-पू.मोरारी बापू
जगदगुरु शंकराचार्य साधन पंचक में लिखते हैं...
1.... वेद का नित्य अध्ययन करना चाहिए... हम सब ये नहीं कर पाएंगे ...यहां मैंने मतलब साफ किया है कि जो व्यक्ति जिस परंपरा से जुड़ा हो मुबारक ...इस परंपरा का जो इष्ट ग्रंथ है उसको वेद समझिए... भगवद गीता का पाठ करो ..एक दो श्लोक पढ़ो ...स्मरण करो... अपने अपने जो सदग्रंथ है ...मेरे लिए वेद है रामचरितमानस और भगवद गीता...मैं अंडरलाइन करूं...ये ग्रंथ सदग्रंथ होना चाहिए... कल्पित ग्रंथ नहीं... पाखंड से निर्मित किए गए ग्रंथ नहीं... सनातन ग्रंथ.....
2... रोज़ एकांत वास करें... 5-10 मिनट... धीरे-धीरे मौज आए तो उस एकांत की घड़ियों को बढ़ाएं...एकांत को गुफा बनाओ...
3... आपके पास अपने सद्गुरु की पादुका हो तो प्रतिदिन पादुका का पूजन... पूजन माने अबीर गुलाल पानी डालो ये नहीं...पादुका का पूजन है एक भरोसा कि मेरे घर में मेरा कोई रक्षक बैठा है...वो मेरी रक्षा करेगा...
पादुका अपने पास ना हो गुरु की तो पादुका का स्मरण...ये पादुका पूजन हो जाए....
4...जहां तक संभव हो वाद विवाद का परित्याग करो... सच्चे हो तो भी वाद विवाद ना करो... शंकराचार्य भगवान तो अपने एक सूत्र में कहते हैं कि कोई आपका लाख बुरा करे... दुख आए... कोई आपका अपमान करे... तो उसका प्रतिकार ना करो...अप्रतिकार पूर्वक सहन करो... कोई भी घटना तुम पर हावी हो जाए प्रतिकार न करो....हम प्रतिकार करते हैं कि क्यों हुआ ?..हम बदला लेंगे...हम छोड़ेंगे नहीं... वाद विवाद ना करें... उसमें समय...शक्ति और ऊर्जा बहुत खर्च होगी.... परिवार में भी विवाद ना करें... संवाद जरूर करें....
5... जब अवसर मिले साधु संग करिए...वो मौका मत गंवाना... साधु का संग करें तब भी जहां तक हो हम चुप रहें तो साधु से बहुत लाभ होगा....
अपने साधु पुरुष के स्वभाव का स्मरण भी साधु संग है ...उसने जो मेहरबानी की है उससे जो आंखें डबडबा जाएं तो ये साधु संग है...
...युवान भाई बहनों... घर में... मन में ...अगल-बगल के वातावरण में... उत्तम शांति स्थापित करनी है तो ये 5 वस्तु का स्मरण करना ... हो सके तो थोड़ा करना ....मैं लाख बीमारी की दवा बताऊं लेकिन दवा तो आपको खानी पड़ेगी....
(राम कथा - मानस कंदरा से साभार सहित संपादन@ पुष्पेंद्रपुष्प)