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संवाद और परिचर्चा

श्रीमती अनुराधा लोधी थाना सेंट्रल कोतवाली

  • 02 Apr 2022
  1. घरेलू हिंसा में  तो मैंने यह चीज ऑब्जर्व की हुई है, कि हमेशा पुरुष ही गलत नहीं होता है, वह सोसाइटी की बात होती है और मैंने बोला भी है की एजुकेशन और परिवार के संस्कार यह दोनों बहुत इंपॉर्टेंट रोल रखते हैं, तो कहीं ना कहीं प्राथमिक पाठशाला घर से ही परिवार से ही शुरू होती है और यही हो तो यही सबसे अच्छा होगा।
  2. पुलिस कमिश्नर सिस्टम के कारण जो खौफ वाली  बात है, वह गुंडे और बदमाशों के लिए आती है। आम जनता को इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। इससे सोशल पुलिसिंग जो है वह बेहतर बन गई है,ऑल सोशल एक्टिविटीज के हिसाब से देखें तो यह बहुत अच्छा है, हम कह सकते हैं जिससे आम जनता को निश्चित रूप से लाभ मिलने वाला है।
  3. ऑपरेशन प्रहार मुख्य रूप से वारंटीओं, जो गुंडे बदमाश है उनके कंट्रोलिंग के लिए किया गया था। जिससे अभी 2 दिनों से बहुत अच्छे से रिपोर्टिंग हुई है। जब रात में वारंटीओं के चेकिंग के लिए निकलते हैं। ऑरेंज 100 से अधिक वारंटी,हमने एक रात में ट्रेस किया तो। यह पॉजिटिव एटीट्यूड रहा है।

DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )

इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है इसे कहीं राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है क्या ?
नहीं, ऐसा कहना ठीक नहीं है, यह जो पुलिस कमिश्नर सिस्टम चालू हुआ है यह बहुत पॉजिटिव इफेक्ट ला रहा है। लोगों को उनके प्रति भी और कहीं ना कहीं सामाजिक सोसाइटी में भी चेंज जो आ रहे हैं, तो कहीं ना कहीं हमें इसको  देखना चाहिए कि इससे पॉजिटिव रिजल्ट ही दिख रहे हैं।

क्या इस प्रणाली से पुलिस प्रशासन में भी कसावट आने की संभावना है   ?
पुलिस कमिश्नर प्रणाली सिस्टम कि हम बात कर रहे हैं, तो इसमें यह है कि मेन चीज होती है वह पब्लिक के लिए होती है। पुलिस और आम पब्लिक के बीच जो कांटेक्ट होता है, तो कमिश्नर सिस्टम लागू होने से आम जनता और पुलिस के बीच में अच्छी बॉन्डिंग हो रही है। और जैसा कि मैंने पहले भी बोला है, अपराध में कंट्रोलिंग  हो रही है और जो हम मंथली वाइज ग्राफ चेक कर रहे हैं, तो ग्राफ में अच्छा शो रहा है। तो हम कहें  सकते हैं कि कमिश्नर सिस्टम के कारण प्रशासन में भी निश्चित रूप से सुधार हुआ है ।

अपराध के ग्राफ में कितनी कमी आई है,  पिछले वर्ष की तुलना में ?
बेसिक अली दो चीजों में बहुत कमी आई है एक तो महिला संबंधी  अपराध में और दूसरा चोरी के मामले में जो शिकायत आ रही थी, उसमें बहुत कमी आई है तो अपराध के ग्राफ में निश्चित रूप से कमी आना कह सकते हैं।

महिला उत्पीड़न के विषय में आपका क्या नजरिया है ?
जो महिला उत्पीड़न के केस आ रहे हैं, इसमें अवेयरनेस की कमी कहीं ना कहीं दिखाई देती है। वह शो हो रही है, हर थाने में जबसे कमिश्नर सिस्टम लागू हुआ है, तब से अब इसका निश्चित रूप से फर्क पड़ा है। क्योंकि पुलिस के द्वारा टाइम टाइम पर कुछ न कुछ प्रोग्राम करते रहते हैं, गली मोहल्लों में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहते हैं। इससे आम लोग प्रभावित हो रहे हैं और अच्छे परिणाम आ रहे हैं। और इससे महिला संबंधी अपराध में कहीं न कहीं कमी आ रही है।

