहर में जो प्रमुख चौराहे हैं उनको खाली नहीं रखा जाता है उसमें आरक्षक उपस्थित रहता है दोपहर में यातायात के कम होने के कारण ऐसी कोई असुविधा नहीं आती है क्योंकि समय दुर्घटना की संभावनाएं भी कम होती है, इसलिए इसी तरह से इसको मैनेज किया जाता है ।
वाहन चेकिंग के नाम पर कई बार सामान्य वाहन चालकों को भी परेशान होते देखा गया है इसमें कितनी सच्चाई है ?
मेरा ऐसा मानना है कि कोई भी अपनी गलती नहीं मानता है कोई अगर रॉन्ग साइड से आता है तो उसको जो बोलते हैं कि आप रॉन्ग साइड से आए हो तो वह बोलता है कि हमको तो यहीं पर जाना है कोई हेलमेट नहीं लगाया है तो बोल देगा कि भूल गया किसी से कहो लाइसेंस नहीं है तो वह कहता है कि मुझे तो पता ही नहीं कि मेरा लाइसेंस नहीं है तो उसके नजरिए से तो वह परेशान होता है लेकिन पुलिस अपना काम कर रही है ना जिसके बाद सही है और जो सही चल रहा है उसको तो पुलिस से परेशान नहीं करती है ।
जो नियम का पालन नहीं करेगा उसी को ट्रैफिक पुलिस रोकेगी, और जो नियम से जा रहे हैं, उनको तो हम कभी नहीं रोकतेl मैंने तो कभी नहीं देखा कि जो सही चालक है, उसको परेशान किया गया हो और वह कभी परेशान होगा भी नहीं।
थानों पर जो जप्त वाहन है उनका कैसे निकाल होगा और न्याय व्यवस्था उस पर क्या है ?
जैसे कि वाहन जो जप्त किए गए हैं, उनके अगर कोई कागजात नहीं है,तो उस वाहन को जप्त कर लिया जाता है, जप्त कर के थाने में खड़ा कर देते हैं, फिर वह आकर चालन कटा लेता है,पेपर दिखा देता है तो उसका वाहन उसको मिल जाता है। और जो दूसरे जप्त वाहन हैं और उसका पेंडिंग जो है, उनका निकाल तो न्याय व्यवस्था के हिसाब से जो भी निराकरण होगा वह होगा।
यातायत पुलिस जब किसी वाहन चालक को रोकती है और "भैया" का जब फोन आता है तब आप की क्या भूमिका होती है?
देखे इस विषय में मेरा यह अनुभव है कि, इस विषय में बहुत ज्यादा फोन नहीं आते। मैंने तो यहां तक देखा है कि 100 में से एक या दो कोई फोन आते हैं। इंदौर एक महानगर है यहां की जनसंख्या बहुत है और बहुत लोग बाहर के यहां पर रहते हैं, तो उनकी लोकल नेताओं से कोई ज्यादा जान पहचान नहीं होती है, इसमें मेरा बहुत ज्यादा अनुभव खराब नहीं रहा है। मुझे ऐसे ज्यादा कभी फोन आया नहीं। मैं इसमें एक बात और बताना चाहूंगा कि कभी उनके अगर फोन आते भी हैं और हमारे द्वारा उनको बता दिया जाता है कि यह गलत है। तो वह कभी ऐसे अडते नहीं है, कि इसे छोड़ ही दो, उनका कहना था कि ठीक है आप अपनी कार्यवाही कीजिए तो बात करने में कोई परेशानी नहीं है । ऐसा कोई बड़ा विवाद का विषय नहीं है।
शहर में जब ग्रीन कॉरिडोर बनता है तब यातायात पुलिस की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है?
