Highlights

संवाद और परिचर्चा

श्री राम कुमार कोरी  ट्रैफिक थानाप्रभारी (पश्चिम )

  • 11 Apr 2022

वाहन चेकिंग के नाम पर कई बार सामान्य वाहन चालकों को भी परेशान किया जाता है कितनी सच्चाई है ?
नहीं मैं इससे सहमत नहीं हूं सामान्य वाहन चालकों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है । हमारे द्वारा यह देखा जाता है कि या तो उसके नंबर प्लेट खराब है, या नंबर डिजाइन में लिखवा रखे हैं, या सीरियल में गलती है या पर ब्लैक फिल्म लगी रहती है या मोबाइल पर बात करते हुए वहां चला रहे होते हैं जो आरटीओ के नियम के विरुद्ध नंबर वगैरह लिखा रखे हैं हैं उन पर सामान्य रूप से कार्य किया कि कार्यवाही की जाती है ।
DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )

कमिश्नर प्रणाली से यातायात इंदौर पर क्या प्रभाव पड़ेगा  ?
इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है,तब से अगर हम यातायात प्रबंधन की बात करें तो और पब्लिक की राय लेंगे तो  मध्य प्रदेश में इंदौर नंबर पर आने की कगार पर है और हमारे इस प्रयास का परिणाम यह है कि आज मैं 85% लोग यातायात के नियमों का पालन कर रहे हैं और जो लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं उनके लिए हम प्रयास कर रहे हैं कि वह भी नियमों का पालन करें। 
हमारे डीसीपी साहब का मानना है कि हम लोग इस प्रणाली के अंतर्गत  100% सुधार करने का प्रयास करेंगे ।

इंदौर में यातायात पुलिस की सिर्फ चालानी कार्यवाही करने की इमेज क्यों बनी ?
चालानी कार्यवाही का हमारा कोई ऐसा उद्देश्य नहीं था, परंतु जब हम लोगों ने फील्ड में काम किया,लोगों को अवेयर किया,रेड लाइन पर रुकने के लिए समझाया, वनवे में चलें, रॉन्ग साइड में ना जाए,नो पार्किंग में वाहन खड़े ना करें, लेकिन लोगों को समझ में नहीं आया तो फिर हमें चालानी कार्यवाही करना पड़ी। हमारे अधिकारी द्वारा कहा गया है कि खास तरह से उन पर कार्रवाई की गई,जिन की नंबर प्लेट गलत है या एक गलत तरीके से नंबर लिखवा रखे हैं या रेड लाइट का उल्लंघन करते हैं जैसे बुलेट में मॉडिफाई साइलेंसर लगा रखा है और कर्कश आवाज में वे गाड़ी भाग चला रहे। उसके लिए हमने बहुत सारी कार्यवाही कि । फिर भी जब नहीं माने तो हमें मजबूर होकर चालानी कार्यवाही करना पड़ी।

पिछले वर्ष की तुलना में नए वर्ष में इन तीन माह में क्या कार्यवाही की गई?
इन  3 महीनों का डाटा तो मेरे पास  स्पष्ट नहीं है? पर फिर भी हमारा जो प्रयास रहा है,उसके आधार पर हम कह सकते हैं कि इन 3 महीनों में यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ हमारे द्वारा काफी कार्यवाही की गई है। और पूरे मध्यप्रदेश में अच्छी कार्यवाही
यातायात प्रबंधन द्वारा यातायात पुलिस विभाग द्वारा  की गई है।

अक्सर देखा गया है कि दोपहर में चौराहों पर वीरानगी रहती है,इस समय यातायात पुलिस कहां होती है ?
नहीं यह कहना शायद ठीक ना होगा,  हमारा तो टाइम शेड्यूल निम्नानुसार रहता है। ड्यूटी का टाइम जो है वह 9:00 से 12:00 रहता है और 12:00 से 8:00 रहता है और एक है जो शाम को 5:00 से 10:00 बजे तक काम करती है।  चौराहे वीरान नहीं रहते हैं, बस इतना है कि ज्यादा ट्राफिक नहीं है, धूप हो रही है और यातायात नॉर्मल है, तो हमारे डीसीपी साहब का कहना है कि कुछ रिलैक्स भी किया जा सकता है । ट्रैफिक पुलिस के जवान हमेशा  मुस्तैदी से ड्यूटी पर रहते हैं   

सारे थानों पर जप्त  किए गए वाहन पड़े हुए हैं इनका निकाल क्या होगा?
लावारिस वाहनों जिनका कोई नहीं है उन पर नीलामी की कार्यवाही वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में की जाएगी। इसमें न्याय प्रक्रिया भी जो है उसको भी  पूरा किया जाता है।उनमें से कुछ वाहन जो होते हैं वह अपराध में जप्त  किए हुए वाहन होते हैं। उसका कोर्ट के हिसाब से जब भी निकाल होगा उस पर निकाल किया जाएगा। 

अक्सर देखा गया है कि जब वाहन चालक को आपके द्वारा रोका जाता है तो " कथित भैया " का फोन आता है,तो तब आप क्या करते हैं यातायात विभाग क्या करता है   ?
इस विषय में हमारे डीसीपी साहब का स्पष्ट कहना है कि ऐसी कोई परिस्थितियां अगर बनती है तो आप परिस्थिति अनुसार निर्णय करें और बड़ी सादगी से आप बात करें, और उन्हें नियम का उल्लेख करते हुए बताएं कि नियमों का उल्लंघन हो रहा है इसलिए इन पर कार्यवाही की जा रही चालन बनाया जाना अनिवार्य।

