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उपचुनाव में प्रचार का अंतिम दौर ...

  • 25 Oct 2020

भाजापा-कांग्रेस के लिए बसे महत्वपूर्ण सांवेर
दोनों ही पार्टियों के नेताओं में में चल रहे आरोपों के तीर
इंदौर। प्रदेश में नवंबर माह की शुरूआत में होने वाले उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए सबसे अहम सांवेर विधानसभा सीट मानी जा रही है। हालांकि दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं सहित कार्यकर्ता हर सीट पर अपनी जीत दर्ज कराना चाह रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक चर्चित इंदौर लोकसभा की सांवेर सीट ही है। इस सीट को लेकर जहां मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का पूरा फोकस है, वहीं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी इस सीट से हर हाल में जीत हासिल करना चाहते हैं। राजनीतिक गलियारों में यह भी कहा जा रहा है कि दोनों ही पार्टियों के बड़े नेताओं ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। दोनों पार्टी के नेता इन दिनों पूरे प्रदेश में एक दूसरे बयानबाजी करते हुए आरोपों के तीर चला रहे हैं।
  प्रदेश में 15 महिने पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत का स्वागत चखा था लेकिन ज्योतिरादित्या सिंधिया की नाराजगी और बगावती तेवर के बाद कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली गई और सिंधिया सर्मथकों के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद अब एक बार फिर प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। जिन सीटों पर उपचुनाव होना हैं उनमें सबसे ज्यादा सीटें ग्वालियर चंबल संभाग की हैं। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए विधायकों पर पार्टी ने पुन: भरोसा कर चुनावी मैदान में उतारा है, ऐसे में सिंधिया के लिए यह उपचुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। उपचुनाव के परिणाम ही तय करेंगे कि भाजपा सत्ता में आगे काबिज रहेगी या फिर कांग्रेस पुन: वापसी करेगी, यही वजह है कि आरोप प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है। उपचुनाव में किसान दोनों ही दलों के लिए प्रमुख मुद्दा है। जहां कांग्रेस के नेता हर सभा में किसानों की कर्ज माफी किए जाने का मुद्दा उठा रहे हैं तो वहीं भाजपा कांग्रेस और कमलनाथ को यह कहकर घेरने में लगी है कि कांग्रेस ने कर्ज माफी नहीं की उल्टा किसान के साथ छलावा किया है। वहीं जिन सीटों पर आगामी ३ नवंबर को मतदान होना है वंहा के मतदाताओं ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
तुलसी के कारण हुई अहम सीट
सांवेर विधानसभा सीट से तुलसी सिलावट ने पिछला विधानसभा चुनाव जीता था, लेकिन उनके भाजपा में चले जाने से यह सीट खाली हो गई और यहां पर भी उपचुनाव की नौबत आ गई। चूंकि तुलसी के भाजपा के आंगन में चले जाने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था। तुलसी को जहां कांग्रेस में मंत्री पद मिला था, वहीं भाजपा में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास होने के कारण उनकी अच्छी आवभगत हुई और यहां भी मंत्री पद से ही नवाजा गया, लेकिन भाजपा में उनका मंत्री पद तब ही रहेगा, जब वह सांवेर सीट से चुनाव जीत जाएंगे। यह सीट तुलसी के दल बदलने के कारण भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
गुड्डू फिर पार्टी में आए तो मची हलचल
