नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अध्यक्षता करते हुए भारत ने अफगानिस्तान में तालिबानी हिंसा के खिलाफ वैश्विक समुदाय को एकजुट कर कूटनीतिक दबाव बनाने में अहम योगदान निभाया है। भारत की अगुवाई में शुक्रवार रात को हुई बैठक में विभिन्न देशों का सुर हिंसा के खिलाफ था। इस मौके पर तालिबान के अत्याचार में साथ दे रहा पाकिस्तान भी बेनकाब हो गया। अफगानिस्तान ने जहां तालिबान के पीछे पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया। वहीं, इस आपात बैठक की अगुवाई कर रहे भारत ने कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों की जवाबदेही तय होना जरूरी है। सुरक्षा परिषद सदस्यों ने एक सुर में हिंसा को रोकने के लिए संघर्ष विराम पर जोर दिया। इस बैठक में पाकिस्तान को नहीं शामिल किया गया।
सुरक्षा परिषद की इस अहम बैठक की अध्यक्षता कर रहे भारतीय राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए जरूरी है कि आतंकी पनाहगाह खत्म की जाएं। इसके साथ ही आतंकियों को रसद पहुंचाने वाली रसद लाइनों को खत्म कर आतंकवाद के हर स्वरूप के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की जरूरत है। भारत ने आग्रह किया कि सुरक्षा परिषद हालात की समीक्षा के बाद अफगानिस्तान में व्यापक शांति के लिए तत्काल संघर्ष विराम के उपायों पर कदम उठाए।
अफगानिस्तान ने किया बेनकाब
बैठक में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि ने कहा कि तालिबान ने बर्बर हमले तेज किए हैं, जिससे हालात बहुत गंभीर हो गए हैं। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि तालिबान के साथ विदेशी लड़ाके भी शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत गुलाम इस्काजई ने पाकिस्तान में तालिबानी लड़ाकों को मिल रहे मदद, वहां के अस्पतालों में हासिल हो रहे इलाज का हवाला देते हुए पाक सरकार से तालिबान की सप्लाई लाइन खत्म करने की अपील की। उनका कहना था कि पाकिस्तान में तालिबान के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने को लेकर अनेक वीडियो सबूत सामने आते रहे हैं। इस्काजई का कहना था कि मौजूदा हालात एक ऐसा युद्ध है जिसकी मशीन पर्दे के पीछे रहकर चलाई जा ही है।
साभार- लाइव हिन्दुस्तान
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- 08 Aug 2021