DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )
अपराध होने के पीछे सबसे पहला मुझे जो कारण नजर आता है वह है नशा। हम देखते हैं कि 14- 15 साल का बच्चा शराब पीने लग जाता है। बुरी संगत में आकर शराब पीने लग जाते हैं। गांजा पी रहे हैं। दूसरा नशा कर रहे हैं, खराब लोगों के साथ घूम रहे हैं, रात में घूम रहे हैं। उसके बाद आजकल जो टेक्नोलॉजी हो गई है जैसे कि टच स्क्रीन मोबाइल रख रहे हैं, मोबाइल का रिचार्ज करवाते हैं 700-800 का लगता है, नए बच्चों को बाइक चलाने का शौक है,भले वे परिवार से संपन्न नहीं है,लेकिन बाइक चाहिए उसमें डालने के लिए पेट्रोल चाहिए, घूमना फिरना भी चाहिए, फिर अच्छे कपड़े भी चाहिए, पढ़ाई लिखाई नहीं करना साथ ही शिक्षा का भी अभाव रहता है इन सब कारणों जो शॉर्टकट कमाई चाहता है वह कारण अपराध के लिए मुख्य रूप से होता है ।
शहरी थानाक्षेत्र और ग्रामीण थानाक्षेत्र की कार्य प्रणाली में क्या अंतर होता है ?
शहर के थाना क्षेत्र और गांव के जो थाना क्षेत्र हैं उसमें कुछ अंतर तो होता है, शहर के थाना क्षेत्र जो हैं उनका एरिया कम होता है, गांव के थाना क्षेत्रका एरिया विस्तृत होता है। ग्रामीण क्षेत्र होने में काफी दूर -दूर गांव होने से पुलिस की लगातार वहां पहुंच नहीं बन पाती है। तो हमें कई बार ग्राम रक्षक समितियों का सहारा लेना पड़ता है । ग्रामीण क्षेत्र होने से कई जगह मोटरों के वायर लगे हुए हैं, स्टार्टर लगे हुए हैं, इस टाइप की चोरी करने में चोरों को बड़ी आसानी होती है। शहरी क्षेत्रों में इस तरह चोरियां नहीं होती हैं। क्षेत्र सीमित होता है फोर्स काफी होता है। ग्रामीण क्षेत्र में मुख्य रूप से फोर्स की भी समस्या है और दूसरी जो चीज है वह यहां पर दूर-दूर गांव हैं, हाईवे है, कई बार ऐसा होता है की रात में कई गांव हम कवर नहीं कर पाते हैं। टोल नाके हैं अन्य रास्ते हैं जो दूसरे शहरों दूसरे जिलों को कवर करते हैं तो उस तरह की समस्याएं तो आती है।
ग्रामीण क्षेत्र में होने वाले अपराध और शहर में होने वाले अपराध में बेसिक अंतर क्या होता है?
शहर के अपराध और गांव के अपराध में बहुत ज्यादा कोई अंतर तो नहीं है। जैसे कि शहर में तात्कालिक कारणों से अपराध होते हैं। जैसे आपस में लड़ाई झगड़ा चाकू चलना नशे में शराब वगैरा पीकर आपस में लोग लड़ लेते हैं। परंतु ग्रामीण क्षेत्र में यह देखने में आता है कि, जमीन संबंधी विवाद होते हैं,मजदूरी के संबंध में विवाद होते हैं, भाई भाई के विवाद हो जाते हैं, नाले को लेकर लेकर विवाद हो जाते हैं, इस तरह के अपराध ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक होती है।
क्या अपराध - बेरोजगारी के पीछे आप शिक्षा को कारण मानते हैं ?
शिक्षा के अभाव में तो बेरोजगारी होती ही है। फिर भी पूर्ण रूप से हम इसे दोषी नहीं कह सकते। कई लोग अशिक्षित हैं लेकिन वह मजदूरी तो करते हैं, किसी ने पान का ठेला लगाकर रखा हुआ है । कोई कुल्फी बेच रहा है कोई फल का ठेला लगा कर बैठा हुआ है। जिसको काम करना है वह तो काम करेगा। हम देखते हैं कई अच्छे शिक्षित लोग भी फ्रॉड कर रहे हैं। बड़े-बड़े अपराध में इंवॉल्वमेंट चोरियां कर रहे हैं। अपराध के नए-नए तरीके अपना रहे हैं तो हम बेरोजगारी को शिक्षा से सीधे-सीधे नहीं जोड़ सकते हैं। जो अपराधी है वह अपराध करेगा ही सही भले ही वह शिक्षित हो या अशिक्षित हो।
जो आदतन अपराधी हैं उन पर आपकी टिप्पणी क्या होगी?