इंदौर में ड्रग्स व्यापार काफी फैल रहा है इसमें महिलाओं की लिप्तता भी कहीं न कहीं दिखाई देती है, आपका क्या कहना पड़ता है  ?
देखिए यह सारी बातें तो यह पहले भी थी,लेकिन कमिश्नर सिस्टम आने के बाद यह सब चीजें उजागर भी हो रही है और कमिश्नर साहब के दिशा निर्देश पर हम लोग कार्यवाही भी कर रहे हैं। तो जो भी ड्रग माफिया है इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही भी की जा रही है ।

घरेलू हिंसा में आप किसे दोषी मानती हैं या आपका क्या नजरिया है  ?
मैं घरेलू हिंसा में कहीं न कहीं एजुकेशन की कमी को दोषी मानती हूं,पहली चीजें एजुकेशन की कमी और दूसरी बात यह है कि परिवार से संस्कार देना बहुत जरूरी है। क्योंकि हमने सुना है कि प्राथमिक पाठशाला जो है वह परिवार ही होता है,तो घरेलू हिंसा हो या कोई भी अपराध हो उसमें फैमिली का रोल बहुत इंपोर्टेंट होता है। तो लड़का हो या लड़की हो बेसिकली जो हम घरेलू हिंसा की बात कर रहे हैं, उसमें लड़के को घर से ही शिक्षा देना चाहिए, क्योंकि महिला उत्पीड़न का शिकार होती है, क्योंकि वह प्राथमिक पाठशाला है तो यहीं से कंट्रोलिंग बेहतर होगी।

कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए बना है तो कहीं ना कहीं महिलाएं इसका दुरुपयोग भी करती है क्या, जिसके कारण पारिवारिक वैमनस्यता भी बढ़ती है ?
कई बार हमने ऐसे कैस भी देखे हैं कि उसमें पुरुष भी पीड़ित रहते हैं,लेकिन इसके लिए काउंसलिंग की प्रोसेस बनी हुई है। वह लाभकारी ही सिद्ध हो रही है पति-पत्नी के मामले में जनरल ही प्राथमिक तौर पर ही काउंसलिंग का प्रयोग किया गया है, इसमें एक टीम गठित की गई है जो प्रॉपर ली काउंसलिंग करती है जिससे परिवार टूटने से बच जाता है ।

आप एक महिला पुलिस अधिकारी हैं तो सवाल यह है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए आपके द्वारा क्या प्रयास किए जाते हैं?
महिला की सुरक्षा के लिए खास तौर पर हमारे द्वारा यह प्रयास किया गया है कि पहले एरिया डिटेक्ट किया गया है,कि किस एरिया में महिला संबंधित अपराध अधिक हुए हैं,उस एरिया में हमने समय तय किया  कि किस समय में ही अपराध ज्यादा हुए हैं। या शिकायत ज्यादा आती है। महिलाओं के संबंध में उस एरिया में हमने पुलिस स्टॉफ बढ़ा दिया हैं, मैं खुद भी गश्त करती हूं, पैदल राउंड लगाती हूं गाड़ी से भी हम लोग भ्रमण  करते हैं और समय-समय पर हम लोग कुछ न कुछ प्रोग्राम करते रहते हैं    बच्चों से रिलेटेड, प्रोग्राम होता है। महिलाओं से संबंधित प्रोग्राम होता है,इसमें महिलाओं से सुरक्षा संबंधित अवेयरनेस प्रोग्राम लाते हैं। जो हेल्पलाइन नंबर होते हैं  उसके बारे में भी जानकारी देते रहते हैं तो इन सब बातों से पॉजिटिव इफेक्ट लग रहा है ।

