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संवाद और परिचर्चा

श्री सवाई सिंह नागर अजाक थाना प्रभारी

  • 06 May 2022

मेरा तो एक थाना प्रभारी होने के नाते यही संदेश है कि आम जनता स्वस्थ रहें - सुखी रहें और कानून का पालन करते हुए रहना चाहिए, शहर में यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए। क्योंकि यह एक ऐसी चीज है  जिसमें कोई बिना अपराध के भी  अपनी जान से हाथ धो बैठता है। और सभी को जीवन में कानून के पालन करते रहना चाहिए यही हमारा संदेश है।


DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )

इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है इसको आप कैसे देखते हैं  ?
इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है यह बहुत अच्छी प्रक्रिया है और इससे आम जनता को न्याय मिलने में शीघ्रता होगी क्योंकि पूर्व में 107 116 151 110 वगैरा के लिए कलेक्टर ऑफिस जाना पड़ता था पूरा पूरा
केंद्रीकरण हो गया है और इससे निराकरण करने में  कमिश्नर की प्रणाली को उचित कहना ठीक होगा।


 इससे पुलिस प्रशासन में कितनी कसावट आएगी?
कमिश्नर प्रणाली से इंदौर पुलिस प्रशासन में काफी कसावट आई है, छोटी-मोटी घटनाओं पर तत्काल कार्रवाई होती है, तत्काल रिस्पांस भी मिलता है  और इससे बल में भी इजाफा हुआ है। पूर्व में हमको बल पूरा मिलता नहीं था, इससे काम में काफी सुविधा हो गई है। ट्राफिक में भी काफी बल मिल गया है उसमें अच्छी व्यवस्था हो गई है हर चौराहे को व्यवस्थित कर सकते हैं। पुलिस प्रशासन में निश्चित रूप से कसावट आई है और और भी आएगी।


अन्य थानों व आरक्षित थाने की कार्यप्रणाली में कितना अंतर होता है?
यह सवाल अच्छा है पर इसमें मेरा ऐसा मानना है कि अन्य थानों और आरक्षित थाने की कार्यप्रणाली में कोई अंतर नहीं होता है, केवल आरक्षित थाने में यह है कि यहां पर जो अनुसंधान है वह बारीकी से होता है यहां पर राहत प्रकरण अलग से तैयार किया जाता है फरियाली जो आता है उसको  आने का जो खर्चा है यहां से दिया जाता है और उसका भत्ता भी अलग से दिया जाता है और उसके साथ जो घटना घटित हुई है उसका राहत सरकार की तरफ से दी जाती है राहत प्रकरण तैयार करके कलेक्ट्रेट भेजते हैं वहां से स्वीकृत होता है।
गवर्नमेंट ने कई सारी चीजें राहत में निर्धारित की हुई है।जैसे यदि किसी व्यक्ति की हत्या हो जाती है तो उसमें सरकार द्वारा उसके परिवार के एक सदस्य की सरकारी नौकरी का प्रावधान है। तथा ₹700000 का भी प्रावधान है और यह भी देखा जाता है कि उसके पास रहने के लिए कोई साधन नहीं है सरकार उसमें एक कदम आगे बढ़कर उसके रहने की व्यवस्था भी करवाती है।


कानून का लाभ लेते हुए कई बार सामान्य लोगों के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज हो जाती है इस पर क्या कहेंगे और कैसे काम करते हैं?
हमारे द्वारा उसकी बराबर  तहकीकात की जाती है, और अगर हमको ऐसा लगता है कि यह झूठी शिकायत है तो हम उसको पूरी चेक करने के बाद ही कोई कार्यवाही आगे बढ़ाते हैं, ऐसा नहीं है कि कोई भी शिकायत आई और हमने उस पर कार्यवाही शुरू कर दी पूरी तहकीकात के बाद ही जो उचित प्रतीत होता है उस पर कार्रवाई की जाती है।


कई बार  आरक्षित वर्ग की  महिलाओं द्वारा कानून का दुरुपयोग किया जाता रहा है ऐसी आम धारणा है आपकी टिप्पणी?
हमारा यह कहना है कि कोई भी अगर रिपोर्ट करने आता है तो उसकी रिपोर्ट तो लिखना ही पड़ती है, अब वह रिपोर्ट झूठी है या सच्ची है यह इन्वेस्टिगेशन का पार्ट है। अनुसंधान में बिल्कुल बारीकी से पूछताछ की जाती है, अगर ऐसा कोई गलत पाया जाता है तो हमारे पास ऑप्शन होता है खात्मा और कार्यवाही, तो प्रयास तो पूरा होता है कि सही और उचित कार्रवाई हो सके।


कई बार सामान्य लोगों को ब्लैकमेल किया जाता है ?
देखिए इस बारे में कहना है कि अभी तक मेरे सामने तो ऐसा कोई प्रकरण आया नहीं है, अगर कोई ब्लैकमेल करता तो यह कानून का उल्लंघन होता है, तो उस पर उचित कार्यवाही जांच पड़ताल के बाद की जाना चाहिए।


जैसा कि आपका थाना आरक्षित है इसमें भी क्याराजनीतिक हस्तक्षेप को देखा जाता है?
नहीं ऐसा कुछ मुझे महसूस नहीं होता है और राजनीतिक में काम करने वाले लोग भी सही और गलत को समझते हैं हमारे द्वारा उनको बताया जाता है कि यह गलत है तो वह अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करते। और कानून में उल्लेखित के अनुसार हम लोग काम करते हैं, सामान्य तौर पर राजनीति का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।


जातिगत अपराध में पिछले वर्ष की तुलना में ग्राफ की क्या स्थिति है?
जहां तक मेरा अनुमान है सामान्य रूप से इस तरह के कोई अपराध में बढ़ोतरी कोई खास नहीं हुई है, छुटपुट बढ़ोतरी के लो छोटी छोटी मोटी घटना लो ऐसी तो सामान्य चलती रहती है  कभी कोई परिस्थितिजन्य घटना हो जाती है, तो उसको हमेशा नहीं मान सकते कि अपराध में बढ़ोतरी हो गई है।


 " पुलिस हमारी बाप है गुंडागर्दी पाप है "
यह नारा इंदौर शहर में सुनने को मिलता है इस पर आप क्या कहेंगे ?
इस पर टिप्पणी करना कोई उचित नहीं है कानून की धारा में काम करना चाहिए कानून से हटकर कोई काम नहीं करना चाहिए।


माननीय मुख्यमंत्री द्वारा अपराध को सख्ती से कम करने का कहा गया है?
मेरा मानना है कि यह बात सही है और मान्य मुख्यमंत्री जी ने जो कहा है कि अपराध को सख्ती के साथ खत्म  करना चाहिए तो यह सही है। अपराधी के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए, सख़्ती का मतलब खाली यही नहीं है कि मारपीट होना चाहिए, सख्ती का मतलब यह भी है कि अपराधी के खिलाफ कैसे मजबूत साक्ष्य जुटाए,उसके खिलाफ गवाहों को बुलाया जाए, एविडेंस तलाश किया जाए और उसे न्यायालय से सख्त सजा दिलाना चाहिए। यह भी तो सख़्ती का ही एक रूप है।


अगर आप पुलिस की नौकरी में नहीं होते तो कहां होते ?
यह भी आपने एक अच्छा सवाल पूछा है और मैं जहां तक समझता हूं कि अगर मैंने पुलिस की नौकरी ज्वाइन ना की होती तो मैं किसी स्कूल या महाविद्यालय में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा होता।