बुजुर्गों से अमानवीय हरकत मामले में सिक्के का एक पहलू यह भी
वीडियो वायरल होने के बाद बदनामी हुई तो जागे सभी जिम्मेदार
इंदौर। बुजुर्ग साथ अमानवीय हरकत करते हुए उन्हें निगम के डंपर में पशुओं की तरह भरकर शिप्रा तक छोड़ने के दौरान एक व्यक्ति द्वारा वीडियो बना लिया गया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। इस हरकत के बाद शहर शर्मसार हुआ और शहर की बदनामी हुई। इसके बाद तो जिम्मेदार इस तरह नींद से जागे कि हर ओर बुजुर्गों की सेवा के लिए मदद के हाथ बढ़ने लगे। चाहे नगर निगम हो, जिला प्रशासन या अन्य कोई शासकीय विभाग। सभी बेसहारा बुजुर्गों के लिए आगे आने लगे। यहां तक प्रदेश के मुखिया ने भी इन बेसहाराओं की सुध ली और आनन-फानन में जहां शहर को शर्मसार करने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए, वहीं बुजुर्गों के लिए भी उन्होंने सक्रियता दिखाई।
सीएम शिवराजसिंह चौहान और सभी प्रशासनिक व जिम्मेदार अधिकारी इस बुजुर्गों के लिए किए जा रहे कार्यों के लिए बधाई के पात्र है, लेकिन इस घटना में सिक्के का एक और पहलू भी है। वह यह कि यदि निगम के कर्मचारी इस तरह बुजुर्गों को डंपर में भरकर नहीं ले जाते और एक व्यक्ति इनका वीडियो बनाकर वायरल नहीं करता तो जैसा पहले चल रहा था वह अभी भी चलता ही रहता। या यूं कहा जाए कि बुजुर्गों की जैसी पहले हालत थी, वैसी अभी भी रहती और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल नहीं होता तो जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों को कानोकान खबर तक नहीं लगती कि बेसहारा वृद्धों के साथ क्या अमानवीयता हो रही है। भले ही निगमकर्मियों के कारण पूरे देश में शहर स्वच्छता में लगातार नंबर 1 आने वाला शहर शर्मसार हो गया यह किसी को अच्छा नहीं लगा और अमानवीय व्यवहार करने वालों को सजा भी दी गई, लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू को देखा जाए तो यह उन बुजुर्गों के लिए अच्छा हुआ है कि एक गलती के कारण आज जिम्मेदार नींद से जाग गए और अब जाकर उनकी सुध ले रहे हैं।
यह है मामला
गौरतलब है, स्वच्छता रैंकिंग में लगातार चार बार नंबर वन रहे इंदौर में गत 29 जनवरी को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई थी। नगर निगम के कर्मचारी बूढ़े भिखारियों को डंपर में मवेशियों की तरह भरकर शहर के बाहर शिप्रा छोड़ आए। कई बुजुर्ग चल-फिर भी नहीं सकते थे। वो गाड़ी में एक के ऊपर एक लदे थे। बुजुर्गों के साथ अमानवीय हरकत देख ग्रामीणों ने विरोध किया तब उन्हें डंपर में बिठाकर वापस इंदौर भेज दिया। ग्रामीणों ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। मामला सामने आने के बाद निगम ने उपायुक्त प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया है जबकि दो कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी है।
भगवान गणेश से कलेक्टर ने मांगी माफी
बुजुर्गों को डंपर में भरकर फेंकने के मामले में इंदौर प्रशासन की किरकिरी के बाद अधिकारी अब भगवान की शरण में पहुंच गए हैं। कलेक्टर मनीष सिंह ने संकट चतुर्थी के मौके पर खजराना गणेश से इसके लिए माफी मांगी है। उन्होंने कहा, बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार पूरी तरह गलत था, क्योंकि अधिकारी होने के नाते ये हमारी जिम्मेदारी भी बनती है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। इस दौरान कलेक्टर ने कहा कि खजराना गणेश इंदौर के राजा हैं। निगम ने बुजुर्गों के साथ जैसा बर्ताव किया, उससे प्रजा दुखी हुई तो राजा के सामने क्षमा मांगने के अलावा कोई विकल्प नहीं। हम सभी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
शिवराज को लेना पड़ा एक्शन
घटना पर सरकार की किरकिरी होती देख मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बचाव के लिए सामने आना पड़ा। उन्होंने मामले की जानकारी लेने के बाद निगम उपायुक्त प्रताप सोलंकी को निलंबित करने के निर्देश दे दिए। सोलंकी को नगरीय विकास संचालनालय भोपाल अटैच कर दिया गया।
इन्होंने भी मांगी माफी
निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने कहा- हमारी मंशा बुजुर्गों को रैन बसेरा पहुंचाने की थी। कर्मचारियों ने जो बर्ताव किया, उससे दुखी हूं, निगम की ओर से माफी मांगती हूं। अपर आयुक्त श्रृंगार श्रीवास्तव ने कहा- बुजुर्गों के लिए मैंने सिर्फ ट्रक बुलवाया था। मैं भी निगम परिवार का हिस्सा होने के नाते माफी मांगता हूं। अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर ने कहा, रैन बसेरा मेरे अधीन है। नैतिक तौर पर अपनी जिम्मेदारी मानते हुए माफी मांगता हूं। उपायुक्त लता अग्रवाल ने कहा, मैंने तो वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश पर ट्रक भेजा। इससे ज्यादा जानकारी नहीं थी। मैं भी बुजुर्गों से माफी मांगती हूं।
राजनीति भी होने लगी
बुजुर्गों का वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले ने राजनीतिक रूप भी ले लिया और कांग्रेस ने कोई मौका नहीं छोड़ते हुए प्रशासन पर निशाना साध दिया। एक पूर्व मंत्री ने यहां तक पूछा कि बुजुर्गों को क्या शिप्रा में विसर्जित करने ले जा रहे थे? गजानन से कितनी भी माफी मांग लो, कुछ नहीं होगा बुजुर्गों को डंपर में भरकर शिप्रा छोड़ने के बाद कलेक्टर समेत अन्य अफसरों द्वारा खजराना गणेश से माफी मांगने को लेकर कांग्रेस ने निशाना साधा। कांग्रेसियों ने कहा - इंदौर स्वच्छता में नंबर-1 है, हमें इस पर गर्व है, लेकिन निगम के एक कृत्य से इंदौर पूरे देश में कलंकित हुआ। अब आप भगवान गणेश से कितनी भी माफी मांग लो, वे माफ नहीं करने वाले। पूर्व मंत्री विधायक जीतू पटवारी ने निगम-प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए पूछा - बुजुर्गों को क्या शिप्रा में विसर्जित करने जा रहे थे। ऐसे अधिकारियों पर तो एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
15 को लेकर गए अब तक चार ही सामने आए
कांग्रेस का आरोप है कि पहले रैन बसेरा नगर निगम 25 हजार के खर्चे पर चला रहा था। निजीकरण के बाद एक रैन बसेरा की राशि 55 हजार पहुंच गई है। रैन बसेरा में तो गरीबों के लिए खाने तक का इंतजाम नहीं हैं। विधायक संजय शुक्ल ने आरोप लगाया कि शिप्रा में गाड़ी में जानवरों की तरह निगम वाले 15 लोगों को लेकर गए थे। इनमें से केवल 4 लोग ही रैन बसेरे में मिले थे, बाकी के लोग कहां हैं, अधिकारी सही जवाब नहीं दे रहे। पीड़ितों के साथ दोषियों पर कार्रवाई के लिए आईजी के पास जाने के बाद भी एफआईआर नहीं लिखी गई।
आप ने मानव अधिकार आयोग को शिकायत की
आम आदमी पार्टी जिलाध्यक्ष डॉ. पीयूष जोशी ने कहा नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों ने मानव अधिकारों का उल्लंघन किया है। निगम के इस अमानवीय रवैये की मानवाधिकार आयोग में शिकायत भी की है। साथ ही संभागायुक्त को दिया ज्ञापन।
भाजपा ने कहा- बुजुर्गों से ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा है कि इंदौर में बुजुर्गों के साथ हुई घटना बेहद दुखद और बर्दाश्त से बाहर है। दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा। सांसद शंकर लालवानी ने कहा इंदौर को भिक्षुक पुनर्वसन योजना में शामिल करवाया है। 8.5 करोड़ शहर को भिक्षुक पुनर्वसन बनाने के लिए स्वीकृत भी किए हैं।
बुजुर्गों को रैन बसेरों में ठहराएंगे
गत दिनों कमिश्नर पवन कुमार शर्मा ने इस संबंध में बैठक ली। इसमें तय किया गया, अगले सात दिनों में शहर के भिखारियों का मेडिकल चेकअप कराकर रैन बसेरों में ठहराया जाएगा।
मानवाधिकार आयोग का नोटिस, संभागायुक्त-कलेक्टर से मांगा जवाब
इस मामले में मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव, संभागायुक्त और इंदौर कलेक्टर को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। आयोग के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार जैन द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि नगर निगम के कर्मचारियों ने 29 जनवरी को एक दर्जन बेसहारा बुजुर्गों को उठाकर अतिक्रमण हटाने वाले कचरा वाहन में पटका और शिप्रा पुल पर छोड़ दिया। इसके लिए उन्हें ठंड से बचाने का झांसा दिया गया। मानवता को शर्मसार कर देने वाली इस घटना का लोगों ने विरोध किया, तो इन्हीं बुजुर्गों को दोबारा शहर में लाकर छोड़ दिया। इनमें से ज्यादातर बुजुर्ग विकलांग हैं। इस अमानवीय घटना का वीडियो वायरल हुआ और शिकायत जब मुख्यमंत्री तक पहुंची, तो अधिकारी बोले कि सभी बुजुर्गों को रैन बसेरे में भेज दिया गया हैं। मुख्यमंत्री ने इस मामले में सख्त नाराजगी दिखाई और कहा कि ऐसी अमानवीय घटना दोबारा कतई नही होना चाहिए।
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