महिला डेस्क कैसे काम करती है  ?
महिला डेस्क प्राथमिक रूप से महिला संबंधित अपराधों में और बच्चों से भी लेकर यह दो विषय में महिला डेस्क फोकस   करती है। और कमिश्नर सिस्टम से यह बहुत अच्छी  बात हुई है कि, टाइम टू टाइम हर थाने में कोशिश की गई है कि, महिला संबंधित अपराध कम हो। और यह हो भी रहा है खासतौर पर मैं कोतवाली थाने की बात करूं तो पिछले 3 माह में महिला संबंधी अपराध बहुत कम हुए एक ही प्रतिशत  की रिपोर्ट आई है।

चोरी का ग्राफ आपके थाने में  ?
इस मामले में कोतवाली थाने में 0% है और इस महीने में तो एक भी शिकायत इस तरह की नहीं आई है।

शिक्षित बेरोजगारी और अपराध इस पर आप क्या कहेंगी ?
देखे बेरोजगारी को हम अपराध में कारण मान सकते हैं, कई बार यह चीजें सामने आई है कि पढ़ा लिखा जो व्यक्ति है, जो बहुत त्रसत हो जाता है,नौकरी नहीं है, उसके पास तो कई बार देखा है कि, कुछ प्रतिशत ही देखा गया है कि, यह लोग गलत काम करते हैं।  क्योंकि इनके पास प्रॉपर रोजगार नहीं होता है, लेकिन फिर भी यह मूल कारण नहीं हो सकता है। आप पढ़े लिखे हैं तो स्वाभाविक सी बात है कि हर व्यक्ति इतना तो कमा ही लेता है कि वह अपनी बेसिक आवश्यकता जो है वह पूरी कर सके।

पुलिस प्रशासन में राजनीतिक हस्तक्षेप को आप कैसे देखते हैं?
देखिए राजनीतिक हस्तक्षेप की अगर हम बात करें, तो कहीं ना कहीं  तो कुछ ना कुछ तो रहता है और वह कुछ प्रभावित करता भी है। लेकिन मैं पर्सनली मेरी बात करूं तो मुझे कभी इस चीज का इस बात की कभी समस्याएं उत्पन्न नहीं हुई है, मैं 2015 से इस विभाग में हूं मुझे पॉलीटिकल प्रेशर कभी भी नहीं आया। 

शहर में हो रहे कब्जों पर कहीं-कहीं राजनीतिक संरक्षण होता है?
यह बहुत अच्छी बात पूछी है, लेकिन सीएम साहब के निर्देश अनुसार एवं कमिश्नर साहब ने भी आदेशित किया है भू माफिया के खिलाफ कार्यवाही हो रही है और यह कहीं ना कहीं बहुत पॉजिटिविटी ला रहा है। समाज में तो इसमें डरने की जरूरत ही नहीं है जो भू-माफिया है उनके खिलाफ तो सख्त कार्यवाही कर ही रहे हैं।

महिला और बच्चों के लिए कुछ संदेश?
मैं खासकर बच्चों के लिए यह संदेश देना चाहती हूँ कि बच्चे पढ़ाई पर फोकस करें, महिलाएं जरूर समय दें परिवार को,अेजे पेरेंट्स बच्चों को समय देना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि मैं खुद वर्किंग वूमेन हूँ मेरे हस्बैंड भी सूबेदार हैं। जैसे हम दोनों ही,परिवार को टाइम नहीं दे पाते हैं अपने बच्चों को,लेकिन फिर भी कहीं न कहीं कोशिश करते हैं कि जितना समय बचता है वह जरूर हम देते हैं। और परिवार में बड़ों का होना बहुत जरूरी होता है,क्योंकि मेरे इनलॉज भी मेरे साथ में रहते हैं, में यह चीज महसूस करती हूं कि बच्चे को एक जो पारिवारिक संस्कार की आवश्यकता होती है वह उसे मिल रही है दादा दादी से, और मेरा मानना है कि दादा दादी से अच्छे संस्कार कोई नहीं दे सकता है।

अगर आप पुलिस में नहीं होते तो कहां होती ?
अगर मैं पुलिस में नहीं होती तो शायद लेक्चरर होती कहीं कॉलेज में लेक्चर दे रही होती।