यह एक बहुत अच्छा आपने सवाल किया है,शहर में ग्रीन कॉरिडोर जो बनना है, वह यातायात पुलिस की बहुत एक जिम्मेदारी का काम होता है। किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए किया गया कार्य अच्छा कार्य होता है और हम तो ऐसा मानते हैं कि इस अच्छे कार्य में यातायात पुलिस को सहभागिता करने का मौका मिला है। तो हम लोग इसको बहुत अच्छे से अंजाम देते हैं, बड़े अच्छे से ट्रैफिक डायवेर्ड किया जाता है, उस समय जब वह एंबुलेंस निकलती है जो उसको पूरी व्यवस्था निकलने की की जाती है।
क्रेन द्वारा उठाए गए वाहनों पर कैसे व्यवस्था होती है ?
देखिए जो रॉन्ग साइड या नो पार्किंग में वाहन खड़े होते हैं, उनको क्रेन द्वारा उठाया जाता है, और जो नगर निगम द्वारा निर्धारित शुल्क होता है वह उनसे वसूला जाता है, इससे यातायात प्रबंधन सुचारू हो यह प्रयास भी हमारा होता है ।
अक्सर देखा गया है कि दो पहिया वाहन चालक को जब रोका जाता है तो वहां पर नियुक्त जवान के द्वारा दोपहिया वाहन की चाबी निकाल ली जाती है क्यों ?
देखिए यह सही है लेकिन चाबी निकालने के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि, वाहन वाला भाग जाता है, क्योंकि कई बार क्या होता है कि वह कहता है कि रोक रहा हूं और वह भाग जाता है तो वाहनचालक वाहन को भगाएगा तो उससे दुर्घटना होने की संभावना रहती है। कई बार आपने सुना भी होगा कि पुलिस के जवान घायल हो जाते हैं,तो चाबी बंद करने के पीछे सुरक्षा का कारण महत्वपूर्ण होता है। सबसे पहले उसकी चाबी घुमा देते हैं ताकि गाड़ी उसकी बंद हो जाए, गाड़ी स्टार्ट होगी तो इससे दुर्घटना की संभावना बनी रहेगी, उसमें वाहन चालक की भी दुर्घटना हो सकती है और जवान को भी नुकसान हो सकता है।
यातायात पुलिस द्वारा समय-समय पर कई योजनाएं लाई गई अभी उनकी क्या स्थिति है ?
देखिए अभी तेज बाईकर्स जो है, उनके ऊपर तो चालानी कार्यवाही हो रही है, पुलिस मुख्यालय भोपाल से एक विशेष यंत्र भी मिला है जिसमें स्पीड राडार लगा हुआ है। उस के माध्यम से अलग अलग अलग जगह पर लगा कर कार्यवाही की जा रही है, तो उचित समय पर उचित कार्यवाही की जा रही है।
सिग्नल तोड़ने वालों के खिलाफ पुलिस क्या कार्य करती है?
इंदौर में आज की स्थिति में सिग्नल तोड़ने वालों के खिलाफ यातायात पुलिस द्वारा बहुत सख्त कार्रवाई की जा रही है। जब कोई वाहन चालक पकड़ा जाता है तो चालान के माध्यम से उसके पुराने जितने पेंडिंग चालान है ,उसे वसूले जा रहे हैं। अभी आपने देखा होगा कि एक कार का चालान ₹21500 का बनाया,किसी बस का ₹11000 का चालान हुआ है, और शहर में एक मैजिक वाले का ₹40000 का चालान हुआ है। इससे यह देखिए कि आपकी अगर उसकी एक गलती में वह पकड़ा गया तो, उसकी पुरानी सारी गलतियों को निकाल लिया जाता है,पुरानी गलती निकाल कर उसको पूरा इकट्ठा करके चालानी कार्रवाई करते हैं। जिससे हमारे डीसीपी साहब का स्लोगन है
" आपकी जो है एक गलती जेब पर पड़ती है भारी "
अतः शहर के यातायात प्रबंधन को सुचारू चलाने के लिए जो सिग्नल तोड़ते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाती है और यह जरूरी भी है।
संवाद और परिचर्चा
श्री दिलीप सिंह परिहार थानाप्रभारी- यातायात ( पूर्व )
- 02 May 2022