जब इंदौर में मानवीय पहलू के आधार पर ग्रीन कॉरिडोर बनता है तब यातायात पुलिस की क्या व्यवस्था होती है  ?
यह एक मानवीय पहलू होता है और मानव अंग जो दान किए जाते हैं और वह दूसरे शहरों को जब भेजे जाते हैं तो इंदौर शहर में कॉरिडोर ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाता है और  सारे चौराहे पर वायरलेस सेट के माध्यम से यातायात को कंट्रोल किया जाता है। और शहर के अन्य वाहन चालकों को परेशान नहीं किया जाता है, इस बात का भी ध्यान रखा जाता है  वैसे भी सबका सहयोग मिलता है क्योंकि यह मानव कल्याण के लिए कार्य किया जाता है 

क्रेन द्वारा उठाए गए वाहनों पर कैसे कार्यवाही की जाती है   ?
शहर की यातायात व्यवस्था को संभालने के लिए किया जाता है जो सड़क के पास में गाड़ी खड़ी करके और बाजार करने चला गया,अब वह मार्केट में व्यस्त थे एक घंटा हो गया डेढ़ घंटा हो गया,उससे यातायात बाधित होता है, तो उसे क्रेन द्वारा ही उठाया जाएगा और  इसके बाद चालानी कार्रवाई होती है और वाहन चालक अगर चाहे तो यहां पर वाहन अपने चालान की राशि जमा कराकर  छुड़ा सकता है या फिर वह कोर्ट के माध्यम से  आना चाहे तो कोर्ट के माध्यम से अपनी गाड़ी को अपने वाहन को ले सकता है ।

अक्सर देखा गया है कि दो पहिया वाहन चालक को जब रोका जाता है तो यातायात पुलिस द्वारा उस वाहन चालक की गाड़ी की चाबी निकाल ली जाती है, यह किस नियम के तहत कार्रवाई होती है?
यातायात के नियमों में हमको स्पष्ट आदेश हैं हम को अधिकार है वाहन के संबंध में कोई भी कार्यवाही हम कर सकते हैं,आपके वाहन की  चाबी निकालने की बात कर रहे हैं तो उसमें हमारा यह मानना रहता है कि,कई बार हम  वाहन चालक को रोकते हैं और वाहन चालक रुकते रुकते नहीं रुकता है और कई बार वो गाड़ी भगा ले जाता है, और फिर हम उसको पकड़ नहीं पाते हैं और उसके गाड़ी भगाने की स्थिति में दुर्घटना होने की संभावना बड़ी होती है।  तो इस व्यवस्था को सुधारे जाने के लिए हमारे द्वारा वाहन चालक के वाहन की गाड़ी की चाबी निकाली जाती है,ताकि वह कार्रवाई में हमको सहयोग करें।

यातायात पुलिस विभाग द्वारा शहर में अनेक योजनाएं चलाई गई सब ठप  हो जाती है क्यों   ?
ऐसा तो नहीं है पर पुलिस ने यातायात पुलिस द्वारा समय-समय पर अनेक जनहित की ओर मानव हित की उनकी सुरक्षा के लिए योजनाओं को लागू किया जाता है और जहां तक  हैल्मेट की योजना का सवाल है उसमें कार्यवाही भी हमारे द्वारा की जाती है और अभी भी लगातार की जा रही है। अवेयरनेस  के माध्यम से सभी को सतर्क किया जा रहा है। क्योंकि हेलमेट लगाने से उनकी जान की सुरक्षा है क्योंकि दुर्घटना के समय हेलमेट आपकी जान को रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमारे द्वारा समय-समय पर अवेयरनेस के कार्यक्रम किए जाते हैं। आपने देखा होगा कि ऑफिसों में भी अनिवार्य किया गया था कि हेलमेट लगाना अनिवार्य है।

अक्सर देखा गया है कि पुलिस विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी हेलमेट नहीं पहनते हैं   ?
नहीं हमारे अधिकारियों द्वारा एक समय आदेश दिया गया था कि कोई भी पुलिस अधिकारी कर्मचारी बिना हेलमेट के वाहन घर से ना लाए और वाहन चलाते समय हेलमेट अनिवार्य लगाएं हमारे अधिकारी समय-समय पर संज्ञान लेते हैं और अवेयरनेस के माध्यम से कर्मचारियों और अधिकारियों को भी सचेत करते हैं कि हेलमेट लगाना अनिवार्य है   !

पुलिस प्रॉसिक्यूटर और प्रेस वाले जब गलती करें तो इनके बारे में आप क्या कहेंगे   ?
तीनों ही पक्ष जिम्मेदार है नियम और कायदे कानून को जानने वाले हैं इसलिए इन्हें तो नियमों का पालन करना ही चाहिए अगर पुलिस नियमों का उल्लंघन करें तो वाकई माफ नहीं करना चाहिए उनके चालन बनाना चाहिए और हमने बनाए भी हैं। कोई भी नियमों का पालन नहीं करें तो निश्चित रूप से दंडात्मक कार्यवाही की जाना चाहिए।