आदतन जो अपराधी है उसकी लगातार चेकिंग होना चाहिए। वह कब कहां है अगर आस-पास कोई अपराध होता है तो उसको जरूर देखना चाहिए कि वह उस समय कहां पर था। अगर आदतन अपराधी को लगातार हम चेकिंग करते हैं तो पुलिस की जो कार्यवाही है उससे काफी फर्क पड़ता है। उस अपराधी पर यह दहशत बनी रहती है कि पुलिस की नजर उस पर है। लगातार यह भी देखें कि उसके सोर्स ऑफ इनकम क्या है? उससे मिलने वाले कौन-कौन हैं? यह सारी चीजें हम देखते रहते हैं। क्या कमा रहा है उसकी रिश्तेदारी कहां है किस तरह के लोगों से है? अगर अपराध होगा तो वह कहां पर जा सकता है? यह सारी चीजें हम लोग देखते हैं । और आदतन अपराधी पर सख्ती से कार्यवाही भी की जाना चाहिए ।
सामाजिक परिवेश को सुधारने में पुलिस की क्या भूमिका होती है?
देखिए अन्य इकाइयों के तुलना में पुलिस एक ऐसी कई है जो तत्काल सभी की नजर में आती है सबसे पहले वही नजर आती है। अगर हम किसी को हेलमेट पहनने के लिए कह रहे हैं, और कोई दूसरा अगर उनको हेलमेट पहने के लिए कह रहा है, तो हमारी बात को जरूर सुनेगा, दूसरे की बात पर इतना ध्यान नहीं देगा। अगर हम रोड पर खड़ा होकर किसी को बोले कि नशा नहीं करना है, शराब नहीं पीना है या दुकान वाले को बोलेंगे कि 15 साल से कम वाले को सिगरेट नहीं देना है शराब नहीं देना है तो वह हमारी बात को अवश्य सुनेगा । कोई धूम्रपान कर रहा है तो हम उसको मना करेंगे, तो उसे समझ में आएगा सभी को यह समझ में आएगा के पुलिस जो दिखती है ट्रैफिक व्यवस्था संभालती है। पब्लिक को पुलिस समझाती है कि यहां मत खड़े रहो, वहां मत खड़े रहो यहां अपराध हो सकता है, या लोगों से जब बोलती है कि अपने घरों के बाहर कैमरा लगाएं तू ही तो पुलिस ही है जो कहती है तो लोग मानते हैं हमारी बात को समझते है और उसको करते भी है। इस प्रकार से कह सकते हैं कि सामाजिक परिवेश के लिए पुलिस का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है।
कोरोना समय का कोई अनुभव बताइए?
करोना काल के समय पुलिस द्वारा बहुत महत्वपूर्ण काम किए गए हैं। जैसे इस समय में मेडिकल वाले हैं या राजस्व विभाग के अधिकारी हैं, कई कर्मचारी भी लगे हुए थे,वह किसी को बोलते थे कि, मास्क लगाओ या सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करो तो कोई नहीं करता था। लेकिन जब पुलिस खड़े होकर बोलती थी कि मास्क लगाना है, सोशल डिस्टेंसिंग रखना है तो पब्लिक वह करती थी।
चैन स्नैचिंग लूटपाट और डकैती की घटनाओं में आपके थाने का ग्राफ पिछले वर्ष की तुलना में क्या है?
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष में हमारे थाने क्षेत्र की इन घटनाओं का ग्राफ कम है। चैन स्नैचिंग की एक घटना हुई थी और उस पर भी पुलिस द्वारा तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ लिया गया था, मांगलिया हॉट की घटना है, इसके अलावा जो चोरी की घटना है वह नॉर्मल घटना है। क्योंकि हमारा क्षेत्र भारी है काफी बड़ा क्षेत्र है, कालोनिया बन रही है वहां के रखरखाव अच्छे से नहीं हो रहा है, वहाँ गार्ड नहीं होता है तो कई बार चोरी को हटना तो होती है। एरिया को कवर नहीं किया हुआ है तो चोरी की घटनाएं सामान्य रूप से होती है। बाकी पहले की अपेक्षा में इन सब घटनाओं का ग्राफ कम है।
क्या ग्रामीण थाना क्षेत्र में भी राजनीतिक हस्तक्षेप को देखा जाता है ?
