एक शख्स था थोमस बैबिंगटन मैकाले ये भारत तो आया था अंग्रेजी की पढ़ाई करने लेकिन उसके बाद इसी भारत में अगर किसी ने देशद्रोह का कानून ड्राफ्ट किया तो वो लार्ड मैकाले ही थे। सोचिए जरा सन 1837 में जो देशद्रोह कानून बना था आज 2021 में उस पर सियासत हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले को खारिज कर दिया है। विनोद दुआ पर हिमाचल के शिमला में राजद्रोह के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी। स्थानीय बीजेपी नेता श्याम ने आरोप लगाया था कि विनोद दुआ ने यूट्यूब पर अपने शो में प्रधानमंत्री मोदी पर वोट पाने के लिए मौतों और आतंकी हमलों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। जिसके बाद शिमला के कुमारसैन थाने में विनोद दुआ के खिलाफ आईपीसी की धारों के तहत फर्जी खबरें फैलाने, लोगों को भड़काने और मानहानी कारक साम्रगी प्रकाशित करने का मामला दर्ज किया गया था। एफआईआर दर्ज होने के बाद विनोद दुआ ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। विनोद दुआ ने अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग भी की थी। साथ ही पत्रकारों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले के खिलाफ जांच के लिए एक कमेटी बनाने की भी अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विनोद दुआ पर दर्ज एफाईआर को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने 1962 के केदारनाथ बनाम बिहार राज्य केस का हवाला देकर दुआ को दोषमुक्त किया। लेकिन इसके साथ ही कमेटी बनाने वाली उनकी दूसरी याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा ये विधायिका क्षेत्र पर अतिक्रमण की तरह होगा।
DGR विशेष
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ऐतिहासिक... जो राजद्रोह के मामलों में बनता है पत्रकारों की ढाल..!
- 05 Jun 2021