Highlights

दिल्ली

UCC पर जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने खींच दी विरोध की लकीर

  • 07 Feb 2024

नई दिल्ली. उत्तराखंड विधानसभा में आज से यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पर बहस शुरू हो रही है. इस बीच मुस्लिम संगठनों ने इस बिल का विरोध करना शुरू कर दिया है. देहरादून में इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन भी हुआ. जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि मुसलमान ऐसा कोई भी कानून नहीं मानेंगे जो शरियत के खिलाफ हो. 
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने इस बिल से आदिवासियों को छूट दिये जाने का हवाला देते हुए कहा कि यदि इस कानून से आदिवासी समुदाय को अलग रखा जा सकता है तो संविधान में मिले धार्मिक स्वतंत्रता के आधार पर अल्पसंख्यकों को भी इस कानून के दायरे से अलग रखा जाना चाहिए. 
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा, "हम ऐसे किसी भी कानून को स्वीकार नहीं कर सकते जो शरीयत के खिलाफ हो क्योंकि एक मुसलमान हर चीज से समझौता कर सकता है, लेकिन वह शरीयत और मजहब पर कभी समझौता नहीं कर सकता है."
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता विधेयक (UCC Bill) पेश किया गया है और अनुसूचित जनजातियों को इस प्रस्तावित कानून से छूट दी गई है.
मदनी ने सवाल उठाया कि अगर संविधान की एक धारा के तहत अनुसूचित जनजातियों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जा सकता है, तो नागरिकों के मौलिक अधिकारों को मान्यता देते हुए संविधान की धारा 25 और 26 के तहत मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता क्यों नहीं दी जा सकती है.
मदनी ने दावा किया कि संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी है; लेकिन समान नागरिक संहिता मौलिक अधिकारों को निरस्त करती है. 
उन्होंने पूछा, "अगर यह समान नागरिक संहिता है तो नागरिकों के बीच यह अंतर क्यों है"
मदनी ने यह भी कहा कि हमारी कानूनी टीम विधेयक के कानूनी पहलुओं की समीक्षा करेगी जिसके बाद आगे की कानूनी कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा.
साभार आज तक