उधर, कांग्रेस में तुलसी के जाने के बाद एक बड़ा उलटफेर हुआ। कभी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शामिल  पूर्व सांसद और विधायक रहे प्रेमचंद गुड्डू जो वर्ष 2018 में भाजपा की झोली में जा पहुंचे थे, वह फिर से कांग्रेस में आ गए और पार्टी ने भी उन्हें हाथोहाथ ले लिया। उनके पार्टी में वापस आने के बाद खासी हलचल मची थी। गुड्डू की पार्टी में वापसी के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि अब वे फिर से सांवेर से उम्मीदवारी जताएंगे और हुआ भी यही। गुड्डू के पार्टी में दोबारा आने के बाद जितने दिग्गज यहां से कांग्रेस की ओर से चुनाव लडऩे का दंभ ठोक रहे थे या यूं कहे की अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी थी वे पीछे हट गए और पार्टी ने भी भरोसा जताते हुए गुड्डू का टिकट फायनल कर दिया।
इसलिए है पूरा फोकस
राजनीतिक जानकारों और सूत्रों का कहना है कि सांवेर विधानसभा सीट पर तुलसी सिलावट के कारण शिवराजसिंह चौहान और कमलनाथ का पूरा फोकस है। एक ओर जहां कमलनाथ सिलावट को यह सबक सिखाना चाहते हैं कि पार्टी में रहते तो तुम्हारी सीट नहीं जाती, वहीं शिवराजसिंह भाजपा के अन्य बड़े नेता यह बताना चाहते हैं तुलसी तुमने भाजपा में आकर अच्छा किया, जो मंत्री बने हुए हो और आगे भी बने रहोगे।
नेता-कार्यकर्ता अंतिम दौर में और सक्रिय
चूंकि चुनावी मौसम है तो दोनों पार्टी के नेता और कार्यकता अंतिम दौर में और भी सक्रिय हो गए हैं। मतदाता को रिझाने के हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। भाजपाई जहां मतदाताओं को अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं तो वहीं कांग्रेसी  भाजपा सरकार को पूरी तरह से नाकाम बता रहे हैं और अपनी सरकार के डेढ़ साल के कार्यकाल को अच्छा बताने से भी नहीं चूक रहे हैं।
यह भी दांव अजमा रहे कांग्रेसी
कांग्रेसी चुनाव जीतने के लिए एक नया दांव अजमा रहे हैं। वे यह बताने में भी चूक रहे हैं कि जिस तुलसी सिलावट को आप लोगों ने कांग्रेस पार्टी में रहते जिताया था वह उस पार्टी को ही धोखा दे गए, जिसमें वह थे आप लोगों को भी जितने के बाद फिर से धोखा दे सकते हैं।
जुबानी हमले  भी कम नहीं
हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी दोनों ही पार्टी के नेता एक-दूसरे जुबानी हमले करते हुए आरोपों के तीर चला रहे हैं। कांग्रेसी भाजपा और तुलसी पर निशाना साध रहे हैं तो भाजपाई कांग्रेस और गुड्डू पर धावा बोल रहे हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो जो नेता चुनाव जितने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाएं जा रहे हैं।
एक केंद्र पर एक हजार से मतदाता नहीं
आयोग ने कोरोनाकाल में होने वाले इस उपचुनाव को लेकर नए निर्देश दिए हैं, जिसके अनुसार एक मतदान केंद्र में एक हजार से ज्यादा मतदाता नहीं होंगे। मतदाता संख्या कम करने के चलते सांवेर में 105 नए उपकेंद्र बनाए जा चुके हैं। मतदान केंद्र में मतदाता का तापमान मापने के लिए एक कर्मचारी बाहर ही बैठा रहेगा और एक कर्मचारी  सेनिटाइजर के लिए रहेगा। मतदाताओं के लिए दस्ताने केंद्र पर रहेंगे, जिसे पहनकर वे मतदान करेंगे।  जो लोग मॉस्क लगाकर नहीं आते उनके लिए यहां मास्क  भी रखे जाएंगे। मतदान से एक दिन पहले  केंद्र को सेनिटाइज करवाकर वहां के प्रसाधन कक्षों में साबुन रखवाए जाएंगे। इसी तरह मतदानकर्मियों के लिए आरक्षित वाहन रहेंगे। सामग्री वितरण केंद्र, स्ट्रांग रूम और मतगणना स्थल पर भी सेनिटाइजर का इंतजाम  करना होगा।