@ एल.एन. उग्र ( PRO )
ग्रामीण थाना क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप को आप किस तरह से देखते हैं?
प्रजातंत्र में डेमोक्रेसी में एक सिस्टम बना हुआ है। इसमें जो राजनेता है वह जब किसी पद पर पहुंचता है विधायक बनता है या मंत्री बनता है। लोगों के उनसे बहुत सारी अपेक्षाएं होती है और जब पीड़ित जनप्रतिनिधि के पास जाएगा। तो स्वाभाविक है कि वह अपने क्षेत्र की जनता के लिए संबंधित विभाग को निश्चित रूप से फोन लगाएंगे और उनके समस्या के निवारण के लिए प्रयास करेंगे। इसको आप किस रूप में देखते हैं यह आपके ऊपर डिपेंड करता है। यदि कोई व्यक्ति सही है और उसके लिए कोई राजनेता फोन लगाकर कहता है और उस पर उचित कार्यवाही हो। तो इसे राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं कहूंगा। लीगल कार्य के लिए अगर कोई कहे तो उसे करने में कोई परेशानी नहीं है तो राजनीतिक तंत्र में एक स्वाभाविक सी चीज है इसे राजनीतिक हस्तक्षेप के तरह से नहीं देखा जाए तो ठीक रहेगा।
आपको लगता है ग्रामीण थाना क्षेत्र और शहरी थाना क्षेत्र के कार्य प्रणाली में कुछ अंतर होता है ?
हां मेरा ऐसा मानना है कि ग्रामीण थाना क्षेत्र और शहरी थाना क्षेत्र की कार्यप्रणाली में काफी अंतर होता है। शहरी थाना क्षेत्र में आबादी काफी ज्यादा होती है। काफी क्लोज ऑपरेशन डेस्क रहते हैं। सबसे महत्वपूर्ण क्या है कि कोई भी घटनाक्रम यदि होता है तो उसका इंपैक्ट तुरंत जाता है। पुलिस को और अलर्ट होकर काम करना पड़ता है। शहरी थाने का जो क्षेत्रफल होता है वह उतना बड़ा नहीं होता है तो वहां पर देहात थाना क्षेत्र की अपेक्षा घटना की जानकारी जल्दी मिलती है अपराध बहुत जल्दी कंट्रोल किया जा सकता है जो पुलिस का सिस्टम बना हुआ है उसके तहत अधिकारी हेड क्वार्टर पर रहते हैं और आवश्यकता होने पर बड़े अधिकारी भी तुरंत घटनास्थल पर पहुंच सकते हैं। वही देहात के जो थाना होते हैं जहां क्षेत्रफल जो होता है वह काफी बड़ा होता है। फैला हुआ रहता है सूचनाएं काफी लेट मिल पाती है, कई जगह पर नेटवर्क भी नहीं होता है, तो जब कोई घटना हो जाती है गंभीर घटना हो जाती है, तो हम लोगों को काफी मशक्कत करना पड़ती है और बल भी जो होता है वह उतना पर्याप्त बल नहीं होता है जिससे पूरा थाना क्षेत्र कवर किया जा सके। यह इस तरह का बेसिक अंतर है सामान्य तौर पर यही एक बड़ा अंतर होता है।
ग्रामीण थाना क्षेत्र के अपराध किस तरह के होते हैं?
जो शहरी थाना क्षेत्र में चोरी के अपराध बहुत ज्यादा होते हैं, फिर वह रात में होने वाली चोरियां हो, या वाहन चोरियां हो, चैन, स्नैचिंग जैसी घटनाएं हो, छेड़खानी वाली घटनाएं हो, ग्रामीण की अपेक्षा वहां ज्यादा होती है। ग्रामीण क्षेत्र थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं शिकायत आती हैं वह आपसी झगड़ों की होती है। जमीनी विवाद ज्यादा होते हैं। गंभीर झगड़ों की संभावना ज्यादा होती है।
अपराधी होने के पीछे आपकी नजरों में क्या कारण हो सकते हैं?
अपराध होने के पीछे बहुत सारे कारण हैं, मुझे लगता है कि अपराध होने के पीछे सबसे बड़ा जो कारण है वह है लोगों में सहनशक्ति की कमी और उसका इगो, छोटे छोटे अपराधों के पीछे यह बड़े कारण होते हैं । छोटे-छोटे कारणों के बाद ही अपराध बड़ा रूप ले लेता है। विवादों के पीछे दूसरे जो कारण होते हैं उनमें जमीनी विवाद भी एक महत्वपूर्ण कारण होता है।
ग्रामीण परिवेश को सुधारने में ग्रामीण पुलिस की कार्यवाही क्या होती है?
ग्रामीण परिवेश को सुधारने के लिए पुलिस के द्वारा लगातार लोगों से संपर्क किया जाता है। हम जिस गांव में जाते हैं वहां के पंचायत के लोगों से संपर्क करते हैं। आपस में सभी के साथ चर्चा करते हैं जिससे लोगों को जानकारी मिल सके। जो नाबालिग बच्चियां चली जाती है उनके लिए हम गांव में अवेयरनेस के कार्यक्रम करते हैं। और हमारी कोशिश रहती है कि जो छोटे-छोटे गांव में आपसी जमीन के या दूसरे झगड़े होते हैं उनको वही निपटा कर सामाजिक परिवेश को सुधारने का पुलिस के द्वारा लगातार प्रयास किया जाता है।
आपके थाना क्षेत्र में अन्य अपराधों का ग्राफ पिछले वर्ष की तुलना में घटा है या बड़ा है ?