राजनीति खासियत चाय ग्रामीण क्षेत्रों या शहरी क्षेत्रों सब जगह होता है लेकिन इसको हम हस्तक्षेप नहीं कह सकते है, एक सीमा तक ही उनकी बात को माना जाता है, उसके तहत कार्यवाही भी होती है । लेकिन जहां कानून बनता है तो कानून फिर अपने तरीके से काम करता है कानून के दायरे में ही काम किया जाता है। वैधानिक कार्यवाही अगर है तो उसमें राजनीतिक हस्तक्षेप उतना नहीं होता है, इतना प्रभाव नहीं डालता है।
ऐसे किसी अपराध के बारे में बताइए जिसने आप को चौंकाया हो ?
हां कई बार मानवीय संवेदना है प्रश्नवाचक चिन्ह लगाती हैं। अभी रीसेंट की एक घटना है मांगलिया की, जहां एक बच्ची के साथ उसके पिता ने ही हत्या की। पता चला था कि पहले भी उसने उसके साथ बलात्कार किया था, उसके खिलाफ 376 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध हुआ था। उसके बाद उसके घर वालों ने ही उस पर विश्वास करके उसको छुड़वा दिया। यह सुधर जाएगा यही मानकर। उसने भी उस समय घरवालों से काफी माफी मांगी। उसके बाद सात आठ महीने वह अच्छे से रहा और उसने उस लड़की के साथ फिर से बलात्कार का प्रयास किया और वह इस में सफल नहीं हुआ तो उस लड़की की हत्या कर दी। ये तरीका का अपराध पूरा चौकानेवाले ही होते हैं
क्या ग्रामीण क्षेत्र में भी ड्रग्स जैसे व्यापार की पहुंच है?
नहीं हमारे थाना क्षेत्र में जो ग्रामीण थाना क्षेत्र है इसमें ड्रग्स के व्यापार जैसी कोई स्थिति नहीं है यहां पर इस तरह की कोई घटना हमारी जानकारी में नहीं है।
आम ग्रामीण की आप तक पहुंच कैसी है ?
एकदम सीधी पहुंचे कोई भी मुझसे आकर मिल सकता है। हमेशा मैं यहां उपलब्ध रहता हूं। कई बार होता यह है कि कुछ लोग आते हैं वह बाहर से उनको लगता है कि उनकी समस्या हल हो जाएगी तो वहीं से मिल लेते हैं। और उनको लगता है कि थाना प्रभारी से ही मिलना है तो वह मुझसे आकर मिल सकते हैं,अभी आपने भी देखा एक सज्जन सीधे मुझसे आकर मिले थे कोई परेशानी का विषय नहीं,सीधी पहुंचे है। हर अपराध की जानकारी और शिकायत तो सीधी मेरे पास आती ही है।
आपकी कोई विशेष उपलब्धि...!
मेरी एक बार दतिया पोस्टिंग के समय चुनाव के समय हमने अवैध पैसा पकड़ा था लगभग रु.2500000 था , बाद में हमने 1000 पेटी शराब पकड़ी थी जो लगभग 35 -36 लाख की थी। एक हमारे यहां पोकलेन मशीन की चोरी हुई थी करीब 3800000 रुपए की मशीन थी जो 24 घंटे में हम पकड़ कर लाए थे कानपुर से। मेरी जब भोपाल पोस्टिंग थी तो विस्फोटक अधिनियम के तहत एक बड़ी कार्यवाही की थी काफी बड़ी मात्रा में विस्फोटक हमने पकड़ा था परवलिया थाना क्षेत्र में।
अगर आप पुलिस में ना होते तो कहां होते?
यह आपने सबसे अच्छा सवाल पूछा है मैं पुलिस में ही होता, पुलिस में नौकरी करने का मेरा सपना था और भगवान ने वह सपना मेरा पूरा किया मैं भगवान को उसके लिए धन्यवाद भी देता हूं।