देखे मुझे अभी इसका अध्ययन करना है मुझे यहां थाने का प्रभार लिए हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं इसलिए अभी एकदम कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। लेकिन शीघ्र ही इस बात का अध्ययन अवश्य करूंगा।
क्या अपराध के पीछे बेरोजगारी को भी कारण माना जा सकता है?
बेरोजगारी के कारण भी अपराध एक मुख्य कारण होता है, खासकर गांव में कोई खास रोजगार नहीं होने के पीछे अपराध हो जाते हैं । तो हम बेरोजगारी के कारण अपराध को बढ़ावा मिल रहा है यह हम कह सकते हैं।
क्या ग्रामीण क्षेत्र में भी भ्रष्टाचार का स्वरूप देखने को मिलता है?
भ्रष्टाचार एक अलग विषय है , ऑफिशियल रूप से भ्रष्टाचार पर कुछ कहना मुश्किल है ।
सतत क्षेत्र संपर्क के बारे में आप क्या कहेंगे?
शहरी थाना क्षेत्र की पुलिस की बात की जाए तो थाने बहुत क्लोज होते हैं अधिकारी वहीं बैठे हैं, यदि थाने पर कोई सुनवाई नहीं होती तो वह बड़े अधिकारी के पास जाता है । यही सिस्टम और शहर से देहात में भी चालू हो गया है। यहां भी हमने कम्युनिकेशन सिस्टम को बढ़ाया है। हमारे एडिशनल एसपी साहब एसपी साहब भी सतत संपर्क में रहते हैं। शिकायत करने के कई सारे माध्यम होते हैं।
क्या ग्रामीण क्षेत्र में फ्रॉड के केस बड़े?
शहरी सीमा से जो लगे हुए ग्रामीण क्षेत्र हैं वहां पर जमीन आदि के फ्रॉड अवश्य बड़े हैं। जमीनों के मामले में धोखाधड़ी हो रही है, दूसरे जो फ्रॉड है वह ऑनलाइन टाइप के फ्रॉड हो रहे हैं । उसमें ग्रामीण और शहर में कोई अंतर नहीं है। अपने मोबाइल की जो नंबर है उसके कारण जो होने वाले फ्रॉड है उसमें ग्रामीण क्षेत्र के लोग ज्यादा चपेट में आ जाते हैं। क्योंकि जागरूकता की जानकारी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को कम होती है और वह जल्दी फ्रॉड में फंस जाते हैं।
क्या ग्रामीण क्षेत्र में भी सर्वधर्म की सुरक्षा के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास किए जाते हैं ?
ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्रों पुलिस के द्वारा सर्वधर्म सबके लिए एक समान रूप से कार्य किया जाता है और सभी की सुरक्षा के लिए हमारे द्वारा कार्य किया जाता है। मैं तो यह कहूंगा कि पुलिस का कोई धर्म नहीं होता है पुलिस के द्वारा सभी धर्मों के लिए समान रूप से काम किया जाता है। धर्म विशेष रूप से मानवता के विषय है सभी धर्मों का हम समान रूप से सम्मान करते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में किस तरह के नशे का चलन है?
ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य रूप से कच्ची शराब अवैध शराब, इस तरह के नशे अधिक चलन में है। ड्रग्स जैसे नशे गांव में कम चलन में है, बहुत ज्यादा अगर होगा तो गांजा वगैरह पीने की शिकायत मिल सकती है। आधुनिक जो नए तरह के चलन के नशे हैं वह शहरी क्षेत्रों क्षेत्रों में देखने को ज्यादा मिलते हैं ग्रामीण क्षेत्रों में उस तरह के नशों का चलन नहीं है।
नशा मुक्ति के लिए ग्रामीण पुलिस के द्वारा क्या प्रयास किए जाते हैं ?
ग्रामीण क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्र की जो पुलिस है वह भी नशा मुक्ति के लिए समय-समय पर प्रयास करती है, नारकोटिक्स विभाग के द्वारा बहुत सारे कार्य किए जाते हैं। और ग्रामीण क्षेत्र में और हमारे द्वारा नशा मुक्ति अभियान चलाए जाते हैं सेमिनार आयोजित कर लोगों को जागरूक करते हैं उन को जागृत करने का प्रयास करते हैं नशा मुक्ति से दूर रहने के लिए उन्हें मानसिक रूप से भी तैयार करते हैं।
क्या ग्रामीण क्षेत्र में भी महिला डेस्क काम करती है?
जी हां ग्रामीण क्षेत्र में हो या शहरी क्षेत्रों सभी जगह महिला डेस्क काम करती है महिलाओं से संबंधित जो भी शिकायत आती है वह महिला डेस्क के द्वारा ही समस्या को समाधान करने के लिए प्रयासरत रहती है। इसमें सफलता भी मिलती है।
आपने पुलिस विभाग को ही क्यों चुना अगर पुलिस विभाग में नहीं होते तो आप कहां होते?
सेवा करने के लिए पुलिस विभाग को मैंने चुना है और फिर भी अगर वह पुलिस में नहीं होता तो शायद शिक्षा विभाग में होता या कृषि विभाग में अपनी सेवाएं दे रहा होता।